खोज की पगडंडियां: डॉ मोहम्मद सलीम की कला को मिली सराहना

Story by  फरहान इसराइली | Published by  [email protected] | Date 20-02-2025
Trails of discovery: Dr. Mohammad Salim's art received appreciation
Trails of discovery: Dr. Mohammad Salim's art received appreciation

 

फरहान इसराइली/ जयपुर

गुलाबी नगरी जयपुर के प्रसिद्ध जवाहर कला केंद्र (जेकेके) में आयोजित हुई अनुभवी चित्रकार डॉ. मोहम्मद सलीम की एकल प्रदर्शनी "खोज की पगडंडियां" का समापन हो गया.7 फरवरी 2024 से सुरेख आर्ट गैलरी में शुरू हुई इस प्रदर्शनी में डॉ. सलीम की 50-60 उत्कृष्ट कलाकृतियाँ प्रदर्शित की गईं, जो खुद को जानने और नए विचारों को रचनात्मक तरीके से जाहिर करने पर केंद्रित थीं.प्रदर्शनी में पेश की गई इन कलाकृतियों ने दर्शकों को आत्मनिरीक्षण और विचारशीलता की एक नई दिशा दी.

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प्रदर्शनी का शुभारंभ और उद्घाटन समारोह

"खोज की पगडंडियां" प्रदर्शनी का शुभारंभ कला और संस्कृति विभाग के मुख्य अधिकारी रवि जैन, प्रसिद्ध चित्रकार डॉ. विद्यासागर उपाध्याय, और प्रो. शब्बीर हसन काजी ने किया.उद्घाटन समारोह में रवि जैन ने डॉ. मोहम्मद सलीम की कला को जयपुर की कला दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान बताया.

उन्होंने कहा, "यह प्रदर्शनी जयपुर की कला दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी और डॉ. सलीम की कलाकृतियाँ समाज और संस्कृति को गहरे ढंग से समझने का अवसर प्रदान करती हैं."

कलाकार डॉ. मोहम्मद सलीम का संदेश

प्रदर्शनी के उद्घाटन के बाद डॉ. मोहम्मद सलीम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "मेरी कला खुद को खोजने की एक यात्रा है." उन्होंने बताया कि उनके लिए रंग और आकार केवल दृश्य सौंदर्य नहीं होते, बल्कि ये उनके दिल की गहरी बातों को व्यक्त करने का माध्यम हैं.

उनकी कलाकृतियाँ आत्म-अवलोकन, संस्कृति, और जीवन के गहरे अर्थों को छूने का प्रयास करती हैं.डॉ. सलीम की कला में रचनात्मकता, समाजिक सरोकार, और आत्म-खोज की एक नई परिभाषा देखने को मिली.

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प्रदर्शनी की विशेषताएँ

डॉ. एन.एल. वर्मा, जो प्रदर्शनी के प्रमुख आयोजक थे, ने इन कलाकृतियों को "इंसानी रिश्तों और अपनी पहचान को समझने की कोशिश" के रूप में बताया.प्रदर्शनी में पुराने राजस्थानी डिज़ाइन और नई कला तकनीक का मिश्रण देखने को मिला, जिससे दर्शकों को कला की परंपरा और आधुनिकता के बीच के तालमेल का अद्भुत अनुभव हुआ.

समापन कार्यक्रम में जयपुर के सिविल लाइंस के विधायक गोपाल शर्मा, मशहूर कलाकार समदर सिंह खंगारोत और राजस्थान कला अकादमी के अधिकारी रजनीश हर्ष भी शामिल हुए.विधायक गोपाल शर्मा ने कहा, "इन कलाकृतियों ने समाज की वास्तविक तस्वीर को कला के माध्यम से प्रस्तुत किया है." उन्होंने डॉ. सलीम के काम को न केवल एक कलाकार के रूप में, बल्कि एक विचारक और सामाजिक संवेदनशीलता वाले व्यक्ति के रूप में भी सराहा.

इस अवसर पर प्रदर्शनी का एक स्मारिका (कैटलॉग) भी लॉन्च किया गया, जिसमें डॉ. सलीम की कला और उनके योगदान पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया.प्रदर्शनी ने न केवल जयपुर, बल्कि अन्य शहरों के कला प्रेमियों को भी आकर्षित किया और उन्हें कला के माध्यम से अपने विचारों को व्यक्त करने का एक नया दृष्टिकोण प्रदान किया.

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कला और संस्कृति में जयपुर का महत्वपूर्ण स्थान

डॉ. मोहम्मद सलीम की कला में जीवन, संस्कृति, और अध्यात्म के विभिन्न पहलुओं को प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शित किया गया.उनकी कला को देश-विदेश में कई प्रदर्शनी में प्रस्तुत किया गया है और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले हैं.

समापन पर डॉ. सलीम ने दर्शकों का धन्यवाद अदा किया और कहा कि यह प्रदर्शनी "कला की ताकत और खुद को बेहतर बनाने के उत्सव" का प्रतीक है.

"खोज की पगडंडियां" प्रदर्शनी ने यह साबित कर दिया कि कला सिर्फ एक सुंदरता का प्रदर्शन नहीं होती, बल्कि यह एक गहरी सोच और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का माध्यम बन सकती है.इस प्रदर्शनी ने जयपुर को कला और संस्कृति के क्षेत्र में और भी प्रमुख स्थान दिलाने का काम किया.

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इस प्रदर्शनी ने जयपुर के कला प्रेमियों को अपनी रचनात्मकता और विचारों को अभिव्यक्त करने का एक नया अवसर दिया। साथ ही, यह आयोजन जयपुर को कला और संस्कृति के एक बड़े केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक और कदम साबित हुआ है.

कला के माध्यम से समाज और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझाने की डॉ. मोहम्मद सलीम की यात्रा अब भी जारी है.उनकी कलाकृतियाँ न केवल उनके व्यक्तिगत दृष्टिकोण को प्रदर्शित करती हैं, बल्कि वे समाज की वास्तविकता और संस्कृति की गहरी समझ को भी उजागर करती हैं."खोज की पगडंडियां" प्रदर्शनी ने दर्शकों को कला के माध्यम से आत्म-खोज और सामाजिक संवेदनशीलता के महत्व को महसूस कराया.