कैसे आगे बढ़ें मेवात की बेटियां, न उच्च शिक्षा की व्यवस्था और न है बेहतर माहौल

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-05-2023
कैसे आगे बढ़ें मेवात की बेटियां, न उच्च शिक्षा की व्यवस्था और न है बेहतर माहौल
कैसे आगे बढ़ें मेवात की बेटियां, न उच्च शिक्षा की व्यवस्था और न है बेहतर माहौल

 

यूनुस अलवी / नूंह (मेवात/ हरियणा)

राजधानी दिल्ली से मात्र 70 किलोमीटर की दूरी पर बसे मेव मुस्लिम बहुल जिला नूंह में उच्च शिक्षा की माकूल व्यवस्था नहीं होने से लड़कियां पढ़ाई में बहुत बेहतर नहीं कर पा रही हैं. पूरे हरियाणा में लड़कियों की सर्वाधिक ‘ड्राप आउट’ दर भी इसी जिले में है. यहां तक कि महिलाओं की साक्षरता दर भी चिंता बढ़ाती है.

नूंह देश के उन 112 जिलों में शुमार है, जो सबसे पिछड़े माने जाते हैं. जिले की साक्षरता दर सूबे के अन्य जिलों की अपेक्षा बहुत की कम है. 2011 की जनगणना के अनुसार, नूंह में 43.50 फीसदी साक्षरता दर थी. फिलहाल यह 56.1 फीसदी है.
 
बात करें मुस्लिम समाज की, जिसमें 27 पुरूष और मात्र 7 फीसदी महिलाएं ही साक्षर हैं. रोहतक में लिटरेसी रेट 80.4, सोनीपत में 80.8, हिसार में 73.2, कुरूक्षेत्र में 76.7, फरीदाबाद में 83 और गुड़गांव में 84.4 फीसदी है.हरियाणा के अन्य जिलों की अपेक्षा नूंह जिले में पांचवीं, आठवीं, दसवीं और 12वीं के बाद ड्रोप आउट रेट हरियाणा सूबे में सबसे ज्यादा है.
 
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आबादी के अनुपात में स्कूल और शिक्षकों का अभाव

नूंह जिले की आबादी करीब 15 लाख है, जिसमें 443 गांव, 325 ग्राम पंचायत, सात खंड, चार उपमंडल, चार तहसील, दो उपतहसील हैं. जिले में तावडू, बिस्सर अक्बरपुर, सालाहेड़ी, नगीना, फिरोजपुर झिरका व पुन्हाना में सरकारी काॅलेज हैं.
 
पुन्हाना और सालाहेड़ी में कन्य महाविद्यालय है. नूंह का यासीन मेव डिग्री काॅलेज सरकारी सहायता से चलता है. यहां को-एजुकेशन की व्यवस्था है. फिरोजपुर झिरका में निजी जैन कन्य महाविद्यालय है. इसके अलावा नूंह जिले में 499 प्रथमिक, 301 मिडिल, 08 हाई स्कूल, 116 राजकीय वरिष्ट माध्यमिक, 5 आरोही , 7 मेवात माॅडल तथा 5 कस्तूरबा गांधी सरकारी स्कूल हैं. जिले में 35 प्राइमरी, 89 मिडिल, एक हाई और 19 वरिष्ठ कन्या स्कूल चल रह हैं. इसके अलावा जिले में 311 से अधिक निजी स्कूल भी संचालित हो रहे हैं.
 
सरकार ने नूंह जिले में स्कूल तो खोल दिए, पर यहां 50 फीसदी से अधिक अध्यापकों के पद रिक्त हैं. जिले में 116 प्रिंसीपल में चार पद खाली हैं. हेडमास्टर के 8 पद स्वीकृत हैं. सभी खाली हैं. ईएसएचएम के 193 में से 122 पद खाली हैं. पीजीटी के 1711 पद में से केवल 626 कार्यत हैं.
 
टीजीटी के 2744 में से 914 ही कार्यरत हैं. इसी तरह हेड टीचर के 333 में से 242 कार्यरत हैं. तकरीबन सौ पद खाली हैं. जेबीटी के 4293 में से 2339 ही कार्यरत हैं.दिगर बात है कि सरकार ने गेस्ट के तौर पर कुछ पदों को भरने की कोशिश की है. पीटीजी के 115, टीजीटी के 240 और जेबीटी के 1048 गेस्ट अध्यापक लगाए गए हैं.
 
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शुआत ठीक, आगे बढ़ने के साथ बढ़ जाता है ड्राप आउट

नूंह जिले में लड़कियों को पढ़ाने की शुुरूआत तो ठीक होती है. पहली कक्षा में लड़कियों का प्रवेश ठीक होता, लेकिन पांचवीं के बाद से ड्रोप आउट का सिलसिला शुरू हो जाता है, जो आठवीं, दसवीं, बारहवीं के बाद तक जारी रहता है.
 
आकंडे़ के मुताबिक, नूंह जिला के सभी गल्र्स सरकारी, प्राइवेट और काॅ-एजुकेशन काॅलेज में करीब 2500 से 3000 हजार लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं. उनमें मात्र 30 फीसदी ही मुस्लिम लड़कियां हैं, जबकि जिले में एक भी यूनिवर्सिटी नहीं है. इसकी वजह से स्नातक के बाद लड़कियां लगभग घर बैठ जाती हैं.
 
