मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
नई दिल्ली के ऐवान ए गालिब ऑडिटोरियम में शनिवार की सर्द रात गजलों की मिठास और अल्फाजों की खनक से गर्माहट में बदल गई. कार्यक्रम में श्रोताओं ने दिल खोलकर शायरों को दाद दी. यह आयोजन सामाजिक और सांस्कृतिक संस्थान मीज़ान के तत्वाधान में किया गया.
कार्यक्रम के पहले सत्र में उर्दू के मशहूर शायर डॉ माजिद देवबंदी की किताब “रंग सुखन का” का विमोचन किया गया. इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद, तसमीया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ सैयद फारुक और अन्य गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी में किताब का लोकार्पण किया गया. अदिबा माजिद ने अपनी नात के जरिए इस सत्र की शुरुआत की.
अवार्ड से नवाजे गए उत्कृष्ट सेवा प्रदाता
कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्तियों को सम्मानित किया गया.
सर सैयद अवार्ड: सिराजुद्दीन हाश्मी (उनकी अनुपस्थिति में बेटे बुरहानुद्दीन हाश्मी ने स्वीकार किया)
फ़ख्र ए उर्दू अवार्ड: नदीम अब्बास जैदी
खिदमत ए ख़लक़ अवार्ड: अहमद रज़ा
फ़ख्रउद्दीन बैग अवार्ड: कमरुल हसन बैग
गौरवपूर्ण अवसर
पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन एक दूसरे को करीब लाने और नई चीजें सीखने का मौका देते हैं. तसमीया फाउंडेशन के संस्थापक डॉ सैयद फारुक ने भी डॉ माजिद देवबंदी को मुबारकबाद दी.
डॉ माजिद देवबंदी ने अपनी बात रखते हुए कहा, "दुनिया की सबसे बड़ी ताकत वक़्त है. जिसने इसकी कद्र की, वह हमेशा कामयाब रहा." इस सत्र का संचालन डॉ हबीबुर्रहमान ने किया.
गजलों और गीतों से सजी मुशायरे की महफिल
दूसरे सत्र में मुशायरे का आयोजन हुआ, जिसमें शायरों ने अपनी गजलों और गीतों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया.
शबीना अदीब ने देशभक्ति से लबरेज गजल "ये वतन मेरा वतन..." पेश की.
जौहर कानपुरी ने अपने शेर "हवेली-झोपड़ी सब का मुकद्दर फूट जाएगा..." से वाहवाही बटोरी.
डॉ माजिद देवबंदी ने कहा, "मेरे जलते हुए आंसू दुआ के साथ चलते हैं."
सुरेंद्र शजर, जुनैद अख्तर कंधालोई, शरफ नानपारवी और हास्य कवि सुनील कुमार तंग ने भी अपने कलाम से महफिल में चार चांद लगाए.
कार्यक्रम का संचालन मोईन शादाब ने किया, जबकि समापन डॉ माजिद देवबंदी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ.