इसबार महाराष्ट्र के मुसलमान हक से चुनेंगे 'वंचित'का विकल्प : सुजात आंबेडकर

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 20-11-2024
This time the Muslims of Maharashtra will rightfully choose the option of 'deprived': Sujat Ambedkar
This time the Muslims of Maharashtra will rightfully choose the option of 'deprived': Sujat Ambedkar

 

प्रज्ञा शिंदे

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अपने चरमपर है.राज्य में एक तरफ महायुति और महाविकास आघाडी के बीच टक्कर हो रही है, वहीं राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और प्रकाश आंबेडकर की वंचित बहुजन आघाड़ी भी पूरे दमखम के साथ चुनाव में उतर रही है.

महाविकास आघाड़ी और महायुति के बाद राज्य में सबसे ज्यादा उम्मीदवार वंचित बहुजन आघाड़ी ने खड़े किए हैं.वंचित के 199उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं.इनमें से 94बौद्ध, 23मुस्लिम, 17अन्य पिछड़ा वर्ग और 15भटके विमुक्त समुदाय से हैं.

नांदेड़ दक्षिण सीट से फारुख अहमद के प्रचार अभियान के लिए डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के परपोते, वंचित के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर के पुत्र सुजात आंबेडकर नांदेड़ शहर में मौजूद थे.इस मौके पर ‘आवाज मराठी’ ने उनसे खास बातचीत की.

महाराष्ट्र की राजनीति में ‘युवा नेतृत्व’

महाराष्ट्र की राजनीति और इस बार के चुनावों में कई दलों की बागडोर युवा नेताओं के हाथ में है.इस युवा नेतृत्व पर सवाल पूछने पर सुजात आंबेडकर कहते हैं, “आज की राजनीति में युवा नेताओं की एंट्री हो रही है, लेकिन उन्हें नेता कहना गलत है.

विधायक, सांसद और स्थापित नेताओं के बच्चे चुनाव में खड़े होते हैं और वही जीत भी जाते हैं.उदाहरण के लिए नांदेड़ में अभी तीसरी पीढ़ी चुनाव लड़ रही है.यही तस्वीर लातूर, बारामती और अन्य जगहों पर भी दिखाई देती है.और इसी बात का मैं विरोध करता हूं.”

सच्चे युवा नेतृत्व की पहचान बताते हुए वे कहते हैं, “युवाओं का राजनीतिक नेतृत्व आंदोलनों और जनआंदोलनों से आना चाहिए.सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करना, छात्रों और युवाओं की समस्याओं पर आवाज उठाना—इन प्रक्रियाओं से आए लोग ही सच्चे नेता कहे जा सकते हैं.लेकिन वर्तमान राजनीति में स्थापित नेताओं ने असली युवा नेतृत्व का गला घोंट दिया है.”

विचारधारा से भटकती महाराष्ट्र की राजनीति

महाराष्ट्र में कई स्थापित नेता अपनी पुरानी राजनीतिक विचारधारा छोड़कर विरोधी विचारधारा वाले दलों में शामिल हो रहे हैं.इस पर सवाल करने पर सुजात आंबेडकर ने कहा, “महाराष्ट्र में अब विचारधारा की राजनीति नहीं हो रही है.

हम यह बात 2019के चुनावों से ही कह रहे हैं.नेता रातोंरात दल बदलते हैं.यह इसलिए नहीं कि उन्हें उस पार्टी की विचारधारा पसंद है, बल्कि इसलिए कि वे अपनी जमीनें, कारखाने और शिक्षण संस्थान सुरक्षित रखना चाहते हैं.सत्ता का इस्तेमाल वे अपनी संपत्ति बचाने के लिए करते हैं.”

विचारधारा के संदर्भ में वे आगे कहते हैं, “इन लोगों का विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है.चुनाव के दौरान मीडिया के सामने विचारधारा का ढोंग रचते हैं.जैसे ही उन्हें पता चलता है कि उनकी पार्टी से टिकट नहीं मिलेगा, वे संपत्ति बचाने के लिए तुरंत दूसरी पार्टी में चले जाते हैं.

इसके उलट वंचित बहुजन आघाड़ी का रुख देखें तो 2019में जो हमारी भूमिका थी, वही आज भी है.2019के घोषणापत्र में किए गए कई वादे हमने बिना विचारधारा बदले आज भी कायम रखे हैं.”

मुस्लिम उम्मीदवारों के प्रतिनिधित्व का मुद्दा

वंचित ने इस बार के विधानसभा चुनाव में पहली बार सबसे ज्यादा 94बौद्ध उम्मीदवारों को मौका दिया है.इसके बाद, वंचित ने मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देते हुए 23उम्मीदवारों को टिकट दिया है.इसके साथ ही ओबीसी उम्मीदवारों को भी टिकट देकर उन्होंने ‘बौद्ध-मुस्लिम-ओबीसी’ का नया समीकरण तैयार है.

मुस्लिम समाज को इतने बड़े पैमाने पर टिकट देने के पीछे वंचित की भूमिका के बारे में पूछे जाने पर सुजात ने कहा,“अब तक कांग्रेस ने मुसलमानों का केवल वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है.सच्चर कमेटी की रिपोर्ट से यह साबित हुआ है कि मुस्लिम समुदाय आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से कमजोर है।”

वंचित बहुजन आघाड़ी ने 20से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया है.लेकिन लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समाज ने वंचित को नकारकर महाविकास अघाड़ी को प्राथमिकता दी थी.इस पर सुजात ने कहा,“महाराष्ट्र की आबादी में 12%मुसलमान हैं.फिर भी उन्हें लोकसभा में उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है.

