ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली
अल्लाह तेरो नाम, ईश्वर तेरो नाम ये सिर्फ एक गाना नहीं, एकता का प्रतीक है. इस गाने की रिहर्सल के दौरान जब लता मंगेशकर ने तबले पर संगत कर रहे अपने तबला मैस्ट्रो के बेटे के गाल पर हाथ रखकर कहा कि ये भी एक दिन बड़ा कलाकार बनेगा, तब असग़र हुसैन के पिता उस्ताद अनवार हुसैन को नहीं मालूम था कि असग़र हुसैन वाकई दुनिया के सबसे मुश्किल वाद्ययंत्र वायलिन बजाने में निपुणता हासिल कर वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन बन जाएंगें. वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन ने आवाज को बताया, “वायलिन एकमात्र ऐसा वाद्ययंत्र है जो दुनिया के हर एक कोने में अलग तरह से बजाया जाता है.”
शास्त्रीय संगीत, जैज़, लोक संगीत आदि वायलिन स्टाइल्स उस्ताद असग़र हुसैन अपने 100 साल पुराने वायलिन पर बजा लेते हैं. वे पिछले चार दशकों से राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वायलिन वादन कर रहे हैं. उस्ताद असगर हुसैन भारतीय शास्त्रीय वायलिन वादक हैं और उनका ताल्लुक दिल्ली घराने से है. संगीत के महारथियों के साथ भी उस्ताद असग़र हुसैन ने वायलिन बजाया है, जिनमें प्रमुख रूप से उस्ताद सलामत अली खान, मेहदी हसन, जगजीत सिंह, हरिहरन, आदि दिग्गज शामिल हैं.
violinist Ustad Asghar Husain
वायलिन ही क्यों चुना?
असग़र हुसैन बताते हैं, “पहली बार मैंने वायलिन आकाशवाणी रेडियो में देखा जब मैं अपने पिता के साथ वहां गया था. तभी 6 साल की उम्र में उन्होंने मन बना लिया कि वे वायलिन ही बजाएंगे. मुझे मेरे पिता उस्ताद अनवार हुसैन से उन्हें मालूम हुआ कि वायलिन विश्व के सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्रों में से एक है और इसे सीखना बच्चों का खेल नहीं."
असग़र हुसैन ने 10 साल की उम्र में वायलिन सीखना शुरू किया. उस्ताद गौहर अली खान, उस्ताद ज़हूर अहमद खान, उस्ताद इक़बाल अहमद खान जो प्रसिद्ध गायक हैं. ये सभी असग़र हुसैन के गुरु रहे.
पहली वायलिन परफॉर्मेंस
वायलिन बजाने में महारथ हासिल कर उस्ताद असग़र हुसैन ने अपनी पहली वायलिन परफॉर्मेंस आकाशवाणी में ही दी और सबका मन मोह लिया. फिर उनका यह सफर थमा नहीं और वे अपने वायलिन के कारण अख़बारों की सुर्खियों में रहे. इसमें देश- विदेश के नामी अखबार शामिल हैं जैसे भारत का हिंदुस्तान टाइम्स, इंडियन एक्सप्रेस, पायनियर, ट्रिब्यून, दुबई का खलीज टाइम्स, पाकिस्तना का द डॉन, इंग्लैंड का संडे गार्जियन वगैरह. इसके साथ ही फ्रेंच और जर्मन अखबारों में भी उनकी काफी चर्चा हुई.
Violinist Ustad Asghar Husain Performing in akashwani
वायलिन जादूगर असगर हुसैन अपनी कला में भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध विरासत और पश्चिमी संगीत के आधुनिक और परिष्कृत तरीकों का एक दुर्लभ संयोजन लाते हैं. उन्होंने गायकी और तंत्रकारी शैलियों का अपना मिश्रण विकसित किया है. वह आकाशवाणी और दूरदर्शन के 'टॉप ग्रेड' कलाकार हैं और उन्होंने पूरे भारत और यूके, यूएसए, कनाडा, जर्मनी, फ्रांस, हॉलैंड और मध्य पूर्व में प्रतिष्ठित संगीत समारोहों में भाग लिया है.
