जम्मू और कश्मीर में जल संकट: अचबल उद्यान सूखा, जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण का असर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 21-02-2025
Water crisis in Jammu and Kashmir: Drying of Achabal Park, impact of climate change and water pollution
Water crisis in Jammu and Kashmir: Drying of Achabal Park, impact of climate change and water pollution

 

बासित जरगर / श्रीनगर

जम्मू और कश्मीर में जल संकट लगातार गहरा रहा है, खासकर ऐतिहासिक अचबल मुगल उद्यान में. इस उद्यान का पानी पहली बार पूरी तरह से सूख चुका है, जिससे इसके प्रसिद्ध फव्वारे और नदियाँ भी बंजर हो चुकी हैं.

यह संकट केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि स्थानीय जीवन और अर्थव्यवस्था के लिए भी गंभीर खतरा बन गया है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान, घटती वर्षा और घटते भूजल स्तर का परिणाम है.

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अचबल उद्यान: 17वीं सदी का जलवायु संकट का शिकार

अचबल उद्यान, जो मुग़ल सम्राट अकबर की पत्नी महारानी नूरजहाँ द्वारा 17वीं शताबदी में बनवाया गया था, अब अपने ऐतिहासिक आकर्षण को खो चुका है. यह उद्यान न केवल पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण था, बल्कि इसके जल स्रोतों ने आसपास के गांवों को पानी की आपूर्ति भी की थी.

लेकिन अब स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है. स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता शब्बीर अहमद ने कहा, "हमने पहले कभी इस स्थिति में अचबल उद्यान नहीं देखा. झरने पूरी तरह से सूख गए हैं, जिससे पीने के पानी की भारी कमी हो गई है. प्रदूषण और कम बर्फबारी से स्थिति और भी खराब हो रही है."

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जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी: कृषि और जीवन पर संकट

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव केवल पानी की आपूर्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर स्थानीय कृषि और बागवानी पर भी देखा जा रहा है. स्थानीय किसान और बागवान जल की कमी के कारण अपनी उपज को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

अब, कई गांवों को पानी की आपूर्ति टैंकरों के माध्यम से की जा रही है. मुश्ताक अहमद, एक अन्य स्थानीय निवासी ने अचबल उद्यान के सूखने को कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर के नुकसान के रूप में देखा है. उन्होंने कहा, "यह उद्यान हमारी पहचान का हिस्सा है. अगर तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो यह फिर कभी वैसा नहीं हो सकता."

स्थानीय जल स्रोतों का महत्व और संरक्षण की आवश्यकता

अचबल उद्यान के सूखने से केवल एक ऐतिहासिक स्थल की क्षति नहीं हुई है, बल्कि कश्मीर के जल स्रोतों पर एक गंभीर संकट आ गया है. जल शक्ति अचबल के सहायक कार्यकारी अभियंता (एईई) गौहर अहमद ने बताया कि पहले यह उद्यान 15 जल आपूर्ति योजनाओं के माध्यम से एक दर्जन से अधिक गांवों को पानी की आपूर्ति करता था.

अब जब झरना सूख चुका है, तो लगभग 80 प्रतिशत क्षेत्र प्रभावित हो गया है और पानी की आपूर्ति टैंकरों द्वारा की जा रही है.

भूगोलवेत्ता डॉ. मासून ए बेग ने जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा के पैटर्न में बदलाव को एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा, "बर्फबारी में कमी और लंबा सूखा इस संकट को और बढ़ा रहे हैं."

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मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का आह्वान: जल संकट से निपटने के उपाय

जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने राज्य में जल संकट की गंभीरता को स्वीकार करते हुए इसे इस वर्ष एक प्रमुख चुनौती बताया. उन्होंने कहा कि जल संकट कोई नई समस्या नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों से यह बढ़ता जा रहा है.

मुख्यमंत्री ने जल प्रबंधन और संरक्षण के लिए एक अधिक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता को महसूस किया. उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा, "हम सभी जम्मू और कश्मीर के निवासियों को यह बदलने की आवश्यकता है कि हम जल को किस तरह से स्वाभाविक मानते हैं.

जल शक्ति विभाग द्वारा उठाए गए कदमों की समीक्षा करेंगे और आने वाले महीनों में जल संरक्षण के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं, इस पर चर्चा करेंगे."

जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण से निपटने के लिए संयुक्त प्रयासों की आवश्यकता

यह स्थिति जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण के बढ़ते प्रभावों का संकेत देती है, जिसके कारण राज्य के प्राकृतिक संसाधनों पर संकट गहरा गया है.

जम्मू और कश्मीर के लोगों को अब जलवायु परिवर्तन और जल प्रदूषण के खिलाफ मिलकर काम करने की आवश्यकता है. यह केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे जल के महत्व को समझें और इसका संरक्षण करें.

जल संकट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी जम्मू और कश्मीर में जलवायु और जल संकट पर चर्चा की है. केंद्रीय गृह मंत्री ने जल संकट से निपटने के लिए राज्य सरकार के उपायों की समीक्षा की और बताया कि इन मुद्दों पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है.

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 जल संकट का समाधान केवल सरकारी उपायों से नहीं

इस संकट से उबरने के लिए केवल सरकारी प्रयास ही पर्याप्त नहीं होंगे. जल संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई में हर व्यक्ति की भागीदारी आवश्यक है. विशेषज्ञों और स्थानीय निवासियों की आवाजों को सुनते हुए, यह स्पष्ट है कि तत्काल कार्रवाई और दीर्घकालिक उपायों के बिना कश्मीर के ऐतिहासिक जल स्रोतों और कृषि पर संकट और गहरा सकता है.

जल संकट की स्थिति को सुधारने के लिए सख्त और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए कश्मीर की जलवायु और जल स्रोतों का संरक्षण किया जा सके.