अधिकतर परिजन बेटियों को उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर भेजने को लेकर सहमत नहीं हैं. कई की आर्थिक स्थिति इसकी इजाजत नहीं देती. मेवात के लोग काश्तकारी और ड्राइवरी पर निर्भर हैं. सिंचाई और पीने के पानी का जिले में माकूल प्रबंध नहीं. बारिश पर यहीं की खेती निर्भर है, इसलिए अधिकतर नूंह जिला सूखे की चपेट में रहता है.
 
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चार दशक से यूनिवर्सिटी के लिए संघर्ष

मेवात में यूनिवर्सिटी स्थापित करने की मांग को लेकर 1985 से संघर्ष चल रहा है, लेकिन इसकी लड़ाई लड़ने वाले अब तक कामयाब नहीं हुए हैं. राजनीतिक दलों की रूचि भी इसमें नहीं है. नूंह इलाके के सांसद केंद्र में मंत्री हैं, पर वह भी इसमें दिलचस्पी नहीं लेते.
 
यूनिवर्सिटी खोलने को लेकर जिले में कई प्रदर्शन हुए. चुनावों में यूनिवर्सिटी मुददा रहता है, पर चुनाव जीतने के बाद कोई इसपर चर्चा करना भी जरूरी नहीं समझता.
 
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सरकार की कोशिश की जरूरत

आजादी के 76 साल बाद तक हरियाणा और पंजाब सरकार ने मेवात जिले में सरकारी कॉलेज खोलने पर ध्यान नहीं दिया. नूंह में मेवात के शिक्षित लोगों ने 1923 में ब्रेन हाई स्कूल खोला जो अब यासीन मेव डिग्री काॅलेज के नाम से एक प्राईवेट कॉलेज बन कर चल रहा है.
 
तावडू में 1987 में लोकदल सरकार ने सरकारी कॉलेज खोला , जबकि पूर्व शिक्षा मंत्री खुर्शीद अहमद ने 1970 में कस्बा नगीना में अपना निजी कॉलेज स्थापित किया, जिसे बाद में हरियाणा सरकार को सौंप दिया गया.
 
यह मेवात का पहला सरकारी कॉलेज था. उनके पुत्र विधायक चैधरी आफताब अहमद के प्रयास से सालाहेड़ी गांव में गल्र्स काॅलेज खोला गया है, जबकि भाजपा सरकार ने पुन्हाना, फिरोजपुर झिरका और बिस्सर अक्बरपुर में काॅलेज खोले हैं.
   
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मेवात में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए थे, जिसमें सालाहेड़ी में गर्ल कॉलेज, कई आरोही स्कूल, आईटी आई शामिल हैं. डाईट, बाईट और पोलिटेक्निक कॉलेज भी उनकी सरकार के दौरान खोले गए.
 
मेवात में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मेवात शिक्षा कैडर अलग से बनाया गया है. दिगर बात है कि इस कैडर के माध्यम से जिन अध्यापकों की भर्ती की गई वे छोड़कर चले गए.
 
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यूनिवर्सिटी से मेवात की लड़कियों का होगा भला

जिला परिषद मेवात के पूर्व उप जिला प्रमुख और मेवात विकास सभा के पूर्व अध्यक्ष नूरूद्दीन नूर एडवोकेट का कहना है कि जब तक मेवात में उच्च शिक्षण संस्थान स्थापित नहीं होते तब तक मेवात के बच्चें को सही माईने में शिक्षा नहीं मिल सकती.
 
उन्हांेने कहा कि मेवात जिला दिल्ली से मात्र 60 किलोमीटर की दूरी पर है. फिर भी यहां शिक्षा का अभाव है. साक्षरता की दर सबसे कम इसी जिले में है. ऐसे में बिना किसी देरी के विश्वविद्यालय स्थापित करना बेहद जरूरी है. मेवात में विश्वविद्यायल स्थापित करने को लेकर मेवात विकास सभा ने कई बार आंदोलन किए हैं.
 
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दकियानूसी छोड़ें
   
पूर्व चांसलर एंव वरिष्ठ वैज्ञानिक डा सुभान खां, काॅलेज प्राचार्च रफीक खान का कहना है कि मेवात में लड़कियों की शिक्षा पर परिजन अधिक ध्यान नहीं देते. कोई अपनी लड़की को आगे पढ़ाना भी चहाता है तो गांव वाले उनके सामने रोड़ा बनकर खड़े हो जाते हैं.
 
उनकी दलील होती है, लड़कियों को पढ़ाने से किया फायदा. ब्याह कर दूसरे के घर चली जाएंगी. इसके साथ उन्हांेने माना कि पिछले एक दशक में माहौल बदला है. मेवात के अभिभावक अब अपनी लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के लिए आगे आ रहे हैं.
 
खासतौर से वे जो नौकरीपेशा हैं या फिर उनका अच्छा कारोबार है. उनका मानना है कि अब मेवात की कई बेटियां दिल्ली, गुरूग्राम आदि शहरों में जाकर उच्च शिक्षा गृहण कर रही हैं. इस वजह से मेवात की कई लड़कियां प्रोफेसर, डाॅक्टर, ऐडवोकेट, जज बनी हैं.