मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
जमात ए इस्लामी हिन्द का हेडक्वाटर इन दिनों रोशनियों, साहित्यिक महफिलों, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, स्वादिष्ट व्यंजनों से सजा हुआ है जहां तीन दिवसीय अल-नूर साहित्य महोत्सव में देश के कोने से इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया के हजारों कार्यकर्ता पहुंचे है. इस साहित्य महोत्सव में छात्रों के द्वारा प्रदर्शनी लगाई गई है जिसमें मुस्लिम संस्कृति, जमाअत इस्लामी के दिवंगत शख्सियतों की तस्वीरें, उनके कथन को किताबी शक्ल में पेश किया गया है.
फिलिस्तीन पर हो रहे जुल्म, जेल में बंद मुसलमान जवानों की तस्वीरें, सीसीए से जुड़ी हुई तस्वीरों को दिखाया गया है. इसके अलावा स्वादिष्ट व्यंजन स्टॉल लगाया गया है. जहां दूसरे दिन का कार्यक्रम दर्शन, इस्लामी सभ्यता, साहित्य, संस्कृति, मुशायरा, पैनल चर्चा, किताब का विमोचन किया गया.
दूसरे दिने के कार्यक्रम में इमाम मौदूदी हॉल में “मुसलमानों और फिल्मों में अंतर्संबंध” विषय पर डॉ नादिरा खातून ने कहा कि फिल्मों में जो चीजें दिखाई जाती हैं सच उसके उलट होता है. मुसलमानों की छवि को ज्यादा जगहों पर गलत तरीके से पेश किया जाता है. अब ऐसी फिल्मों से लोगों का भरोसा उठ गया है. जैसे, कश्मीर फाइल में जिस तरह मुसलमानों को दिखाया गया है कि लोग विश्वास करना छोड़ दिया है.
शरीयत में उद्यमिता पर जोर
इमाम मौदूदी हॉल में “उद्यमिता के क्षेत्र से जुड़ी कहानियाँ” के विषय पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया. जिसमें हैदराबाद से पहुंचे कारोबारी अनीस अहमद ने युवाओं को उद्यमिता की तरफ आकर्षित करते हुए बताया कि शरीयत में व्यापार को बहुत महत्व दिया गया है.
दुनिया के किसी भी धर्म और व्यवस्था ने अर्थव्यवस्था और व्यापार को वह स्थान और महत्व नहीं दिया जो इस्लाम ने दिया है. देश में मुस्लिम कारोबारी न के बराबर है. मारवाड़ी, सिंधी समुदाय के कारोबारियों की धूम पूरी दुनिया में है. इसके पीछे मजबूत सामाजिक ताना-बाना और नैतिकता है.
मुस्लिम नौजवान धार्मिक निर्देशों का पालन करके उद्योग खड़ा कर सकते हैं. आपके पास वजन होना चाहिए, ऐसा नहीं की कुछ वक्त के लिए तैयार हुए, फिर हार मान कर बैठ गए. एमबीए चायवाला, फॉक्स, टेल्सा जैसी कम्पनी कोई एक दिन में खड़ा नहीं हुआ है, इसके पीछे अनुभव और सच्ची लगन है.
अब्दुल खालिक ने कहा कि आप कोई भी बिजनेस छोटी चीज से करें, ज्यादा न सोचें . सिर्फ अपने काम दे. धीरे-धीरे आगे बढ़ेंगे. इस सेशन को अब्दुल्ला आजम ने संचालन किया. हमारे यहां खराबी है कि थोड़ी सी दौलत आते ही घमंड आ जाता है लेकिन दूसरे समुदाय में ये चीजें नहीं है. हमें ध्यान देना चाहिए.
कुरान साहित्यिक चमत्कार है
डॉ मोहिद्दीन गाजी ने “कुरान एक साहित्यिक चमत्कार है” विषय पर भाषण देते हुए कहा कि कुरान की शैली और संरचना इतनी अलग है कि उसकी समानता को हासिल करना असंभव है. इसके शब्द, वाक्य संरचनाएं और पढ़ने की शैली यह अल्लाह की नेमत है.
