मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा घटनाक्रम सामने आया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के नेता उमर अब्दुल्ला को लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) मनोज सिन्हा की ओर से राज्य में नई सरकार बनाने का न्योता दिया गया है. यह न्योता तब आया जब 11 अक्टूबर को एनसी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह ने एलजी के समक्ष सरकार बनाने का दावा पेश किया.
यह प्रस्ताव एनसी-कांग्रेस गठबंधन और अन्य पार्टियों व निर्दलीय विधायकों के समर्थन के आधार पर रखा गया.राजभवन से जारी एक आधिकारिक पत्र में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष तारिक हमीद करार, सीपीआई के सचिव जी एन मलिक, आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता और कई निर्दलीय विधायकों ने भी नई सरकार के गठन के लिए अपना समर्थन पत्र प्रस्तुत किया है.
निर्दलीय विधायकों में प्यारे लाल शर्मा, सतीश शर्मा, चौधरी अकरम, डॉ. रामेश्वर सिंह और मुजफ्फर इकबाल खान प्रमुख नाम हैं.
शपथ के लिए एलजी का पत्र
शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर में
राजनीतिक हलचल के बीच, एलजी मनोज सिन्हा ने उमर अब्दुल्ला को 16 अक्टूबर को श्रीनगर के प्रतिष्ठित शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में होने वाले शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया है. यह स्थल न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसका राजनीतिक और सांस्कृतिक महत्व भी काफी गहरा है.
कन्वेंशन हाल तक जाने का नक्शा
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में SKICC महत्वपूर्ण
श्रीनगर के शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) में शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन जम्मू-कश्मीर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. हालांकि SKICC मुख्य रूप से एक सम्मेलन केंद्र है, जहां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन होता रहा है, लेकिन कुछ मौकों पर यहां शपथ ग्रहण समारोह भी आयोजित हुए हैं.
हालांकि जम्मू-कश्मीर के अधिकांश मुख्यमंत्री और सरकारें पारंपरिक रूप से राजभवन में शपथ ग्रहण करती रही हैं, लेकिन SKICC का चुनाव विशेष अवसरों पर किया जाता है. अभी तक SKICC में अधिकतर राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजन हुआ है, और शपथ ग्रहण के कुछ उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें से प्रमुख हैं:
1. डॉ. फारूक अब्दुल्ला (1986 और 1996)
फारूक अब्दुल्ला ने 1996 में तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, और इसका आयोजन SKICC में किया गया था. यह एक महत्वपूर्ण शपथ ग्रहण था, क्योंकि इस दौरान जम्मू-कश्मीर में लंबे समय तक राजनीतिक अस्थिरता और उग्रवाद के बाद फिर से लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की शुरुआत हुई थी.
एसकेआईसीसी का विहंगम दृश्य
2. गुलाम नबी आजाद (2005)
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने 2005 में जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी. यह शपथ ग्रहण भी SKICC में आयोजित किया गया था. इस समय कांग्रेस और पीडीपी के गठबंधन की सरकार बनी थी, और यह शपथ ग्रहण समारोह एक राजनीतिक संदेश के रूप में भी देखा गया, क्योंकि इसे शांतिपूर्ण वातावरण में आयोजित किया गया था.
3. उमर अब्दुल्ला (2009)
उमर अब्दुल्ला ने 2009 में SKICC में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. यह उनके लिए एक महत्वपूर्ण अवसर था. वे पहली बार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बने थे. शपथ ग्रहण के बाद उमर अब्दुल्ला ने राज्य में विकास, सुरक्षा और राजनीतिक स्थिरता की दिशा में काम करने का वादा किया था.यह स्थल सरकारों के शपथ ग्रहण के अलावा राजनीतिक बैठकों और अन्य बड़े कार्यक्रमों के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है.
जी 20 सम्मेलन यहां हो चुका है
शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर: एक परिचय
डल झील के किनारे बुलेवार्ड रोड पर स्थित, शेर-ए-कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (SKICC) श्रीनगर का सबसे आधुनिक और प्रतिष्ठित सम्मेलन स्थल है. इसे 1977 में स्थापित किया गया था. यह जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक और सांस्कृतिक आयोजनों का प्रमुख केंद्र रहा है.
इसके चारों ओर जबरवान पहाड़ियाँ खड़ी हैं, जो इसे एक सुरम्य दृश्य प्रदान करती हैं. इसके ठीक पास ही प्रसिद्ध मुगल गार्डन स्थित है, जो इस स्थल के महत्व को और भी बढ़ाता है.SKICC को विश्व प्रसिद्ध वास्तुकार जोसेफ स्टीन ने डिज़ाइन किया था.
यह अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सम्मेलनों, बैठकों और प्रदर्शनी (MICE) की सभी आवश्यकताओं को पूरा करता है. यहां 750 लोगों की क्षमता वाला वातानुकूलित सभागार है, जो नवीनतम ऑडियो-विजुअल सिस्टम, समकालिक व्याख्या प्रणाली और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग जैसी सुविधाओं से लैस है. इस सभागार में राज्य के विभिन्न महत्वपूर्ण आयोजन होते आए हैं और आगामी शपथ ग्रहण समारोह भी इसी सिलसिले का हिस्सा है.
एसकेआईसीसी का सुंदर नजारा
SKICC की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता
SKICC सिर्फ एक सम्मेलन केंद्र नहीं , यह जम्मू-कश्मीर की राजनीति और संस्कृति का गवाह भी रहा है. यहां अनेक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों के अलावा, राजनीतिक बैठकों, वार्ताओं और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन होता रहा है.
यह स्थल अपनी भव्यता और तकनीकी सुविधाओं के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी विशेष है.डल झील के किनारे स्थित यह स्थल राजनीतिक हलचलों के साथ-साथ, कश्मीर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का भी प्रमुख हिस्सा है.
SKICC न केवल जम्मू-कश्मीर के नेताओं के लिए महत्वपूर्ण स्थल है, बल्कि यह राज्य की जनता के लिए भी बेहद खास है. यहां होने वाले शपथ ग्रहण समारोह और अन्य बड़े राजनीतिक आयोजनों के जरिए कश्मीरी जनता को राज्य की राजनीति में हो रहे बदलावों का सीधा अनुभव मिलता है. उमर अब्दुल्ला को इस स्थल पर शपथ दिलाने का फैसला भी यही दर्शाता है कि यह स्थल कितनी गहरी राजनीतिक और सांस्कृतिक जड़ें रखता है.
उमर अब्दुल्ला एलजी सिन्हा के साथ
नई सरकार की चुनौतियों और उम्मीदें
उमर अब्दुल्ला को नई सरकार बनाने का न्योता मिलने के बाद, राज्य की राजनीति में एक नई दिशा की उम्मीद की जा रही है. एनसी और कांग्रेस के समर्थन के अलावा अन्य दलों और निर्दलीय विधायकों का समर्थन उमर अब्दुल्ला के लिए सत्ता में एक स्थिरता का संकेत हो सकता है.
हालांकि, राज्य के सामने कई चुनौतियां भी हैं. अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से राज्य में बदलावों की प्रक्रिया जारी है. यह नई सरकार किस तरह से इन मुद्दों को संबोधित करती है, इस पर राज्य की राजनीतिक दिशा निर्भर करेगी.
उमर अब्दुल्ला की सरकार से कश्मीर की जनता को नई उम्मीदें हैं. क्षेत्रीय स्वायत्तता, विकास, सुरक्षा, और शांतिपूर्ण राजनीतिक माहौल बनाने की दिशा में यह सरकार किस तरह से काम करेगी, इस पर लोगों की नजरें टिकी होंगी.