-फ़िरदौस ख़ान
देश और दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अभाव में ज़िन्दगी बसर कर रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह अन्याय और अज्ञानता है. समाज शास्त्री क़ुतुब जहां किदवई उन लोगों में शामिल हैं, जो अभावग्रस्त लोगों को मुख्यधारा में शामिल करने के लिए प्रयासरत हैं. वे न्याय, रोज़गार और मानवाधिकार आदि मुद्दों पर पिछले दो दशकों से काम कर रही हैं.
उन्हें सीमांत समुदायों के साथ काम करने का अच्छा अनुभव है. वे साम्प्रदायिक सद्भाव के साथ लोकतंत्र और महिला सशक्तिकरण पर शोध व अनुसंधान की परियोजनाओं पर भी काम करती आई हैं.
महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई में 3अगस्त 1975को जन्मी क़ुतुब जहां किदवई ने अपना करियर ओमान में एक कमर्शियल पायलेट के तौर पर शुरू किया था, लेकिन 11सितम्बर 2001को अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले के बाद बदले हालात के मद्देनज़र उन्हें अपना यह काम छोड़ना पड़ा.
उन्होंने केवल 12घंटे के उड़ान अनुभव के बाद पहली एकल उड़ान के लिए प्रदर्शन प्रमाण-पत्र भी हासिल किया था. वे ओमान छोड़कर भारत आ गईं. मुम्बई में उन्हें एक विश्वविद्यालय में पढ़ाने का मौक़ा मिला, लेकिन उन्हें ज़िन्दगी में कुछ और ही करना था. इसलिए उन्होंने यह काम भी छोड़ दिया.
उन्हें भारतीय इतिहास एवं समाजशास्त्र में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने पर स्वर्ण पदक मिला था. समाज शास्त्र में उनकी गहरी दिलचस्पी थी. इसलिए उन्होंने शोध और अनुसंधान के काम पर तवज्जो दी.
उन्होंने तक़रीबन 12साल तक मुस्लिम तहरीक में इस्लामिक स्कॉलर डॉक्टर असग़र अली इंजीनियर से तालीम हासिल की. वे विश्वविद्यालय के दिनों से ही अंतरधार्मिक सद्भाव के लिए काम कर रही हैं. वे कहती हैं- ''भारत में हमने अकसर धर्म के नाम पर हिंसा का अनुभव किया है. इसलिए मैं शांति निर्माण कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से शामिल रहती हूं."
वे देश और विदेश की अनेक स्वयंसेवी संस्थाओं से जुड़कर जनकल्याण के काम कर रही हैं. वे नेटवर्क फ़ॉर एजुकेशन, एम्पावरमेंट, डेवलपमेंट एंड अवेयरनेस (नीडा) की निदेशक हैं.
संस्था के कार्य
महिलाओं, बच्चों और अकुशल श्रमिकों के लिए न्याय और क़ानूनी सहायता मुहैया कराना, शिक्षा और आजीविका का अधिकार व उसका कार्यान्वयन, ज़िला क़ानूनी सेवा प्राधिकरण, सरकार की सहायता के लिए अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण, महाराष्ट्र के घरेलू हिंसा, यौन शोषण और पारिवारिक क़ानूनों के मामलों को संभालना, विशेषज्ञों, समुदाय आधारित संगठनों, युवा नेताओं और मीडियाकर्मियों को नेटवर्किंग और संगठित करना, लैंगिक अधिकार, मानवाधिकार और अल्पसंख्यक मुद्दों पर अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहयोग करना, राष्ट्रीय स्तर पर साम्प्रदायिक सद्भाव, अंतरधार्मिक पुल निर्माण और शांति कार्य नेटवर्किंग, गांधीवादी मूल्यों और समग्र संस्कृति को बढ़ावा देना और हाशिये पर रहने वाले समुदायों को सरकारी कल्याण योजनाओं तक पहुंचने में मदद करना आदि शामिल हैं.