प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष वायलिन पेश करने का अनुभव
ओमान के सुल्तान हैतम बिन तारिक की भारत यात्रा पर उस्ताद असग़र हुसैन को माननीय प्रधानमंत्री मोदी की ओर से न्योता मिला और उन्होंने हैदराबाद हाउस नई दिल्ली में दोनों अहम शख्सियतों के सामने वायलिन बजाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया. प्रधानमंत्री मोदी को उस्ताद असग़र हुसैन का वायलिन इतना पसंद आया. साथ ही उनके वायलिन की जी भरकर तारीफ की.
Violinist Ustad Asghar Husain with pm modi and Sultan of Oman Haitam bin Tariq
उस्ताद असग़र हुसैन को दूसरी बार भी प्रधानमंत्री मोदी के सामने अपनी खास पेशकश करने का मौका मिला. जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, मोदी से मुलाकात के लिए भारत आए. प्रधानमंत्री मोदी ने उस्ताद असग़र हुसैन के सामने 'वैष्णव जन' भजन सुनने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद 'वैष्णव जन' फेमस भजन की धुन उस्ताद असग़र हुसैन ने अपने वायलिन पर बहुत सुन्दर तरीके से बजाई.
वह कहते हैं, “प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष वायलिन पेश करना मेरे लिए गर्व की बात थी. मुझे खुशी की अनुभूति हुई जब मैं मोदी जी की फरमाईश पूरी कर सका. मोदी जी और मेरे बीच बहुत कम फासला था और ऐसे में वे मग्न होकर मेरे वायलिन को सुन रहे थे. उस वक़्त मुझे मेरी कला को हॉल में सभी गणमान्यों ने मेरी कला को सराहा और तारीफ की यह मेरे लिए अतुलनीय अनुभव था.”
Violinist Ustad Asghar Husain with pm modi and russian president Vladimir Putin
उस्ताद असग़र हुसैन के हिसाब से संगीत की परिभाषा
हुसैन कहते हैं, “संगीत रूह की हिजा है, अंग्रेजी में कहे तो यह आत्मा का भोजन है (its food to soul). संगीत एक पुल है, जो सभी असमानताओं को पाटता है. मैं सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हूं और अपने वीडियो लगातार वहां पोस्ट करता हूं, एक दिन मैंने गौर किया कि एक महिला लगातार मेरे सारे वीडियो पर लम्बा कमेंट करतीं हैं. मैंने उनसे संपर्क किया, तो मालूम हुआ कि वे पिछले तीन साल से बेड रेस्ट पर थीं और मेरे वायलिन वीडियो के सहारे वे अब अपने बिस्तर से उठकर टहलने लगीं थीं.
महिला ने मुझे फोन पर बताया कि वे प्रसीद्ध शास्त्रीय गायक स्वर्गीय पंडित सियाराम तिवारी जी की बेटी आशा पाठक हैं, उन्हें मेरे वायलिन ने स्वस्थ किया, तो संगीत मेरे हिसाब से एक हीलर के तौर पर भी काम करता है.” वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन कहते हैं “संगीत की कोई भाषा नहीं होती. इसकी एक सार्वभौमिक अपील है. यह धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करता. यह एक उन्मुक्त बहती नदी की तरह है जो सभी को समान जल प्रदान करती है.''संगीत जाति, पंथ या धर्म के बावजूद सभी के लिए समान अपील रखता है.''
क्लासिकल वाद्ययंत्रों को मॉडर्न म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स से खतरा नहीं
शहनाई, वायलिन, सारंगी, सितार, सरोध, ढोलक, संतूर, तबला, हरमोनियम आदि संगीत वाद्ययंत्र क्लासिकल केटेगरी में आते हैं. आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक पियानो और कीबोर्ड आ चुके हैं. संगीत की दुनिया में नया कदम रखने वाले ज्यादातर गायक और वादक कीबोर्ड का सहारा ले रहे हैं क्योंकि इसमें हर म्यूजिकल इंट्रूमेंट के लिए एक इंस्ट्रूमेंट के लिए एक बटन मौजूद है.
