भक्ति चालक
सामाजिक कार्यों के प्रति लगाव, समाज के प्रति निष्ठा कुछ लोगों को किसी भी स्थिति में शांत बैठने नहीं देती.इसके पीछे भावना यह है कि उनके काम का लाभ जरूरतमंदों को मिले.जब तक यह भावना पूरी नहीं होती, तब तक व्यक्ति बेचैन रहता है.हाफ़िज़ शेख़ भी उनमें से एक हैं!
हाफ़िज़ ने सामाजिक कार्य इस इरादे से शुरू किया कि वह समाज का ऋणी है.इसके बाद कुछ ही वर्षों में उन्होंने 'निसार' नामक संस्था की स्थापना कर यह काम बड़े पैमाने पर शुरू किया.2016 से वह पुणे के कोंढवाया में निसार फाउंडेशन के माध्यम से समाज सेवा के लिए काम कर रहे हैं.
पेशेवर होते हुए भी उन्होंने खुद को समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया है.फाउंडेशन के लिए धन जुटाने के अलावा, उन्होंने निराश्रित महिलाओं के जीवन को ऊपर उठाने से लेकर कई लोगों का समर्थन किया है.
वैसे तो समाज के सामान्य वर्ग के मरीजों के लिए सरकार की कई योजनाएं हैं, लेकिन इसका लाभ उठाने के लिए आवश्यक दस्तावेजों की आवश्यकता होती है.चूंकि ये दस्तावेज़ बेसहारा मरीज़ों को तुरंत उपलब्ध नहीं होते, इसलिए सरकारी अस्पतालों के लिए न केवल इलाज बल्कि अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराना मुश्किल हो जाता है.
तब ऐसे में समाज सेवी संस्थाओं के माध्यम से मिलने वाली चिकित्सीय सहायता उन मरीजों के लिए महत्वपूर्ण हो जाती है.जब से कोंढवा में निसार फाउंडेशन बेसहारा मरीजों की मदद के लिए आया है, कई लोगों को उदार दरों पर इलाज मिला है.इसके साथ ही फाउंडेशन ने चिकित्सा उपचार के लिए बिस्तर, पानी के गद्दे, वॉकर, व्हीलचेयर जैसी चीजें भी निःशुल्क प्रदान की हैं.
गोलियों पर होने वाले अत्यधिक खर्च को ध्यान में रखते हुए हाफिज ने भाग्योदय नगर और कोंढवा के नवाजिश चौक पर निसार नाम से दो डिस्पेंसरियां स्थापित की हैं.वहां वे महज 30 रुपये में मरीजों का इलाज करते हैं.यह मेडिकल जांच और दो दिन की दवा भी प्रदान करता है.इन दोनों अस्पतालों में रोजाना सैकड़ों मरीजों का आना-जाना रहता है.
इन दोनों क्लिनिकों में चार डॉक्टरों की टीम सेवा दे रही है. वहां इलाज करने वाले सभी डॉक्टर डिग्रीधारी हैं.अच्छी सैलरी पर वहां काम कर रहे हैं. वहां डॉक्टर के अलावा 8 और कर्मचारी काम करते हैं. दोनों अस्पतालों का काम सुचारु रूप से चले इसका खास ख्याल हाफिज खुद रखते हैं.
अपने सामाजिक कार्यों के बारे में पूछे जाने पर हाफ़िज़ कहते हैं, “इस काम से मुझे बहुत संतुष्टि मिलती है.संगठन का काम बहुत अच्छे से चल रहा है. इस संगठन में कई निस्वार्थ और समर्पित कार्यकर्ता काम करते हैं.गरीबी और इलाज के दौरान मरीजों को होने वाले उत्पीड़न को ध्यान में रखते हुए मैंने यह काम करने का फैसला किया.हम रोगी देखभाल के माध्यम से समाज की सेवा करने के हर अवसर को पूरा करने का प्रयास करते हैं.
इस कार्य को करते समय हमारे पास हर प्रकार के मरीज आते हैं,इसलिए हम इसमें किसी की जाति-धर्म या गरीब-अमीरी नहीं देखते. यहां हर वर्ग के मरीज को अच्छी गुणवत्ता वाला इलाज मिलता है.”सामाजिक कार्य के उद्देश्य के बारे में पूछे जाने पर हाफ़िज़ कहते हैं, “ख़िदमत से ख़ुदा मिलता है.मुझे सामाजिक कार्य की प्रेरणा हमारे धर्म से मिलती है.यदि समाज में संतुलन बनाए रखना है तो जरूरतमंदों की मदद करना जरूरी है.
अगर हम जाति और धर्म से परे समाज के तत्वों की मदद करते हैं तो अल्लाह हमें आशीर्वाद देते हैं.चिकित्सा की दृष्टि से उदाहरण दें तो समाज में पैसा उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शरीर में खून.अगर शरीर के किसी हिस्से में रक्त की आपूर्ति कम हो जाए तो स्थिति खराब हो जाती है.इसी प्रकार यदि समाज के एक हिस्से पर गरीबी आ जाती है तो पूरे समाज में अनैतिक कार्य होने लगते हैं.
इस्लाम ने जकात के माध्यम से असमानता के खिलाफ रास्ता अपनाया है और हम इसे आगे बढ़ा रहे हैं.
महिला शिक्षा के क्षेत्र में योगदान
मरीज़ों की देखभाल के साथ-साथ हाफ़िज़ ने महिलाओं की शिक्षा के क्षेत्र में भी काम करना शुरू कर दिया.निसार फाउंडेशन महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का भी काम कर रहा है.
उन्होंने महिलाओं को आसानी से नौकरी दिलाने के लिए वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की. महिलाएं 10वीं के बाद भी यह कोर्स कर सकती हैं.इस कोर्स की अवधि छह महीने से एक साल तक है.कोर्स के बाद महिलाओं को डिग्री प्रदान की जाती है.
इन पाठ्यक्रमों की फीस केवल 500-700 रुपये तक है और कुछ प्रशिक्षण मुफ्त भी प्रदान किए जाते हैं.फिर इसमें नर्सिंग, पैरामेडिकल कोर्स, स्पोकन इंग्लिश, टेलरिंग, मेहंदी, ब्यूटी पार्लर, मेकअप ट्रेनिंग, फैशन डिजाइनिंग जैसे कई कोर्स शामिल हैं.इसके साथ ही उन्होंने उन स्कूली बच्चों के लिए मुफ्त कक्षाएं शुरू की हैं जो पैसे की कमी के कारण क्लास की फीस नहीं दे सकते.
इस बारे में बात करते हुए हाफिज कहते हैं, 'अगर एक महिला सशक्त होती है तो पूरा घर सशक्त होता है.यदि समाज की प्रत्येक महिला प्रगति करेगी तो पूरा समाज अपने आप प्रगति करेगा.हम संगठन के माध्यम से महिलाओं को शिक्षित करने और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं.आर्थिक रूप से गरीब और निराश्रित महिलाओं को निःशुल्क डिग्री प्रशिक्षण प्रदान करता है.''
पेशे से प्रोफेशनल होते हुए भी हाफ़िज़ रोगी देखभाल के माध्यम से समाज की सेवा कर रहे हैं.उन्होंने पर्दे के पीछे रहकर गरीब मरीजों की सेवा में खुद को समर्पित कर दिया है. पुणे जैसे शहर में, कई रोगियों को चिकित्सा खर्चों को पूरा करना मुश्किल है.हाफ़िज़ शेख ने उनकी समस्याओं को ध्यान में रखते हुए यह काम शुरू किया और आवाज़ द वॉयस की ओर से उन्हें शुभकामनाएं!