महिला सशक्तिकरण की मिसाल हैं ई-रिक्शा चालक पश्मीना और पिंकी बेगम

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-06-2024
Women empowerment
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अरीफुल इस्लाम / गुवाहाटी

गुवाहाटी की व्यस्त सड़कों पर ई-रिक्शा चलाना एक कठिन काम है. इसलिए, रिक्शा चालक के पेशे में आमतौर पर केवल पुरुष ही शामिल होते हैं. लेकिन पश्मीना बेगम और पिंकी बेगम ने साहस और आत्मविश्वास के साथ शहर की सड़कों पर ई-रिक्शा चलाकर यू-टर्न लिया है. पश्मीना और पिंकी के लिए ई-रिक्शा चलाना उनकी आजीविका कमाने का एक जरिया बन गया है.

समाज की इस पूर्व-धारणा को चुनौती देते हुए कि महिलाएं ड्राइविंग पेशे में नहीं हो सकतीं, पश्मीना और पिंकी अब गुवाहाटी में भेटापारा-हाटीगांव रोड के माध्यम से लालमाटी से राजधानी मस्जिद तक हर दिन ई-रिक्शा चलाती हैं. यातायात प्रतिबंधों, खराब सड़कों सहित विभिन्न बाधाओं का सामना करने के बावजूद, पश्मीना और पिंकी अपने ई-रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए पर्याप्त पैसा कमा रही हैं.

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पश्मीना और पिंकी को लगता है कि निजी क्षेत्र में नौकरी करने से बेहतर है कि वे आत्मनिर्भर बनें. वे लगभग हर दिन चिलचिलाती धूप, बारिश, तूफान और बाढ़ का सामना करते हुए बैटरी से चलने वाले ई-रिक्शा चलाकर हर महीने करीब 25,000-30,000 रुपये कमा रही हैं.

आवाज-द वॉयस से बात करते हुए पश्मीना बेगम ने कहा, ‘‘शुरू में मैंने निजी क्षेत्र में नौकरी करने के बारे में सोचा. मुझे कुछ नौकरियों के प्रस्ताव मिले. लेकिन मेरी मासिक तनख्वाह बहुत कम थी और यह राशि मेरे परिवार के भरण-पोषण के लिए पर्याप्त नहीं थी. फिर ई-रिक्शा चलाने का विचार मेरे मन में आया. मुझे विश्वास था कि ई-रिक्शा चलाने से मुझे निजी क्षेत्र में काम करने से ज्यादा आय होगी. मेरी एक छोटी बेटी है. अपना वाहन चलाने से मुझे अपनी बेटी के साथ अच्छा समय बिताने का भी मौका मिलता है.’’

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ई-रिक्शा चालक के रूप में अपने सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बात करते हुए पश्मीना बेगम ने कहा, ‘‘मैं राजधानी मस्जिद से लालमाटी तक यात्रियों को ले जाती हूँ. जब भारी बारिश होती है, तो हमें बहुत परेशानी होती है. हाटीगांव हाई स्कूल के पास की सड़क कृत्रिम बाढ़ से और भी खराब हो जाती है, जिससे पूरी सड़क जलमग्न हो जाती है. शुरू में यात्री मेरे ई-रिक्शा में बैठने से कतराते थे, क्योंकि मैं एक महिला हूँ. लेकिन धीरे-धीरे लोगों को मेरी सहज ड्राइविंग का अनुभव हुआ और अधिक से अधिक यात्री मेरे वाहन में बैठने लगे.’’

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एक अन्य महिला ई-रिक्शा चालक पिंकी बेगम ने कहाय ‘‘मैं अन्य नौकरियों की तुलना में बैटरी रिक्शा चलाना पसंद करती हूँ. क्योंकि मैं खुद चलाना जानती हूँ. हम निजी क्षेत्र में नौकरी करने की तुलना में अपनी वर्तमान नौकरी में अधिक स्वतंत्र महसूस करते हैं. हम अपनी इच्छा से ई-रिक्शा चला सकते हैं. लेकिन हम निजी नौकरी में ऐसा नहीं कर पाएँगे. मेरा परिवार ई-रिक्शा चलाने के लिए मेरा पूरा समर्थन करता है.’’

पश्मीना बेगम और पिंकी बेगम दोनों के अनुसार महिलाओं को आत्मनिर्भर होना चाहिए और वे अपने पुरुषों की तरह कुछ भी कर सकती हैं. पश्मीना और पिंकी दोनों को बैटरी रिक्शा चलाते समय किसी से कोई असुविधा नहीं हुई. इसके बजाय, वे लोगों से स्नेह पाने में सफल रही हैं. दोनों महिलाएँ सुबह अपने रिक्शा लेकर घर से निकलती हैं और शाम तक रिक्शा चलाने में व्यस्त रहती हैं. वे अपने परिवार के सदस्यों का भी ख्याल रखती हैं.