वारिस खान एक परिवार के सात लोगों की जान बचाकर बने मध्य प्रदेश के पहले ‘ गुड सेमेरिटन’

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-11-2024
Waris Khan became Madhya Pradesh's first 'Good Samaritan' by saving the lives of seven members of a family
Waris Khan became Madhya Pradesh's first 'Good Samaritan' by saving the lives of seven members of a family

 

अब्दुल वसीम अंसारी/राजगढ़ ( मध्य प्रदेश )

मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले के ब्यावरा शहर के एक साधारण प्लंबर वारिस खान का नाम आज हर किसी की जुबां पर है. कभी अस्थायी तौर पर नगरपालिका में कार्यरत रहे वारिस खान की कहानी अब सिर्फ उनके शहर या जिले तक सीमित नहीं, बल्कि भोपाल के मुख्यमंत्री निवास तक पहुंच चुकी है. उनकी सच्ची मानवता और साहस ने उन्हें “गुड सेमेरिटन” का खिताब दिलाया है.


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जिला कलेक्टर को घटना की जानकारी देते वारिस खान

वारिस खान: साधारण से असाधारण बनने की यात्रा

ब्यावरा के टाल मोहल्ले में रहने वाले वारिस खान का परिवार पांच सदस्यों का है. उनकी मां, पत्नी और दो बच्चे उनके जीवन का आधार हैं. लगभग 12 साल पहले नगरपालिका में अस्थायी प्लंबर के रूप में काम कर चुके वारिस को नौकरी से निकाल दिया गया था. नौकरी से हटाए जाने के बाद उनका जीवन कठिनाईयों से भर गया.

उन्होंने परिवार का पेट पालने के लिए प्लंबिंग के साथ बसों में क्लीनरी और मजदूरी का काम किया.धीरे-धीरे उनकी जिंदगी फिर से सामान्य हुई, लेकिन एक अप्रत्याशित घटना ने उनके जीवन को बदल दिया और वे इंसानियत की मिसाल बन गए.
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घटना जिसने बदली जिंदगी

13 नवंबर 2024 की सुबह, वारिस खान अपनी बाइक पर ब्यावरा से बीनागंज की ओर जा रहे थे. उसी दौरान, शिवपुरी से भोपाल जा रही एक कार, जो एबी रोड हाईवे पर चल रही थी, ब्रेक चिपकने के कारण पलट गई. कार में 7 लोग सवार थे, जिनमें दो छोटे बच्चे और महिलाएं शामिल थीं.

कार पलटने के बाद उसके सभी दरवाजे लॉक हो गए. हादसे की भयावहता को देखते हुए वारिस बिना देर किए अपनी बाइक को एक ओर खड़ा कर कार के पास पहुंचे. उन्होंने अपने हाथों से कार का कांच तोड़ा और अंदर फंसे लोगों को बाहर निकालना शुरू किया. सबसे पहले उन्होंने बच्चों को बाहर निकाला. फिर महिलाओं और अंत में कार में फंसे पुरुषों को.

वारिस ने अपने साहसिक कार्य को बिना किसी प्रचार-प्रसार के अंजाम दिया. उनके पास न तो स्मार्टफोन है और न ही वे सोशल मीडिया से जुड़े हैं. बावजूद इसके, उनकी इस बहादुरी की खबर मीडिया और प्रशासन तक पहुंच गई.

मुख्यमंत्री का सम्मान और वारिस की विनम्रता

इस घटना के बाद मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने वारिस खान को वीडियो कॉल पर बधाई दी. उनकी बहादुरी की प्रशंसा की. मुख्यमंत्री ने उन्हें 1 लाख रुपये की पुरस्कार राशि देने का वादा किया. लेकिन वारिस खान ने विनम्रता दिखाते हुए मुख्यमंत्री से निवेदन किया कि उन्हें इनाम के बजाय उनकी पुरानी नगरपालिका की नौकरी वापस दिला दी जाए. मुख्यमंत्री ने उनकी इस मांग को भी पूरा करने का आश्वासन दिया.

गुड सेमेरिटन का खिताब

वारिस खान की इंसानियत और साहस को देखते हुए उन्हें “गुड सेमेरिटन” योजना के तहत जिले का पहला पुरस्कार प्रदान किया गया. राजगढ़ के कलेक्टर डॉ. गिरीश कुमार मिश्रा ने उन्हें 5,000 रुपये का प्रोत्साहन चेक भेंट किया.

कलेक्टर ने कहा, “वारिस खान ने जो किया, वह सच्ची मानवता का उदाहरण है. उन्होंने बिना किसी स्वार्थ के लोगों की जान बचाई. उनका यह कार्य पूरे समाज के लिए प्रेरणा है. आगे भी ऐसे लोगों को प्रोत्साहन दिया जाएगा.”

वारिस खान की  कहानी हमें  सिखाती है कि सच्ची बहादुरी और मानवता किसी विशेष स्थिति, शिक्षा, या आर्थिक स्थिति की मोहताज नहीं होती. यह एक आम आदमी की असाधारण क्षमता का प्रतीक है.


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अधिकारियों और संगठनों का समर्थन

सीएम हाउस और जनसंपर्क विभाग द्वारा वारिस खान की तारीफ के बाद उन्हें लगातार सराहना मिल रही है. कई निजी संगठन उन्हें सम्मानित करने के लिए तैयार हैं.वारिस खान ने अपने साहस और इंसानियत से यह साबित कर दिया कि मुसीबत के समय में एक साधारण इंसान भी नायक बन सकता है.

उनका यह कार्य न केवल एक परिवार के लिए जीवनदायी साबित हुआ, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि एक-दूसरे की मदद करना ही सच्ची मानवता है.