सेराज अनवर/ पटना
जो आसमां को छू कर आयी है उस औरत को सलाम ये पंक्ति सटीक बैठती है सीवान की जानबाज़ बेटी सादिया परवीन पर. एक बार सादिया प्लेन उड़ाते समय बादलों में गुम हो गयी थी मगर चंद मिनट में ही एक सौ अस्सी डिग्री के कोण से प्लेन को मोड़ते हुए बादलों से निकल गयी. सादिया ने सीवान की पहली मुस्लिम महिला पायलट बनने का गौरव प्राप्त किया है. सादिया अभी डोमेस्टिक प्लेन उड़ा रही है,उसकी ख़्वाहिश एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान भरने की है.
उसकी इस कामयाबी पर न सिर्फ स्वजन बल्कि सीवान ख़ुशी से झूम रहा है. एक तरह से वह जिले की पहली मुस्लिम बेटी है जो इस मुकाम पर पहुंची. पहली उड़ान उसने हिजाब में भरी.
सादिया ने संयुक्त अरब अमीरात से पायलट की ट्रेनिंग ली है और जल्द ही तीन महीने का कोर्स मुकम्मल करने न्यूज़ीलैंड जाने वाली है. सादिया की सफलता एक मिसाल है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में सफल हो सकती हैं.
उन्होंने एक ऐसा क्षेत्र चुना, जो आमतौर पर पुरुषों का माना जाता है. सादिया की सफलता से अन्य महिलाओं को भी प्रेरणा मिलेगी कि वे भी अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें.
सामाजिक बंदिशों को तोड़कर पायलट बनी
एक मुस्लिम लड़की की यह ऐतिहासिक उपलब्धि है.सामाजिक और पारिवारिक बंदिशों को तोड़ कर आसमानों में उड़ान भरना आसान नहीं है. इनके पायलट बनने से जिले की अन्य लड़कियां भी प्रेरित होंगी.
अफसर अहमद की बेटी सादिया परवीन बिहार के सीवान जिले के रघुनाथपुर प्रखंड स्थित मियाताड़ी की मूल निवासी है.हालांकि,वह कोलकाता में रहती है. लेकिन पैतृक गांव आना-जाना लगा रहता है.गांव में इनके मां-पिता, दादा-दादी सहित अन्य रिश्तेदार रहते हैं.
सादिया से बड़ी एक बहन और एक छोटा भाई है. उनके पिता बिजनेसमैन हैं. सादिया परवीन ने बताया कि उन्होंने पायलट बनने के लिए यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात में ट्रेनिंग ली थी. यहां अन्य देश की लड़कियों ने भी ट्रेनिगं ली.
मुस्लिम कंट्री होने की वजह से यहां हिजाब पहनकर ही प्लेन उड़ाने की इजाजत है. यही वजह है कि मुझे भी हिजाब पहनकर ट्रेनिग लेनी पड़ी. बता दें कि सादिया परवीन फिलहाल डोमेस्टिक प्लेन उड़ा रही है. हालांकि, जल्द इंटरनेशनल प्लेन उड़ाते नजर आएंगी.
उन्होंने बताया कि उनकी परवरिश सीवान में ही हुई है. प्रारंभिक शिक्षा भी यहीं से ग्रहण की. हालांकि, उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए कोलकाता जाना पड़ा. कोलकाता से पढ़ाई करने के बाद यूएई जाकर ट्रेनिंग लेने के बाद पायलट बनी. सादिया की मां रफात सुल्तान स्नातक हैं तथा पिता ने मैट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण किया है. सादिया परवीन के पिता अफसर व्यवसायी हैं.
बचपन का सपना हुआ साकार
सादिया का बचपन से ही एक सपना था कि वह हवाई जहाज उड़ाएं.अब यह सपना सच हो गया है.उन्होंने बताया कि जब बचपन में पिता के साथ प्लेन में सफर कर रही थी तो उसी समय मैंने ठाना कि मैं भी एक दिन प्लेन उड़ाऊंगी.