यहां समझने वाली बात ये हैं कि संगीत दो तरह का है एक क्लासिकल और दूसरा लाइट म्यूजिक, तो जो लाइट म्यूजिक आजकल लोग कर रहे हैं उसमें इलेक्ट्रॉनिक पियानो और कीबोर्ड कारगर साबित हो सकता है लेकिन शास्त्रीय और क्लासिकल म्यूजिक में अगर आप ये सोचे कि आप उसी कीबोर्ड पर बटन दबाकर हरमोनियम बजा लेंगें तो वह स्वाद नहीं आएगा, म्यूजिक फीका लगेगा और उसमें कुछ मिसिंग लगेगा. इसीलिए क्लासिकल वाद्ययंत्र की तुलना में अबतक कुछ भी मार्किट में नहीं आया. क्लासिकल वाद्ययंत्रों को मॉडर्न म्यूजिकल इंट्रूमेंट्स से कोई खतरा नहीं है.
क्लासिकल वाद्ययंत्रों की तुलना किसी मॉडर्न म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट से करना बेकार है. हालांकि ये बात सत्य है कि क्लासिकल वाद्ययंत्रों और मॉडर्न म्यूजिक इंस्ट्रूमेंट दोनों को मेंटेन करने में महनत है. वायलिन मास्टर उस्ताद असग़र हुसैन कहते हैं, “क्लासिकल वाद्ययंत्र और क्लासिकल वाद्ययंत्र कलाकार आज भी संगीत समाज में अहम भूमिका रखते हैं जिनकी तुलना किसी और से करना फिज़ूल है.”
विभिन्न वायलिन स्टाइल्स पर लेक्चर
उस्ताद असग़र हुसैन खास सेशन में कई विश्वविद्यालयों में विभिन्न वायलिन स्टाइल्स पर लेक्चर भी देते हैं. उनका मानना है कि संगीत को सुनने वालों को उसकी ग्रामर में न जाकर केवल उसका आनंद लेना चाहिए. क्योंकि अगर श्रोतागण म्यूजिक के ग्रामर में गए तो वे उसे एन्जॉय नहीं कर पाएंगें. युवाओं को भारतीय शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा के बारे में बताया जाना बहुत जरूरी है, जिससे उनका रुझान भी भारतीय शास्त्रीय संगीत की तरफ बढ़े.
भारतीय शास्त्रीय संगीत का उज्ज्वल भविष्य
वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन ने आवाज को बताया कि शास्त्रीय संगीत का इतिहास जितना समृद्ध है इसका भविष्य भी उतना ही उज्ज्वल है. अब युवा इससे जुडऩे लगे हैं. कई युवा आगे आ रहे हैं जिनसे काफी उम्मीदें हैं. शास्त्रीय संगीत को प्रमोट करने के लिए सरकार बहुत से कार्यक्रम करवा रही है. अब कई निजी संस्थाएं भी आगे आ रही हैं. यह बहुत अच्छी बात है. लेकिन बहुत कुछ किया जाना अभी भी बाकी है.
Violinist Ustad Asghar Hussain
अंतिम साँस तक चलेगा वायलिन
वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन ने बताया कि बेला यानी वायलिन के आरंभिक निर्माताओं में इटली मशहूर है लेकिन अब भारत में इसे बनाया जाने लगा है इसमें कोलकाता शहर और रामपुर प्रमुख है. वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असगर हुसैन को भारत के प्रीष्ठित कार्यक्रमों में खासतौर पर आमंत्रित किया जाता है जिसमें हरिवल्ल्भ संगीत सम्मेलन, कालीदास संगीत समारोह, चक्रधर संगीत समारोह, सामापा संगीत समारोह, पंडित ओमकार नाथ संगीत समारोह, आकाशवाणी संगीत समारोह, दिल्ली दरबार, जश्न-ए-रेख्ता इत्यादी शामिल है.
पॉपुलर वायलिन स्टाइल्स के लिए वायलिन मैस्ट्रो उस्ताद असग़र हुसैन को कई नामी अवार्ड्स से भी देश-विदेश में सम्मानित किया जा चूका है. जिसमें दिल्ली घराना रत्न सम्मान, संगीत भूषण सम्मान, नीन्द कला गौरव सम्मना, भारत वंदन सम्मान, रूद्र संगीत सम्मान आदि शामिल हैं. उस्ताद असगर हुसैन इस प्रसिद्धी के लिए ऊपर वाले का शुक्रिया अदा करते हैं और कहते हैं कि मेरा सीखना अभी भी जारी है जो अंतिम साँस तक चलेगा.