बासित जरगर/श्रीनगर
देश-दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह कश्मीर के लोगों में भी ईद को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है. रमजान अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुका है और बाजारों में खरीदारों की भीड़ उमड़ पड़ी है. खरीदारी का यह सिलसिला सुबह से शुरू होकर देर रात तक जारी रहता है.
खासतौर पर महिलाओं की हथेलियों पर मेहंदी लगाने वालों का कारोबार भी इन दिनों चरम पर है.ईद-उल-फ़ितर के नज़दीक आते ही, श्रीनगर की सड़कों पर एक नया जोश और उमंग देखने को मिल रहा है.
शहर के प्रमुख शॉपिंग हब- लाल चौक, रेजीडेंसी रोड, पोलो व्यू और गॉन खान मार्केट में भारी भीड़ उमड़ रही है. परिवार अपने अंतिम दौर की खरीदारी में व्यस्त हैं और उनकी हंसी और बातचीत से शहर की गलियां जीवंत हो उठी हैं.
बाजारों में दिखी खरीदारों की चहल-पहल
पुरुष विभिन्न दुकानों पर कुर्ते, पठानी सूट और डिज़ाइनर वेस्टकोट खरीदते नजर आ रहे हैं. वहीं, युवा पीढ़ी आधुनिक और पारंपरिक परिधानों के फ्यूजन विकल्पों को प्राथमिकता दे रही है. इस बार के ईद बाजार में विशेष रूप से कश्मीरी परिधानों के साथ आधुनिक डिजाइनों की मांग बढ़ी हुई है.
हवा में बेकरी की ताजा चीज़ों की खुशबू फैली हुई है, जिसमें सुनहरी शीरमल, परतदार बाकरखानी और मुलायम कुलचे प्रमुख हैं. लोग पारंपरिक मिठाइयों जैसे सेवइयां, फिरनी और ज़ुल्बिया की खरीदारी में जुटे हुए हैं ताकि उनकी ईद की दावतें लजीज बन सकें.
स्ट्रीट वेंडरों की दुकानों पर भीड़
स्ट्रीट वेंडरों की दुकानें भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं. चमकीली चूड़ियां, झिलमिलाते गहने और सुगंधित इत्र की दुकानें ग्राहकों से भरी हुई हैं. मेहंदी लगाने वाले कलाकार भी अपने हुनर का प्रदर्शन करते दिख रहे हैं, और युवा लड़कियां अपने हाथों पर मेंहदी के खूबसूरत डिज़ाइन बनवाने में व्यस्त हैं। बच्चों के खिलौनों और मिठाइयों की दुकानों पर भी भीड़ देखने को मिल रही है.
मुद्रास्फीति के बावजूद खरीदारों में उत्साह
हालांकि इस साल महंगाई में वृद्धि देखने को मिली है, फिर भी खरीदारों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है। दुकानदारों ने अपनी दुकानों को आकर्षक लाइटों और सजावट से सजा दिया है, जिससे बाजारों में उत्सव का माहौल और बढ़ गया है. जैसे-जैसे ईद का चांद दिखने के दिन नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे बाजारों में चहल-पहल और बढ़ती जा रही है.
ईद की खरीदारी: एक परंपरा और उत्सव का संगम
श्रीनगर के लोगों के लिए ईद की खरीदारी सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि खुशी और एकजुटता का प्रतीक भी है. यह त्योहार संघर्षों के बावजूद प्रेम, कृतज्ञता और साझा खुशी का संदेश देता है. जैसे ही चांद दिखने की खबर आएगी, इसी उत्साह के साथ कश्मीरवासी ईद-उल-फ़ितर का जश्न मनाने के लिए तैयार होंगे.