76 वें गणतंत्र दिवस पर धार्मिक सद्भाव और संस्कृति का गुलदस्ता पेश करतीं झांकियां

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 27-01-2025
Tableaux presented a bouquet of religious harmony and culture on the 76th Republic Day
Tableaux presented a bouquet of religious harmony and culture on the 76th Republic Day

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

76वें गणतंत्र दिवस परेड के दौरान दिल्ली के कर्तव्य पथ पर 16राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) और केंद्र सरकार के 10मंत्रालयों / विभागों की प्रदर्षित झांकियों में धार्मिक सद्भाव की तस्वीर पेश करने वाली झांकियां आकर्षण का केंद्र बनीं.

जिसमें मुख्य रूप से पंजाब की झांकी जिसमें पंजाब के सबसे श्रद्धेय सूफी संतों में से एक, बाबा शेख फरीद जी की शिक्षा पर आधारित है. साथ ही  जम्मू और कश्मीर की झांकी जिसमें पारंपरिक कला और शिल्प पर विशेष ध्यान दिया गया है शामिल हैं.

इस साल पंजाब की झांकी बाबा शेख फरीद को समर्पित  

76वें गणतंत्र दिवस पर पंजाब राज्य की झांकी इसकी उत्कृष्ट इनले डिज़ाइन कला और खूबसूरत हस्तशिल्प का अद्भुत संगम है. झांकी के ट्रैक्टर भाग में इनले डिज़ाइन की बारीकियां उकेरी गई हैं, जबकि ट्रेलर भाग में गहरी श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक, महान सूफी संत बाबा शेख फरीद जी की मनोहर छबि को प्रदर्शित किया गया है. क्योंकि पंजाब, मुख्य रूप से एक कृषि प्रधान राज्य है, इसलिए झांकी के ट्रैक्टर भाग की शुरुआत एक बैलों की जोड़ी पर बहुत ही सुंदर ढंग से उकेरे गए पुष्प आकृतियों से की गई है, जो राज्य के कृषि पहलू को दर्शाती है.

इसके अलावा, नीचे बिछी हुई खूबसूरत दरियां इस अनूठी कृति को एक खास शालीनता प्रदान करती हैं. इसके बाद ट्रेलर के शुरुआत में राज्य की अत्यंत समृद्ध संगीत विरासत को प्रदर्शित किया गया है, जिसमें पारंपरिक पोशाक पहने एक व्यक्ति हाथ में 'तुम्बी' थामे हुए है, साथ में ढोलक और सुंदर ढंग से सजाए गए मिट्टी के घड़े भी दिखाए गए हैं. इसके बाद ट्रेलर के मध्य भाग में एक पारंपरिक परिधान पहने महिला हाथों से कपड़ा बुनते हुए नजर आती है, जो लोक कढ़ाई की कला को दर्शाती है. यह कला फूलों की सुंदर आकृतियों से सजी होती है, जिसे पूरी दुनिया में 'फुलकारी' के नाम से जाना जाता है.

इसके बाद ट्रेलर के अंतिम भाग में पंजाब के सबसे श्रद्धेय सूफी संतों में से एक, बाबा शेख फरीद जी 'गंज-ए-शक्कर' एक पेड़ की छांव में बैठे हुए, श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में समाहित भजनों की रचना में लीन दिखाया गया है. बाबा शेख फरीद जी पंजाबी भाषा के पहले कवि थे,जिन्होंने इसे विकसित और पोषित किया, जिससे इसे साहित्यिक क्षेल में स्थान मिला.

उनकी नैतिक शिक्षाएं इस बात पर केंद्रित थीं कि सभी लोग नैतिक सिद्धांतों का पालन करें और ईश्वर के प्रति समर्पित रहें. उन्होंने सिखाया कि लोग विनम्र, संतुष्ट, उदार और दयालु बनें. बाबा फरीद जी ने यह भी उपदेश दिया कि लोग ध्यान करें, ईश्वर से प्रेम करें और हमेशा ईश्वर को याद करें व उनके आदेशों का पालन करें.

पारंपरिक कला और शिल्प- जम्मू और कश्मीर 

देखिए ऊपर दी गई तस्वीर में जम्मू और कश्मीर की झांकी इस क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाती है, जिसमें पारंपरिक कला और शिल्प पर विशेष ध्यान दिया गया है. ट्रेलर भाग में कश्मीरी शैली का एक विरासत भवन घाटी की अद्वितीय स्थानीय वास्तुकला को प्रदर्शित करता है.

