बिहार की एसडीएम बनी ज़ेबा अब बनना चाहती हैं आईएएस

Story by  सेराज अनवर | Published by  [email protected] | Date 08-11-2023
Zeba became SDM of Bihar, now wants to become IAS
Zeba became SDM of Bihar, now wants to become IAS

 

सेराज अनवर/पटना 

बिहार में अब बेटियां कई परिवारों में शान की प्रतीक बन रही हैं.प्रतियोगिता परीक्षाएं क्रैक करअधिकारी बन रही हैं.गुज़िश्ता वर्षों से बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी)में मुस्लिम बच्चियों ने झंडा गाड़ रखे हैं.इस बार परचम लहराया ज़ेबा अर्शीने. मध्यम परिवार से आने वाली आरा की ज़ेबा ने BPSC67 वीं बैच की परीक्षा में 66 वां रैंक हासिल SDM बनने जा रही हैं.

ज़ेबा अर्शी की इस सफलता से न केवल परिवार ,पूरे इलाके के लोग खुश हैं.बीपीएसी परीक्षा परिणाम आते ही उनके घर में पर्व जैसा माहौल है. रिश्तेदारों का घर आने का सिलसिला निरंतर जारी है.भोजपुर ज़िले के लोग भी उन्हें बधाई देने पहुंच रहे हैं.बेटी की सफलता पर माँ और पिता के आंसू निकल आए.उन्होंने कहा, “गरीबी में किए गए परिश्रम का फल आज बेटी ने दिया है.”उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है.पिता मोहम्मद कुद्दूस प्राइवेट शिक्षक हैं,जबकि मां अस्मत जहां तालीमी मरकज में पढ़ाती हैं. परिवार का गुजारा किसी तरह चलता है.

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ज़ेबा अर्शी ने अब आईएएस बनने की ठानी 

अम्मी के ख्वाबों की ताबीर ज़ेबा की अम्मी अस्मत जहां का ख्वाब था कि मेरी बेटी अधिकारी बने. ज़ेबा ने अपनी अम्मी का ख्वाब पूरा किया है.बेटी की सफलता पर अस्मत बहुत खुश हैं. उनका कहना है,“ ज़ेबा पढ़-लिखकर अधिकारी बने ऐसा हम लोग चाहते थे. हम ज़ेबा पर किसी काम का दबाव नहीं डालते थे. यहां तक कि उससे घर का काम भी नहीं कराते थे.”वो सुबह उठती और अपने पढ़ाई में लग जाती थी.

गांव की वजह से कम सुविधा मिलती थी.उसके बाद भी वो इंटरनेट की वजह से सब उपलब्ध कर लेती थी. अस्मत का कहना है कि मेरी बेटी ने बीपीएससी निकाला है.अब वो आगे यूपीएससी की भी तैयारी करे.यह परिवार भोजपुर जिले के पीरो प्रखंड स्थित भागलपुर मोहल्ला का निवासी है.

ज़ेबा अर्शी बेहद ही मध्यम परिवार से संबंध रखती हैं. उन्होंने आर्थिक परेशानियों को झेलते हुए इस मुकाम को हासिल किया है.ज़ेबा अर्शी के माता-पिता ने इस कामयाबी के पीछे बेटी की लगन और उसके पढ़ाई के कठिन प्रयास को मान रहे हैं. मां अस्मत जहां ने कहा कि मध्यम परिवार में रहकर बेटी को पढ़ाना काफी मुश्किल था.

लेकिन हम लोग हिम्मत नहीं हारे और बेटी को पढ़ाते गए जिसका परिणाम आज हम सभी को खुशियों के जरिए मिला है. खुशी के मारे माता-पिता के आंसू छलक आए.पिता कुद्दुस कहते हैं कि ट्यूशन पढ़कर बेटी को बीपीएससी करना थोड़ा मुश्किल था, लेकिन इधर-उधर से व्यवस्था करके बेटी को सुविधा उपलब्ध कराया.इनका गुज़ारा ट्यूशन पढ़ा कर चलता है.जेबा अपने दो भाई-बहनों में बड़ी हैं. 

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 कैसे की  बीपीएससी की तैयारी ?

ज़ेबा  अर्शी ने पीरो के पुष्पा उच्च विद्यालय से 2013 में मैट्रिक की परीक्षा फर्स्ट डिवीजन से पास की. वहीं महात्मा गांधी डिग्री कालेज से बीए पास किया.इसके बाद घर से ही बीपीएससी परीक्षा की तैयारी की और तीसरी बार में परीक्षा पास कर परिवार समेत पूरे जिले का नाम रोशन कर दिया.

पहली बार में जेबा पीटी की परीक्षा तो पास कर ली थी, लेकिन मेन्स नहीं निकल पाया था. फिर दूसरी बार में मेन्स का रिजल्ट आया लेकिन इंटरव्यू नहीं निकला. इसके बाद भी जेबा ने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार में उन्होंने परचम लहरा दिया.ज़ेबा  का कहना है कि कामयाबी के पीछे सबसे बड़ा श्रेय अल्लाह तआला और वालिदेन के अलावा टीचर सहित सभी लोगों का है, जो हमसे जुड़े.