माता-पिता व परिवार के सभी लोगों का सहयोग मिला और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया.उन्होंने कोलकाता से पढ़ाई पूरी करने के बाद यूएई में दो साल तक पायलट की ट्रेनिंग ली.
अब वह एक लाइसेंस प्राप्त पायलट है.उनके माता-पिता ने बताया कि वे अपनी बेटी पर बहुत गर्व करते हैं. उन्होंने कहा कि सादिया की सफलता से अन्य युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी. सादिया ने कहा कि वह एक दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उड़ान भरना चाहती हैं.
वह अन्य महिलाओं को भी प्रोत्साहित करना चाहती हैं कि वे अपने सपनों को पूरा करने के लिए आगे बढ़ें. सादिया इस वक़्त सीवान आयी हुईं हैं. उनकी मौजूदगी पर सम्मान समारोह का आयोजन किया गया और सीवान की पहली पायलट बनने पर उन्हें नवाज़ा गया.इस मौक़े पर सादिया ने कहा कि सम्मान पा कर वह गौरवान्वित महसूस कर रही हूं.
सादिया का संदेश
सादिया का कहना है कि मां-बाप को अपने बच्चों पर ट्रस्ट करना चाहिए.इससे एक फ़ायदा यह है कि बच्चे जो नहीं करना चाहते परिवार के सहयोग से कर पाते हैं.
अपना अनुभव बांटते हुए वह कहती है कि मेरी कामयाबी को लेकर भी लोगों को संदेह था.तरह-तरह की बातें करते थे. बेटी है,विदेश पढ़ने गयी है,सफल होगी भी या नहीं?मगर मेरे माता-पिता को मेरे उपर पूरा भरोसा था.
मैंने भी ठान ली थी. इतनी दूर आ गये तो ख़ाली हाथ नहीं जायेंगे.कामयाबी का सफ़र आसान और मुश्किल दोनों था. मुस्लिम देश होने की वजह से हिजाब में ट्रेनिंग लेनी पड़ी और हिजाब में ही पहली बार उड़ान भी भरी.
हिजाब को लेकर वह कहती है कि यह बहुत ज़रूरी है. सफलता में यह बाधा नहीं बनता है.हम हिंदुस्तान की शहरी हैं. भारत एक सेकूलर स्टेट है.किसी की धार्मिक आज़ादी पर प्रतिबंध नहीं होना चाहिए. वह मुस्लिम हो,हिन्दू या सिख,ईसाई.
उड़ान भरते समय बादलों में गुम हो गयी
सादिया अभी तक 69 घंटे की उड़ान भर चुकी है.एक बार शारजाह में उड़ान भरते समय बादल में घुस गयी.हालांकि,उड़ान की उंचाई ज़्यादा नहीं थी.फिर भी बादलों में कुछ भी दिखाई नहीं पड़ने से वह थोड़ी देर के लिए घबराई.लेकिन फौरी तौर पर 180 डिग्री के कोण से प्लेन को मोड़ती हुई बादलों से निकल गयी.
लैंड करने पर साथी सदस्यों ने इंडियन बेटी कह कर हौसला बढ़ाया.तब मैं बहुत खुश हुई थी.उसकी प्राथमिकता इंडियन एयरलायंस में नौकरी करने की है.शॉर्ट टर्म कोर्स करने के लिए वह न्यूज़ीलैंड जा रही है.वहां से आने के बाद अंतरराष्ट्रीय पायलट बनने के लिए आवेदन निकलने का इंतेज़ार करेगी.
यूएई में भी वह जॉब करना चाहती है मगर पहली पसंद भारत है. कोलकाता में पली-बढ़ी सादिया को सीवान खिंच लाता है. वह कहती है कि यहां उसकी फूफी रहती हैं. साल में एक बार सीवान आना अच्छा लगता है.
बिहार की मिट्टी में अजीब तरह की लज्जत है. सादिया पहली लड़की है जो बेटों को भी अपने मन और अपनी पसंद से पढ़ाई करने देने का मशविरा देती हैं. वह क्रिकेटर मोहम्मद शमी और मोहम्मद सिराज का ज़िक्र करते हुए कहती हैं कि खेल में भी बहुत स्कोप है.