इसमें बारीक लकड़ी के जोड़ों का काम किया गया है, जो पीढ़ियों से हस्तकला के रूप में संरक्षित है. इसी भाग में पारंपरिक कश्मीरी मंडप (जिसे 'कुशल' कहा जाता है) शिल्पकारों को कश्मीरी कालीन, पश्मीना शॉल, लकड़ी की नक्काशी, चेन स्टिच, पेपर मेशे, क्रूएल एम्ब्रॉयडरी,विलो वर्क, नमदा और फूलकारी जैसी कलाओं और बुनाई में व्यस्त दिखाता है. हरे-भरे लॉन में रंग-बिरंगे फूल और चिनार का पेड़ इस क्षेत्र की मनमोहक प्राकृतिक सुंदरता को प्रदर्शित करते हैं.

यह झांकी परंपरा, कला, और प्राकृतिक सुंदरता का एक सामंजस्यपूर्ण मिश्रण है, जो जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक पहचान की झलक पेश करती है. यह भारत की कलात्मक और शिल्प विरासत में इसके योगदान को भी उत्साहपूर्वक मनाती है.

ट्रैक्टर भाग में कश्मीरी कला और शिल्प वस्तुओं को प्रमुखता से दिखाया या गया गया. है, जैसे तांबे के समोवर, पारंपरिक मिट्टी के बर्तन, बारीक डिजाइन वाले पेपर मेशे के शिल्प, अखरोट की लकड़ी की नक्काशी और पारंपरिक बसोली शैली की पेंटिंग्स. झांकी के अग्रभाग में पारंपरिक पोशाक में एक कश्मीरी शिल्पकार की बड़ी प्रतिमा मानव स्पर्श जोड़ती है, जो जम्मू और कश्मीर की सांस्कृतिक जीवनशैली को प्रदर्शित करती है.

जम्मू और कश्मीर की ये पारंपरिक कला और शिल्प समय के साथ विकसित हुए हैं, जो. क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता और इसके लोगों की कौशलता को दर्शाते हैं. यह समृद्ध धरोहर आज भी विकसित हो रही है, जिससे जम्मू और कश्मीर के हस्तशिल्प की विरासत न केवल संरक्षित है, बल्कि वैश्विक मंच पर आगे बढ़ रही है. यह आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है और क्षेत्र की सांस्कृतिक भावना को जीवंत रखती है.

जानिए झांकियों की थीम  

जम्मू और कश्मीर: पारंपरिक कला और शिल्प

लद्दाख: ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ 

दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी ‘गुणवत्तापूर्ण शिक्षा’ का प्रदर्शन करेगी
 
गोवा: गोवा की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व 
 
उत्तराखंड: झांकी में सांस्कृतिक विरासत और साहसिक खेलों का प्रदर्शन 
 
हरियाणा: भगवत गीता का प्रदर्शन
 
झारखंड: ‘स्वर्णिम झारखंड’ विरासत और प्रगति की विरासत’ का प्रदर्शन 
 
गुजरात: ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’
 
आंध्र प्रदेश: दक्षिणी राज्य ‘एटिकोप्पाका बोम्मलु-पर्यावरण-अनुकूल लकड़ी के खिलौने’ का प्रदर्शन 
 
पंजाब: राज्य को ज्ञान और बुद्धिमत्ता की भूमि 
 
उत्तर प्रदेश: राज्य ‘महाकुंभ 2025 – स्वर्णिम भारत विरासत और विकास’ का प्रदर्शन 
 
बिहार: स्वर्णिम भारत विरासत और विकास (नालंदा विश्वविद्यालय)
 
मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश की महिमा: कूनो राष्ट्रीय उद्यान- चीतों की भूमि’
 
त्रिपुरा: उत्तर-पूर्व राज्य ‘शाश्वत श्रद्धा’ का प्रतिनिधित्व: त्रिपुरा में 14 देवताओं की पूजा – खारची पूजा’
 
कर्नाटक: लक्कुंडी, पत्थर शिल्प का उद्गम स्थल

पश्चिम बंगाल: राज्य ‘लक्ष्मी भंडार’ और ‘लोक प्रसार प्रकल्प’ का प्रदर्शन , जिसका विषय ‘बंगाल में जीवन को सशक्त बनाना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना’ होगा
 
चंडीगढ़: विरासत, नवाचार और स्थिरता का सामंजस्यपूर्ण मिश्रण

दादरा नगर हवेली और दमन और दीव: केंद्र शासित प्रदेश दमन एवियरी बर्ड पार्क के साथ-साथ कुकरी मेमोरियल का प्रदर्शन, जो भारतीय नौसेना के बहादुर नाविकों को श्रद्धांजलि है.
 
 

कौन से मंत्रालय/विभाग की झांकियां हुई शामिल होंगी

प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, जनजातीय कार्य मंत्रालय, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, वित्तीय सेवा विभाग, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय, पशुपालन एवं डेयरी विभाग, संस्कृति मंत्रालय और सीपीडब्ल्यूडी मंत्रालय/विभाग की झांकियां कर्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस परेड में शामिल हुई.