बलिया से आई दो तस्वीरें: जब नफरत भड़काने वाले बयान और अमन का संदेश साथ-साथ दिखा

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 15-03-2025
Two pictures from Ballia: When hate-inciting statements and messages of peace were seen together
Two pictures from Ballia: When hate-inciting statements and messages of peace were seen together

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और उसके कुछ नेताओं पर अक्सर सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप लगते हैं. समय-समय पर आने वाले विवादित बयानों से यह धारणा बनती है कि पार्टी इसी राजनीति को आगे बढ़ाती है.

लेकिन बलिया से आई दो तस्वीरें इस सोच को चुनौती देती हैं. एक ओर बीजेपी विधायक का विवादित बयान था, तो दूसरी ओर बीजेपी के ही युवा नेता की अमन और सौहार्द की मिसाल.

balia

विधायक केतकी सिंह का विवादित बयान

बलिया से बीजेपी विधायक केतकी सिंह का बयान हाल ही में चर्चा का विषय बना. उन्होंने निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मुसलमानों के लिए अलग वार्ड की मांग की.

उनका तर्क था कि, "हो सकता है कि हमारे साथ इलाज करवाने में उन्हें दिक्कत हो. ऐसे में योगी जी को एक अलग कमरा बना देना चाहिए ताकि मुसलमान दूसरी विंग में जाकर इलाज करवा सकें."

इसके साथ ही उन्होंने कहा, "अगर मेडिकल कॉलेज में मुसलमानों के लिए अलग विंग होगा तो हम भी सुरक्षित रहेंगे. पता नहीं कौन हमारे खाने में थूक दे." उनका यह बयान सोशल मीडिया पर आग की तरह फैल गया और इस पर तीखी प्रतिक्रिया आई.बलिया से ही पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर और मौजूदा राज्यसभा के उप-सभापति हरिवंश भी हैं.

बीजेपी नेता आशुतोष ने पेश की भाईचारे की मिसाल

इसी बलिया से चार दिन बाद ही एक और तस्वीर सामने आई, जिसने नफरत की राजनीति के बीच अमन और भाईचारे की खुशबू बिखेर दी. होली और रमज़ान के दूसरे जुमे की नमाज़ एक ही दिन होने के कारण देश के कई हिस्सों में तनाव की स्थिति बनी हुई थी. पुलिस सतर्क थी. कई जगहों पर भारी सुरक्षा बल तैनात किया गया था.

ऐसे में बलिया के युवा बीजेपी नेता आशुतोष सामने आए. वह होली खेलने के बाद शहर की सबसे बड़ी मस्जिद पहुंचे और जुमे की नमाज़ अदा कर बाहर निकलने वाले नमाजियों पर फूलों की बारिश करने लगे. यह नज़ारा देखकर कई लोग चकित रह गए. नमाजी भी मुस्कुराते हुए उनसे हाथ मिलाने लगे.

बलिया के पत्रकार अभय राव ने इस घटना पर लिखा, "कबीरदास जी सदियों पहले कह गए थे:

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय. ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।.

होली के मौके पर कई जगहों पर धार्मिक विवाद देखे गए, लेकिन बलिया से आई यह तस्वीर भारत की असली पहचान को दिखाने के लिए काफी है."

देशभर में दिखीं सौहार्द की मिसालें

बलिया की यह घटना अकेली नहीं थी. देश के कई हिस्सों से ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिनमें लोग होली और जुमे की नमाज़ को आपसी सौहार्द और प्रेम के साथ मनाते नजर आए.

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    दिल्ली के सीलमपुर में मस्जिद से बाहर आने वाले नमाजियों पर फूलों की बारिश की गई.

     

  • लखनऊ के ठाकुरगंज में होली खेल रहे युवाओं ने सड़क के किनारे खड़े होकर नमाजियों को सम्मान दिया और उन्हें प्रणाम किया. नमाजियों ने भी आगे बढ़कर उन्हें गले लगाया.

  • मध्य प्रदेश के उज्जैन में चार हिंदू युवकों ने स्कूटी पर जा रहे दो मुस्लिम बच्चों को रोका, हाथ जोड़कर उन्हें प्रणाम किया और फूल बरसाए.

त्योहार जोड़ते हैं, तोड़ते नहीं

इस तरह की घटनाएं भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को और मजबूत करती हैं. त्योहारों का मकसद प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देना है, न कि किसी धर्म को नीचा दिखाना. बलिया से आई दो तस्वीरें हमें यही सिखाती हैं कि राजनीति के खेल से परे भी एक सच्चा भारत है, जहां लोग मिल-जुलकर त्योहार मनाना पसंद करते हैं.

आखिर में सवाल हम सभी से है—हम किस तरह के भारत को आगे बढ़ाना चाहते हैं? नफरत भड़काने वाले बयान देने वालों का, या प्रेम और भाईचारे को मजबूत करने वालों का?