न्यूयॉर्क. यूनाइटेड नेशन वूमेन ने कहा कि अफगान लड़कियों को शिक्षा से वंचित करना बड़ा अन्याय है. इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ेगा. एजेंसी ने अफगानिस्तान में लड़कियों के बुनियादी अधिकारों की रक्षा करने की अपील की.
अफगानिस्तान में बिना स्कूल फिर से खुल रहे हैं. अफगान तालिबान ने महिलाओं की शिक्षा पर प्रतिबंध जारी रखा है और यह पाबंदी अब तीसरे साल में प्रवेश कर चुकी है.
यूएन वूमेन ने बुधवार को एक्स पर यह पोस्ट किया, "लड़कियों को स्कूल जाना चाहिए. फिर भी, अफगानिस्तान में लगातार तीसरे साल लड़कियों को उनका शिक्षा का अधिकार नहीं मिल रहा है, क्योंकि स्कूल बिना उनके फिर से खुल रहे हैं. उन्हें शिक्षा से वंचित करना बड़ा अन्याय है, जो आने वाली पीढ़ियों को प्रभावित करेगा. उनके बुनियादी अधिकारों को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए."
इस हफ्ते की शुरुआत में यूएन वूमेन की कार्यकारी निदेशक सिमा बहौस ने चेतावनी दी थी कि अगर लड़कियों को शिक्षा से वंचित रखा गया, तो अफगानिस्तान में इसके नकारात्मक प्रभाव कई पीढ़ियों तक महसूस होंगे.
सिमा बहौस ने एक्स पर पोस्ट किया, "अफगानिस्तान में नए स्कूल वर्ष की शुरुआत के साथ ही हजारों लड़कियों के लिए स्कूल के दरवाजे बंद हैं - यह तीसरा साल है. उनके शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन पीढ़ियों तक असर करेगा. लड़कियों को स्कूल वापस जाना चाहिए और उनके बुनियादी अधिकारों को बिना किसी देरी के बहाल किया जाना चाहिए."
संयुक्त राष्ट्र महिला की एक रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2021 से तालिबान ने अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा से वंचित करने के लिए धीरे-धीरे कदम उठाए हैं और लगातार सख्त प्रतिबंध लगाए हैं.
लड़कियों को पहली बार मार्च 2022 में माध्यमिक स्कूलों में जाने से रोका गया और फिर उसी साल दिसंबर में उन्हें विश्वविद्यालयों में भी जाने से मना कर दिया गया.
जनवरी 2023 तक तालिबान ने लड़कियों को विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा देने से रोककर अपनी पकड़ और मजबूत कर ली, जिससे कुछ इलाकों में लड़कों की तुलना में लड़कियों की परीक्षा में भागीदारी बढ़ने की जो उम्मीद थी, वह खत्म हो गई.