सज्जाद नोमानी की उम्मीदवारों की सिफारिश से बदलेंगे राजनीतिक समीकरण ? एमआईएम को नुकसान का अनुमान

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-11-2024
Will Sajjad Nomani's recommendation of candidates change the political equation? MIM estimates losses
Will Sajjad Nomani's recommendation of candidates change the political equation? MIM estimates losses

 

जगदीश पानसरे

मनोज जरांगे पाटिल ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का निर्णय लेकर मराठा-दलित-मुस्लिम एकजुटता का आह्वान किया.इसके लिए मौलाना सज्जाद नोमानी समेत कुछ मुस्लिम धर्मगुरु और दलित नेता अंतरवाली सराटी पहुंचे,लेकिन अब मनोज जरांगे पाटिल ने चुनाव से पीछे हटकर कुछ सीटों पर मुकाबला और कुछ जगहों पर समर्थन की भूमिका अपनाई है.

दूसरी तरफ, मौलाना सज्जाद नोमानी ने मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर महाराष्ट्र के अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में महाविकास आघाड़ी के उम्मीदवारों को समर्थन देने की घोषणा की.इस निर्णय का सबसे बड़ा असर एमआईएम पर पड़ने की संभावना है. 

एमआईएम ने महाराष्ट्र के 16निर्वाचन क्षेत्रों में उम्मीदवार उतारे हैं.इनमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद इम्तियाज जलील का औरंगाबाद पूर्व विधानसभा क्षेत्र भी शामिल है.लोकसभा चुनाव में शहर के पूर्व, पश्चिम और मध्य तीनों निर्वाचन क्षेत्रों में बढ़त मिलने से एमआईएम का आत्मविश्वास बढ़ गया था.इस रणनीति के तहत इम्तियाज जलील ने खुद पूर्व क्षेत्र से चुनाव लड़ने का फैसला किया और नासिर सिद्दीकी को फिर से मध्य क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया. 

इम्तियाज जलील के इस प्रस्ताव को पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी मंजूरी दी.दलित-मराठा-मुस्लिम समीकरण और मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात की पृष्ठभूमि में एमआईएम के पूर्व और मध्य क्षेत्रों में चमत्कार दिखाने की संभावनाएं जताई जा रही थीं.लेकिन इस रणनीति को वंचित बहुजन आघाड़ी ने पहले ही झटका दे दिया, जब उसने लोकसभा चुनाव में इम्तियाज जलील के प्रतिद्वंद्वी अफसर खान को पूर्व क्षेत्र से मैदान में उतार दिया. 

इसके अलावा, पूर्व क्षेत्र में 15मुस्लिम उम्मीदवारों के मैदान में होने से एमआईएम की वोट बैंक को तोड़ने की रणनीति अपनाई गई.चुनाव प्रचार समाप्त होने से चार दिन पहले मुस्लिम धर्मगुरु सज्जाद नोमानी के निर्णय ने आखिरी प्रहार किया.एमआईएम के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व क्षेत्र से दो बार चुनाव लड़ चुके, अब समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार, डॉ. गफ्फार कादरी को सज्जाद नोमानी ने अपना समर्थन दिया.(हालांकि धुले में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार इर्शाद जहागीरदार की सिफारिश स्थानीय मौलवियों के दबाव में वापस लेकर एमआईएम के मौजूदा विधायक फारुख शाह को देर रात समर्थन दिया गया.) 

मनोज जरांगे पाटिल से मुलाकात कराने और दलित-मुस्लिम-मराठा एकजुटता की कोशिश में अहम भूमिका निभाने वाले इम्तियाज जलील की अब घेराबंदी की गई है.अब तक एमआईएम की सारी रणनीतियां सफल हो रही थीं, लेकिन सज्जाद नोमानी के इस रुख ने एमआईएम के इम्तियाज जलील को डेंजर ज़ोन में डाल दिया है. 

बीजेपी महायुती के उम्मीदवार अतुल सावे के लिए स्थिति अब अधिक अनुकूल होती दिख रही है,कांग्रेस द्वारा पहले घोषित मराठा उम्मीदवार को बदलना, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के राजू वैद्य का चुनाव से पीछे हटना, और सज्जाद नोमानी का एमआईएम छोड़कर समाजवादी पार्टी के गफ्फार कादरी को समर्थन देना, ये सभी राजनीतिक घटनाक्रम इम्तियाज जलील के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं.

एमआईएम, वंचित बहुजन आघाड़ी, कांग्रेस और 15 मुस्लिम उम्मीदवारों के इस पूरे गड़बड़झाले में अतुल सावे की राह आसान होती नजर आ रही है.