डॉ. फराह उस्मानी दुनिया भर की महिलाओं को रूढ़िवाद से निकालने में कर रही हैं मदद

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 13-05-2023
डॉ. फराह उस्मानी दुनिया भर की महिलाओं को रूढ़िवाद से निकालने में कर रही हैं मदद
डॉ. फराह उस्मानी दुनिया भर की महिलाओं को रूढ़िवाद से निकालने में कर रही हैं मदद

 

शुजात अली कादरी

डॉ. फराह उस्मानी देश की अकेली ऐसी मुस्लिम महिला हैं, जिन्होंने न्यूयॉर्क में निदेशक स्तर पर संयुक्त राष्ट्र की अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवा के साथ काम किया है और अभी वह वहीं रहती हैं.डॉ उस्मानी 'राइजिंग बियॉन्ड द सीलिंग' की संस्थापक भी हैं, जो भारतीय मुस्लिम महिलाओं की कामियाबी पर उन का हौसला बढाता है.

वह महिलाओं की रूढ़िवादिता को तोड़ने के लिए विश्व स्तर पर भी काम कर रही हैं.वह दुनिया भर में महिलाओं और लड़कियों पर ध्यान देने के लिए नीति, योजना ,प्रोग्रामिंग और तकनीकी नेतृत्व के लिए पिछले 25वर्षों से संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवा के साथ हैं, और लगातार इन मैदान में काम कर रही हैं.

डॉ उस्मानी का कहना है कि आज महिलाओं में बदलाव आया है. वह रूढ़ियों को तोड़कर समाज के साथ आगे बढ़ रही है.आज महिलाओं के पहनावे में बदलाव आया है.वे वर्दी में हुकूमत कर रही हैं. प्रशासन में नेतृत्व करती हुई दिखाई देती हैं.

विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में पढ़ रही हैं. राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभा रही हैं. विज्ञान और चिकित्सा में रचनात्मक योगदानकर्ता हैं. कारोबार चला रही हैं. किताबें लिख रही हैं.शायरी कर रही है. सामाजिक विकास में परिवर्तन लाने वाले खेलों में हिस्सा ले रही है.और वे देश के निर्माण और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं.

डॉ उस्मानी को वर्ल्ड बैंक और ब्रिटिश काउंसिल से मेरिट फेलोशिप समेत कई सम्मान मिल चुके हैं.उन्हें महिलाओं, लड़कियों और अल्पसंख्यकों के लिए उनके काम के लिए सामाजिक प्रभाव के लिए 2021का महात्मा पुरस्कार मिला है.

पेशे से एक डॉक्टर, वह जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से प्रोस्थेटिक्स और गायनोकोलॉजी में एमडी हैं और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन से हेल्थ पॉलिसी, प्लानिंग एंड फाइनेंसिंग में मास्टर्स हैं.फराह ने जावेद उस्मानी से शादी की है और उनके दो बच्चे फराज और सबा हैं.

डॉ उस्मानी SAFAR के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य कर रही हैं.उनका पहली किताब , 'राइजिंग बियॉन्ड द सीलिंग', है. डॉ उस्मानी ने इस किताब में दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक की एक सौ बहादुर, सक्षम और दृढ़निश्चयी मुस्लिम महिलाओं की रूढ़िवादिता को तोड़ देने वाली कहानियां पेशकी हैं.

वह 100 मिलियन से अधिक भारतीय महिलाओं पर कड़ी नजर रखती हैं.वह विभिन्न जातियों और भाषाओं, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सभी महिलाओं तक पहुंचती हैं.वह विभिन्न संस्कृतियों पर पैनी नजर रखती हैं.और वह जहां भी जाती हैं. वहां की संस्कृति से घुलमिल जाती हैं और फिर वहां की महिलाओं से बात उठाती हैं और उन से बात चीत करती हैं.

muslim lady

कर्नाटक का उदाहरण देते हुए डॉ उस्मानी कहती हैं कि यहां करीब 40 लाख महिलाएं हैं जो खुद को मुस्लिम कहती हैं.यहां कुल मुस्लिम आबादी 79 लाख है, जो कर्नाटक में औसतन 12.76% है.वह कहती हैं कि राइजिंग बियॉन्ड द सीलिंग का उद्देश्य भारत में मुस्लिम महिलाओं के आसपास के रूढ़िवादिता को एक मंसूबा बंद तरीके से बदलना है, जिसमें सभी धर्म एक साथ काम कर रहे हैं.

डॉ. उस्मानी के अनुसार, लैंगिक पक्षपात, समाजिक रुकावट और नकारात्मक रूढ़िवादिता को कोई भी  रोल मॉडल तोड़ सकती हियाऔर अगर यह चीज़ महिलाओं के पास हो तो वह उनके लिए बहुत फायदेमंद होते हैं, जिनसे महिलाओं को लंबे समय तक सभी कारोबार में जूझना पड़ता है.

यह किताब दुनिया भर की सभी महिलाओं और लड़कियों को उनके जीवन के हर पड़ाव पर रास्ता दिखायेगीऔर उन्हें हर क्षेत्र में प्रोत्साहित करेगी.उनकी उम्मीद को बढ़ावा देगी.महिलाओं को उन दूसरी महिलाओं को देखना सीखना चाहिए जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में पेशेवर सफलता हासिल की है.और उनकी सफलता कई रूपों में मिलती है.