उन्होंने बताया कि मेरा आगे का सपना यूपीएससी एग्जाम निकाल कर आईएएस बनना है.ज़ेबा अर्शी ने स्कूलिंग से लेकर ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई घर में रहकर की.ना कोचिंग,ना लाखों का खर्च, सेल्फ स्टडी से ज़ेबा बन गयी एसडीएम.ज़ेबा कहती हैं घर से मुझे बहुत सपोर्ट मिला है.

ग्रामीण एरिया होने की वजह से मेटेरियल्स यहां डायरेक्ट उपलब्ध नहीं हो पाते हैं. उसके लिए पटना जाना पड़ता है, लेकिन अभी ऑनलाइन बुक स्टोर की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में भी आसानी से मिल जा रहा है.अब इंटरनेट आने की वजह से ज्यादा परेशानी नहीं होती है.जेबा का कहना है कि करंट न्यूज़ और इंफॉर्मेशन के लिए सोशल मीडिया काफी अच्छा माध्यम है. उसने करेंट अफेयर्स की तैयारी सोशल मीडिया से ही की. 

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 ज़ेबा के लिए बढ़ी इंटरव्यू की तारीख़ 

ज़ेबा अर्शी को तीसरे प्रयास में सफलता मिली है. ज़ेबा ने अपनी बीपीएससी यात्रा के बारे में बताया कि पहली बार तो उसने पीटी पास कर ली थी, लेकिन मेन्स की परीक्षा नहीं निकाल पायी. दूसरी बार परीक्षा दिया तो पीटी और मेन्स निकल गया लेकिन इंटरव्यू नहीं निकल पाया.बीपीएससी के तत्कालीन चेयरमैन आरके महाजन ने ज़ेबा के लिए इंटरव्यू की तारीख तक बढ़ा दी थी क्योंकि उन्हें वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी से मूल प्रमाणपत्र समय पर नहीं मिल पाया था.

तीसरी बार में क़िला फतह कर लिया. मुस्लिम पृष्ठभूमि से आनी वाली ज़ेबा ने हिन्दी भाषा और साहित्य से बीपीएससी में 66वां रैंक हासिल किया.जेबा ने बताया कि 2018 के बाद से सेल्फ स्टडी करना शुरू कर दिया था. इसके बाद 2019 में हज हाउस पटना में पीटी की तैयारी की ओर फिर 2020 में दोबारा मेन्स की तैयारी करने के लिए गई थी.

जहां उन्हें बहुत कुछ सीखने और देखने का मौका मिला ज़ेबा ने तीसरे प्रयास में यह कामयाबी हासिल कर ही ली.क़स्बाई इलाक़े की मुस्लिम बच्चियां अपनी लगन,मेहनत और जुनून से दूसरों के लिए प्रेरणा बन रही हैं आरा के ही भाई डीएसपी और बहन बनी अधिकारी बीपीएससी के 67 वीं प्रतियोगिता परीक्षा में आरा के एक मुस्लिम परिवार ने भी परचम लहराया है.

आरा के खालिद हयात ने डीएसपी और उनकी बहन ज़ूबी हयात ने नगर पालिका के कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर कामयाबी हासिल कर अपने परिवार वालों के साथ भोजपुर जिले का नाम भी रौशन किया है.खालिद और ज़ूबी को यह कामयाबी बीपीएससी के 67 वीं प्रतियोगिता परीक्षा में मिली है.

खालिद हयात ने चौथा रैंक प्राप्त कर पुलिस सर्विस में टॉप किया है. गौरतलब है कि खालिद के पिता सैयद जावेद हयात खुद पुलिस अधिकारी रहे हैं. उन्हीं से प्रेरणा लेकर खालिद ने पुलिस सर्विस में जाना बेहतर समझा.खालिद हयात के पिता भोजपुर के संदेश थाना के तहत शिरकी चक के मूल निवासी हैं,लेकिन अभी पूरा परिवार पटना जिला के फुलवारी शरीफ में रहता है.जबकि ननिहाल आरा के बलबतरा मोहल्ले में है.

खालिद ने मैट्रिक गया के डीएवी स्कूल से किया जबकि स्नातक वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से करने के बाद बीपीएससी की तैयारी में लग गए.तीसरी दफा उन्हें यह कामयाबी मिली.वहीं उनकी बहन ने पहली बार में ही कार्यपालक अधिकारी बन सबको चौंका दिया.खालिद अपनी कामयाबी के पीछे अपने दोस्तों के साथ घर वालों का शुक्रिया अदा करते हैं जिन्होंने हर क़दम पर उनका साथ दिया.

साथ ही चट्टान बनकर उनके हर फैसले के साथ खड़े रहे. ज़ूबी हयात आईएएस बनकर देश की सेवा करना चाहती हैं.इसकी तैयारियों में भी वह लग गयी हैं. दोनों भाई बहनों को मुबारकबाद देने का सिलसिला अभी भी चल रहा है.गांव जवार के साथ नाते रिश्तेदार उनके माता-पिता को घर पहुंच कर शुभकामनाएं और बधाई दे रहे हैं.