कुतुब जहां किदवई कहती हैं कि यह बहुत ही अफ़सोस की बात है कि देश में बच्चों और महिलाओं का शारीरिक शोषण दिनोदिन बढ़ता जा रहा है. हालांकि देश में इसके लिए सख़्त से सख़्त क़ानून भी बनाए गए हैं, लेकिन जागरूकता की कमी की वजह से लोगों को इनका फ़ायदा नहीं मिल पाता. अगर लोग जागरूक न हों, तो ये सब क़ानून भी नाकाफ़ी हैं.
वे मुस्लिम महिला न्यूज़लेटर की सम्पादक भी रही हैं. ऑनलाइन न्यूज़लेटर मुस्लिम महिलाओं के ख़िलाफ़ रूढ़िवादिता का मुक़ाबला करने के मक़सद से बनाया गया था. न्यूज़लैटर मुख्य रूप से दुनिया भर में विभिन्न क्षेत्रों में मुस्लिम महिलाओं की उपलब्धियों पर प्रकाश डालता था.
इसमें यथास्थिति को चुनौती देने के संघर्ष और जुनून की ख़बरें भी थीं. यह संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, मिस्र, मलेशिया, स्वीडन आदि के विभिन्न विश्वविद्यालयों में पुस्तकालय वाचन का हिस्सा रहा है.
उन्होंने इस्लाम में महिलाओं के अधिकार और मुस्लिम देशों में मुस्लिम परिवार क़ानून में सुधार, सामाजिक एकजुटता में युवाओं की भूमिका, साम्प्रदायिकता और मध्यकालीन इतिहास, क़ुरआन में महिलाओं के अधिकार और इस्लाम में शांति की अवधारणा पर अनेक प्रशिक्षण आयोजित किए हैं.
वे एशियन मुस्लिम नेटवर्क (अमन) की उपाध्यक्ष हैं. यह मुसलमानों का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो गांधीवादी मूल्यों, प्रगतिशील विचारों, मानवाधिकारों और शरणार्थियों के लिए कार्यों को बढ़ावा देता है. यह संगठन युवाओं और कार्यकर्ताओं के लिए शांति और सुलह पर आवासीय प्रशिक्षण, कार्यशालाएं और सम्मेलन आयोजित करने में मदद करता है.
उन्हें विदेशों में होने वाले अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में भी आमंत्रित किया जाता है. उन्होंने इंडोनेशिया सरकार द्वारा आयोजित जकार्ता के प्रथम अंतर्राष्ट्रीय मुस्लिम महिला फ़ोरम, संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा दुबई में आयोजित विश्व सहिष्णुता शिखर सम्मेलन, दक्षिण कोरिया के सियोल में आयोजित संयुक्त राष्ट्र के विश्व युवा नेता सम्मेलन में भी शिरकत की है.
देश और समाज की भलाई के लिए काम करने वाली क़ुतुब जहां किदवई को कई पुरस्कारों से समानित किया जा चुका है. उन्हें साल 2022में पुणे के सावित्री बाई सेवा फ़ाउंडेशन की ओर से भारतीय महिला शक्ति सम्मान से नवाज़ा गया.
इससे पहले उन्हें साल 2021 में शांति शिक्षा में डॉक्टरेट की मानद उपाधि, 2020 में विश्व एड्स दिवस और आग़ाज़-ए-दोस्ती, 2020 में महात्मा गांधी भगत सिंह राष्ट्रीय पुरस्कार, 2019 में असाधारण महिला पुरस्कार, साल 2017 में बोस्नियाई सरकार एसोसिएशन द्वारा सदस्यता पुरस्कार, 2017 में ही एमजीएम वुमन लीडर अवार्ड, साल 2012 में यूनाइटेड रिलीजन इनिशिएटिव अवार्ड और 2001में वर्ष के सर्वश्रेष्ठ शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
वे कहती हैं कि युवाओं को जनकल्याण के कार्यों के लिए आगे आना चाहिए, ताकि हम हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें.
(लेखिका शायरा, कहानीकार व पत्रकार हैं)