पुरुष और महिला एकसमान नहीं हैं: पीएमए सलाम, महासचिव केरल मुस्लिम लीग

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 30-01-2025
 PMA Salam
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केरल इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के राज्य महासचिव पीएमए सलाम ने लैंगिक समानता पर अपनी टिप्पणी से राजनीतिक विवाद को हवा दे दी है. उन्होंने जोर देकर कहा कि पुरुषों और महिलाओं को सभी पहलुओं में समान नहीं माना जा सकता. सलाम ने बुधवार (29 जनवरी) को मलप्पुरम जिले में एक सार्वजनिक सभा में विवादित टिप्पणी की.

सलाम ने कहा, “हम यह नहीं कह सकते कि पुरुष और महिला सभी मोर्चों पर समान हैं. क्या दुनिया ने इसे स्वीकार कर लिया है? फिर ऐसा क्यों है कि ओलंपिक में महिलाएँ और पुरुष अलग-अलग प्रतिस्पर्धा करते हैं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि दोनों अलग-अलग हैं, है न? सलाम ने कहा, ‘‘पुरुष और महिला समान हैं, यह कहना अंधकार को बढ़ाने के लिए आँखें बंद करने जैसा है.’’

सलाम ने सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं के लिए अलग शौचालय और आरक्षित सीटों का उदाहरण देते हुए सभी क्षेत्रों में लैंगिक समानता की व्यावहारिकता पर भी सवाल उठाया.

उन्होंने कहा, ‘‘पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग शौचालय क्यों हैं? ओलंपिक में, पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग श्रेणी क्यों है? जो लोग कहते हैं कि वे समान हैं, वे समानता को नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. आप समाज से प्रशंसा पाने के लिए व्यावहारिक रूप से अतार्किक तर्क क्यों ला रहे हैं?’’

अपनी पार्टी के रुख को स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘(इंडियन यूनियन) मुस्लिम लीग की इस पर स्पष्ट राय है. हम लैंगिक समानता नहीं कह रहे हैं, बल्कि सामाजिक न्याय या लैंगिक न्याय में समानता कह रहे हैं.’’

सलाम के बयान की सत्तारूढ़ वामपंथी पार्टी के नेताओं ने तीखी आलोचना की, जिन्होंने टिप्पणी को प्रतिगामी और लैंगिक समानता के सिद्धांतों के खिलाफ बताया. राज्य के आबकारी मंत्री एमबी राजेश ने टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा, ‘‘यह घृणित है. यह दिखाता है कि संघ परिवार और अन्य सांप्रदायिक ताकतें महिलाओं को किस तरह से देखती हैं. देखिए, सुनीता विलियम्स अभी भी अंतरिक्ष स्टेशन पर हैं. यह आधुनिक युग है और सांप्रदायिक ताकतें प्रतिगामी विचारों को बढ़ावा दे रही हैं. इसका सभी प्रगतिशील लोगों द्वारा विरोध किया जाना चाहिए. सभ्य समाज में लैंगिक समानता सबसे महत्वपूर्ण अवधारणा है. उस बयान के साथ, मुस्लिम लीग ने कहा है कि वे लैंगिक समानता के पक्ष में नहीं हैं.’’

केरल की उच्च शिक्षा और सामाजिक न्याय मंत्री आर बिंदु ने भी टिप्पणी की निंदा की और इसे प्रतिक्रियावादी बताया. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने पहले भी इसी तरह के बयान दिए हैं, और यह बयान फिर से उनके राजनीतिक रुख को स्पष्ट रूप से दर्शाता है.’’