यूनुस का निकाह और सौरभ के फेरे: कोटा की साझा शादी बनी गंगा-जमुनी तहज़ीब की मिसाल

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 21-04-2025
Yunus's Nikaah and Saurabh's wedding: Kota's joint wedding becomes an example of Ganga-Jamuni Tehzeeb
Yunus's Nikaah and Saurabh's wedding: Kota's joint wedding becomes an example of Ganga-Jamuni Tehzeeb

 

मोहम्मद फरहान इसराइली | कोटा/जयपुर

कोटा, जिसे देशभर में शिक्षा नगरी के रूप में जाना जाता है, ने इस बार एक ऐसी मिसाल पेश की है जो सामाजिक सौहार्द, एकता और गंगा-जमुनी तहज़ीब की बेमिसाल कहानी बन गई है. यहां 17 से 19 अप्रैल 2025 के बीच दो पुराने दोस्तों ने अपने बेटों की शादी को इस तरह मिलाकर मनाया कि यह आयोजन महज एक पारिवारिक उत्सव नहीं रहा, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरक संदेश बन गया.

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एक मंडप, दो धर्म, तीन दिन और एक दिल

कोटा के जनकपुरी माला रोड निवासी अब्दुल रऊफ अंसारी और विश्वजीत चक्रवर्ती, जो पिछले 40 वर्षों से न सिर्फ अच्छे दोस्त हैं बल्कि पड़ोसी और व्यापारिक साझेदार भी हैं, उन्होंने अपने बेटों की शादी एक साथ करने का फैसला किया.

यह शादी एक अनूठा अनुभव बन गई, जिसमें मुस्लिम निकाह और हिंदू विवाह संस्कार दोनों एक ही जगह, एक ही मंडप में लेकिन अलग-अलग दिन सम्पन्न हुए.

17 अप्रैल को रऊफ अंसारी के बेटे युनूस परवेज अंसारी का निकाह फरहीन अंसारी के साथ ईशा की नमाज के बाद पढ़ाया गया.
18 अप्रैल को चक्रवर्ती परिवार के बेटे सौरभ चक्रवर्ती ने श्रेष्ठा राय संग हिंदू रीति-रिवाजों से सात फेरे लिए.
19 अप्रैल को दोनों परिवारों ने मिलकर साझा रिसेप्शनदावत-ए-खुशी’ आयोजित किया, जिसमें हर धर्म, वर्ग और समुदाय के लोगों ने शिरकत की.

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एक निमंत्रण पत्र, दो भाषाएं, एक सोच

इस अनूठी शादी का निमंत्रण पत्र भी उतना ही खास रहा। इसमें एक तरफ हिंदी, दूसरी तरफ उर्दू में संदेश छपा था.

इसे ‘उत्सव-ए-शादी’ नाम दिया गया. कार्ड पर ‘दर्शनाभिलाषी’ के रूप में दोनों परिवारों के नाम एक-दूसरे की शादी में संयुक्त मेजबान के रूप में दर्ज किए गए थे.

युनूस के निकाह वाले दिन चक्रवर्ती परिवार ने मेजबानी की, वहीं सौरभ की बारात में अंसारी परिवार स्वागतकर्ता बना.

यह भावनात्मक साझेदारी इस आयोजन को महज़ रस्मों तक सीमित नहीं रखती, बल्कि यह एक भावनात्मक एकता और साझी संस्कृति का जश्न बन जाती है.

40 साल पुरानी दोस्ती, जो दो पीढ़ियों तक फैली

अब्दुल रऊफ अंसारी और विश्वजीत चक्रवर्ती की दोस्ती की शुरुआत स्टेशन इलाके की मस्जिद गली से हुई थी, जहां वे एक-दूसरे के पड़ोसी थे.

समय के साथ यह रिश्ता और गहरा हुआ, दोनों ने प्रॉपर्टी डीलिंग में साझेदारी की और बाद में जनकपुरी माला रोड पर पास-पास घर बनाए.

अब यह दोस्ती उनके बेटों युनूस और सौरभ तक पहुंच गई है, जिन्होंने अपने पिताओं की तरह आपसी समझदारी और भाईचारे को कायम रखा.

दोनों ने शादी का हर निर्णय मिलकर लिया और कहा कि “हमारे बीच कभी मजहब दीवार नहीं बना. यह आयोजन परंपरा और मोहब्बत का साझा उत्सव था.”

साझा समारोह में दिखी सामाजिक एकता

इस आयोजन में न सिर्फ दोनों धर्मों के परिवारजन शामिल हुए, बल्कि शहर के विभिन्न समुदायों के लोग भी इसमें शरीक हुए. कार्यक्रम के दौरान सांप्रदायिक सौहार्द, साझी संस्कृति और समरसता का ऐसा उदाहरण देखने को मिला, जो विरले ही संभव होता है.

सौरभ चक्रवर्ती, जिनका परिवार मूल रूप से बंगाल से है और अब कोटा में बस गया है, मेडिसिन डिस्ट्रीब्यूशन का व्यवसाय करते हैं. वहीं युनूस परवेज अंसारी आईटी सेक्टर में कार्यरत हैं.

सौरभ कहते हैं, “हम चाहते थे कि हमारे सभी रिश्तेदार इस खुशी में मिलकर शामिल हों. अलग-अलग आयोजन करने के बजाय एक साथ जश्न मनाने का निर्णय लिया गया.” युनूस का भी मानना है कि इस आयोजन ने न केवल पारिवारिक रिश्तों को मज़बूती दी है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक सकारात्मक संदेश है.

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साझा भोज: ‘दावत-ए-खुशी’

19 अप्रैल को काला तालाब स्थित एक भव्य रिसॉर्ट में साझा रिसेप्शन हुआ, जिसमें दोनों परिवारों ने संयुक्त रूप से मेहमानों का स्वागत किया. पारंपरिक भोजन, संगीत और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से सजी इस शाम ने सभी उपस्थित लोगों के दिलों में सौहार्द का संदेश छोड़ दिया..

भारत की विविधता में एकता की असल तस्वीर

इस आयोजन ने एक बार फिर साबित कर दिया कि भारत की ताकत उसकी विविधता में है. यहां जब दिल मिलते हैं तो मजहब की दीवारें खुद-ब-खुद गिर जाती हैं. युनूस और सौरभ की यह शादी सिर्फ दो दोस्तों के बच्चों का मिलन नहीं था, यह दो तहज़ीबों, दो धर्मों, दो परिवारों, और एक सोच का संगम था.

इस शादी ने यह दिखा दिया कि “जब दिल मिलते हैं तो रस्में रास्ता बना लेती हैं, और जब इंसानियत साथ होती है तो हर धर्म अपने आप एक हो जाता है.”


यह शादी नहीं, एक विचार थी — कि हम सब एक हैं!!

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