कुरान में जो शैली और शास्त्रिक गुण पाए जाते हैं, वे किसी भी मानव रचना से परे हैं. मुसलमानों के लिए कुरान न केवल एक धार्मिक मार्गदर्शन है, बल्कि एक साहित्यिक और कुदरती चमत्कार भी है, जो दुनिया में मार्गदर्शन के लिए है.
इस्लामी सभ्यता का सांस्कृतिक ताना-बाना
तीसरे सत्र के दौरान मरियम जमीला हॉल में “इस्लामी सभ्यता का सांस्कृतिक ताना-बाना” पर बोलते हुए कहा कि इस्लामी सभ्यता का सांस्कृतिक ताना-बाना बहुत ही समृद्ध, विविध और बहुपरकारी है, जो विभिन्न कालखंडों और भौगोलिक क्षेत्रों में फैला हुआ है.
इस्लामी वास्तुकला में मस्जिदों, मीनारों, किलों, और महलों की अद्वितीय संरचनाएं देखी जा सकती हैं. देश में ताज महल, लाल किला, कुतुब मीनार को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. मक्का की मस्जिद ए हरम, इस्तांबुल का आयस सोफिया विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है.
उन्होंने आगे कहा कि इस्लामी सभ्यता का सांस्कृतिक ताना-बाना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि कला, साहित्य, विज्ञान, और सामाजिक संरचनाओं के रूप में भी अत्यधिक समृद्ध और विविधतापूर्ण है. इस सभ्यता ने न केवल मध्यकालीन और आधुनिक दुनिया को आकार देने में मदद की, बल्कि यह आज भी विभिन्न क्षेत्रों में अपनी छाप छोड़ रही है.देर शाम, दूसरे दिन का आखिरी सत्र में मुशायरे के आयोजन के साथ खत्म हुआ. शुरुआत सरफराज नज्मी द्वारा नात शरीफ से हुई .
इंतजार नईम
हम सितमगर के परस्तार नहीं होने के
जिनते सुर्खियां अखबार नहीं होने के
सफर नक़वी,
ये तैग हाथ नहीं, हटकड़ी को काटेगी
डरो नहीं तुम्हें आजाद करने आए हैं.
शायर अनीस नबील फलस्तीन के मौजूदा हालात पर पेश किया
मासूम फलस्तीनी परिंदों के मुक़ाबिल
सय्याद लिए तीरो व कमां कांप रहा है
इरशाद मज़हरी
वह हिन्दू हो के ईसाई मुसलमां हो के सिख भाई
सभी फूले फले इसमें यहीं अरमान सबका है
किसी एक कौम की जागीर हर्गिज हो नहीं सकता
मैं ये दावे के साथ कहता हूं हिन्दुस्तान सबका है
असरार राजी
ऐ अज ए फलस्तीन तेरे नाल ए गम पर
आया है लहू दिल का नोके कलम पर
डॉ खालिद मुबश्शिर
जुलमतों नूर में वहदत नहीं होगी हमसे
यानी मा बाद ए सदाकत नहीं होगी हमसे
जिनकी ताबीर में हस्ती का जिया भी हो कबूल
ऐसे ख्वाबों की अहानत नहीं होगी हमसे
डॉ वाहिद नजीर
खुशनुमां शख्स को वो अच्छी सजा देता है
कुछ नहीं कहता बस आईना दिखा देता है
नसीम फाएक
ऐ मौसमी किड़ों करो उस पेड़ पर दावा
खोदों जड़े शंकर का कोई विंग मिलेगा
शमशुल होदा मासूम
अकड़ तुम्हारी नहीं चलेगी, जमीं पर फितना नहीं चलेगा
खुदा के बंदे, कमद खुदा की खुदा का लहज़ा नहीं चलेगा.
सरफराज बज्मी
मुफ्त में कंघा मुझे देने से अब क्या फायदा
तुमने सर बाल कब छोड़े है कंघे के लिए.
मकसूद अनवर मकसूद
तुम फरेबी हो, सदाकत से तुम्हें किया मतलब
हम हुसैनी है हकीकत पर नजर रखते हैं.