नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम महिलाओं को लेकर एक बड़ा फैसला दिया. जस्टिस नागरत्ना ने अपने फैसलेे में कहा कि समर्थ होने पर कोई शख्स अपनी पत्नी, बच्चे या माता-पिता के भरण-पोषण से इनकार नहीं कर सकता. ऐसा करने पर अदालत उसे भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ता देने का आदेश दे सकती है.
अदालत के फैसले पर तीन तलाक के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ने वाली सहारनपुर निवासी सुप्रीम कोर्ट की वकील फराह फैज ने आईएएनएस के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत कहते हुए कहा कि तीन तलाक पीड़ित महिला अपने पति से खुद के लिए व अपने बच्चों के भरण पोषण के लिए भत्ते की मांग कर सकती है.
वकील फराह फैज ने कहा, सीआरपीसी की धारा 125 हर महिला के लिए है. इसमें 10 हजार रुपया महीना गुजारा भत्ता तय किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दिए अपने फैसले में कहा कि धारा 125 के मुताबिक गुजारा भत्ता 1986 एक्ट मुस्लिम वूमेन प्रोटेक्शन लाइफ ऑफ़ मैरिज के आधार पर मुस्लिम महिला गुजारा भत्ते की मांग कर सकती है.
शरीयत का हवाला देते हुए फराह फैज ने कहा कि शरीयत में भी कहा गया है जब आप किसी महिला को तलाक दे रहे हैं और अगर आपका तलाक हो जाता है, आप किसी महिला को अपने घर से विदा करते हैं, तो उसका स्त्री धन आपको वापस करना होगा.
फैज ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के बाद महिलाओं को बहुत सहूलियत हो जाएगी, तलाक के बाद उनके भरण पोषण का संकट खत्म हो जाएगा.
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