उस समय महाविकास अघाड़ी ने भी एक भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़ा नहीं किया था.लोकसभा चुनाव के समय कांग्रेस ने मुस्लिम उम्मीदवारों को सीधे तौर पर धोखा दिया.अब यह बात मुस्लिम समाज में भी महसूस हो रही है.मुसलमानों ने महाविकास अघाड़ी को वोट दिया, फिर भी हमारे समाज को इतनी कम टिकटें क्यों मिलीं, इस पर मुस्लिम समाज की ओर से बड़े पैमाने पर सवाल उठाए जा रहे हैं.”

वे आगे कहते हैं, “विशालगढ़ जैसे मुद्दों पर महाविकास अघाड़ी के नेताओं ने कुछ नहीं कहा.वक्फ बोर्ड की जमीनें खतरे में थीं, तब भी मविआ के नेताओं ने कोई भूमिका नहीं निभाई.कांग्रेस ने देश पर 70वर्षों तक राज किया.अगर तब से उन्होंने मुस्लिम समाज को उचित प्रतिनिधित्व दिया होता, तो आज यह चर्चा ही नहीं होती.इसलिए मुस्लिम समाज अब वंचित बहुजन आघाड़ी को अपने अधिकार के विकल्प के रूप में देख रहा है.”

प्रतिनिधित्व का महत्त्व समझाते हुए सुजात कहते हैं, “जिनके लिए सत्ता के दरवाजे हमेशा बंद रहे, अगर वही वंचित समाज सत्ता में आ जाए और अपने समाज की उन्नति के लिए काम करे, तो उस समाज की स्थिति रातों-रात बदल सकती है.यही सोचकर वंचित ने इस बार अधिक से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने का निर्णय लिया.”

मुस्लिम आरक्षण पर वंचित की भूमिका

मुस्लिम आरक्षण पर वंचित का रुख स्पष्ट करते हुए सुजात कहते हैं, “हमारे जोशाबा (ज्योतिबा, शाहू, बाबासाहेब) समतापत्र में हमने कहा है कि वंचित बहुजन आघाड़ी मुसलमानों को शिक्षा और रोजगार के लिए 5%आरक्षण देगी.चुनावों के बाद अगर हम किंगमेकर की भूमिका में आए, तो जो पार्टी वंचितों के मुद्दों को सुलझाने का काम करेगी, उसे हमारा समर्थन मिलेगा.”

राज ठाकरे के ‘लाउडस्पीकर’ उतारने का काम वंचित करेगी

राज ठाकरे द्वारा मस्जिदों के लाउडस्पीकर को लेकर दिए गए बयान से राज्य में तनाव पैदा हुआ था.इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए सुजात आंबेडकर ने कहा, "राज ठाकरे के लाउडस्पीकर उतारने का काम वंचित बहुजन आघाड़ी के युवा कार्यकर्ताओं ने 2022में ही कर दिया था.अगर राज ठाकरे दोबारा मस्जिदों पर आपत्तिजनक बयान देंगे, तो वंचित बहुजन आघाड़ी एक बार फिर उन्हें रोकने का काम करेगी."

वंचित का चुनावी एजेंडा

वंचित के चुनावी एजेंडे पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “वंचितों को उचित प्रतिनिधित्व देना, किसानों के लिए एमएसपी लागू करना और उनके उत्पाद को उचित दाम दिलाना हमारी प्राथमिकताएं हैं.महाराष्ट्र में बंद पड़ी एमआईडीसी का पुनर्वसन कर हम एक करोड़ युवाओं के लिए रोजगार के अवसर पैदा कर सकते हैं.

50,000से अधिक ओबीसी, एससी और एनटी के रिक्त पदों को भरने का काम वंचित बहुजन आघाड़ी करेगी.सबसे अहम बात है 5%मुस्लिम आरक्षण और वंचितों के आरक्षण को बरकरार रखना.जो भी सरकार इन मांगों को स्वीकार करेगी, उसके साथ हम जाएंगे.लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि वंचित स्वबल पर चुनाव लड़ रहा है और अन्य बड़े दल हमारे एजेंडे को अपनाने पर मजबूर होंगे.”

कौन बनेगा किंगमेकर?

चुनावों के बाद किंगमेकर की भूमिका निभाने के सवाल पर सुजात कहते हैं, “किंगमेकर कौन बनेगा, यह मायने नहीं रखता.सबसे महत्वपूर्ण यह है कि सत्ता में आने वाले लोग कौन होंगे.अगर सत्ता सिर्फ उन्हीं 25परिवारों तक सीमित रही, तो वही पुराना खेल दोहराया जाएगा.लेकिन अगर सत्ता में वे लोग आएंगे, जिनके लिए दरवाजे हमेशा बंद रहे, तो जनता खुद किंगमेकर बनेगी। यही सशक्त लोकतंत्र का प्रतीक होगा.”

सुजात आंबेडकर के ये विचार बताते हैं कि वंचित बहुजन आघाड़ी न सिर्फ अपनी विचारधारा पर अडिग है, बल्कि वंचितों और मुस्लिम समुदाय को राजनीतिक मुख्यधारा में शामिल करने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है.यह देखना दिलचस्प होगा कि मुस्लिम समाज इसे एक नए विकल्प के रूप में स्वीकार करता है या नहीं.

(शब्दांकन – भक्ती चालक)