मलिक असगर हाशमी/नई दिल्ली
महाकुंभ 2025, जो कि भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन के रूप में चर्चित है, एक ओर जहां अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, वहीं दूसरी ओर इस महाकुंभ में गंगा-जमुनी तहज़ीब और हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की कई प्रेरणादायक और दिल छूने वाली कहानियां भी सामने आ रही हैं.
इस आयोजन की शुरुआत से पहले हिंदू-मुस्लिम को लेकर कई विवादास्पद कहानियां सामने आई थीं, लेकिन जैसे-जैसे महाकुंभ का आयोजन अपने अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसने एकता, प्रेम और सौहार्द के नए आयाम स्थापित किए हैं.
महाकुंभ में इन दिनों कई ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जो यह दर्शाती हैं कि धर्म और जाति की सीमाएं इंसानियत के बीच कोई मायने नहीं रखतीं.ऐसे ही कुछ दिल को छूने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जो महाकुंभ के इस महान आयोजन के दौरान गंगा-जमुनी संस्कृति की जीवंत तस्वीर पेश करती हैं.
रामशंकर और फरहान आलम की कहानी: जीवन देने वाली मदद
महाकुंभ के दौरान रामशंकर नामक एक श्रद्धालु की हालत खराब हो गई और उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिससे वह बेहोश हो गए.यह घटना कुंभ क्षेत्र में ही घटी.इस समय फरहान आलम, एक मुस्लिम युवक ने रामशंकर की मदद की और सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) देकर उनकी जान बचाई.
यह घटना महाकुंभ में मौजूद श्रद्धालुओं के लिए एक अनमोल उदाहरण बन गई है कि इंसानियत से बढ़कर कोई धर्म नहीं होता.फरहान की इस मदद ने यह साबित कर दिया कि भाईचारा सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं होता, बल्कि यह हमारे कृत्यों में भी दिखना चाहिए.इस घटना को लेकर आवाज द वाॅयस ने इसे एक मिसाल के रूप में पेश किया, जो धर्म की सीमाओं को पार कर इंसानियत की तरफ इशारा करती है.
कफील उल रहमान की साझा की गई कहानी
महाकुंभ के दौरान कफील उल रहमान ने एक और दिल को छूने वाली कहानी सोशल मीडिया पर साझा की.इस वीडियो में एक मुस्लिम व्यक्ति, जो दाढ़ी और टोपी पहने हुए था, महाकुंभ के भूखे श्रद्धालुओं को खाने-पीने का सामान बांटते हुए नजर आया.
कफील ने इस वीडियो को फेसबुक पर साझा करते हुए लिखा, “यह वीडियो प्रयागराज के रौशन बाग इलाके की है, जहां अत्यधिक भीड़ के चलते बहुत से श्रद्धालु जहां भी जगह पा रहे हैं, वहीं रुककर आराम कर रहे हैं.
इस दौरान स्थानीय लोग उनकी जमकर मदद कर रहे हैं.यही है गंगा-जमुनी तहज़ीब.” इस वीडियो ने यह स्पष्ट किया कि महाकुंभ के दौरान न सिर्फ धार्मिक भावनाओं का आदान-प्रदान हो रहा है, बल्कि एक-दूसरे की मदद कर भी लोग समाज में भाईचारे का संदेश दे रहे हैं.
रजा अब्बास जैदी की साझा की गई तस्वीरें: भाईचारे की मिसाल
भाईचारे और सौहार्द की एक और कहानी रजा अब्बास जैदी ने सोशल मीडिया पर शेयर की.उन्होंने कुछ तस्वीरें साझा कीं, जो प्रयागराज के यादगारे हुसैनी कॉलेज की थीं.इन तस्वीरों में कॉलेज के कई कमरे दिखाई दे रहे, जिनमें श्रद्धालु आराम कर रहे थे.
इन तस्वीरों को शेयर करते हुए रजा अब्बास जैदी ने बताया कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं के ठहरने की व्यवस्था की गई है, ताकि वे शांति से अपने तीर्थ यात्रा को पूरा कर सकें.इन तस्वीरों ने यह सिद्ध कर दिया कि महाकुंभ के आयोजन में स्थानीय लोग किस तरह से एकजुट होकर धार्मिक मतभेदों से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं और एक दूसरे की मदद कर रहे हैं.यह गंगा-जमुनी तहज़ीब का बेहतरीन उदाहरण था, जो पूरे देश में भाईचारे का संदेश दे रहा था.
गंगा-जमुनी तहज़ीब
महाकुंभ 2025, जहां एक तरफ लाखों श्रद्धालु धर्म की साधना के लिए पहुंचते हैं, वहीं दूसरी तरफ यह आयोजन देश की गंगा-जमुनी संस्कृति को भी जीवंत करता है.हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की ये कहानियां न केवल महाकुंभ की सुंदरता को बढ़ाती हैं, बल्कि समाज में एकता और सामूहिकता का महत्व भी दर्शाती हैं.
महाकुंभ के इस आयोजन में धर्म, संस्कृति और समुदाय की सीमाएं बहुत ही धुंधली हो जाती हैं, और यह हमें यह सिखाता है कि हम सभी एक ही इंसानियत के आधार पर जुड़े हुए हैं.इन कहानियों के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि हम सब एक हैं, चाहे हमारी धार्मिक मान्यताएं अलग हों.
महाकुंभ 2025 इस बात का जीता जागता प्रमाण है कि धर्म और जाति से ऊपर उठकर इंसानियत की सेवा सबसे महत्वपूर्ण है, और यही असली गंगा-जमुनी तहज़ीब है.यही कारण है कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां विभिन्न समुदायों के लोग एक दूसरे से मिलते हैं, एक दूसरे की मदद करते हैं, और समाज में प्रेम और भाईचारे का संचार करते हैं.