मलिक असगर हाशमी
मुस्लिम शादियों में छुहारे की बड़ी अहमियत है. देश के किसी भी हिस्से में मुसलमानों की शादी हो, छुहारा किसी न किसी रूप में सामने आ ही जाता है. मुस्लिम शादियों में बड़ी शिद्दत से इसका इस्तेमाल होता है.
क्या खजूर और छुहारा एक है ?
शादियों में छुहारे की अहमितय जाने से पहले इस सवाल का जवाब जानना बेहद जरूरी है. दरअसल, खजूर ही छुहारा है. खजूर को सुखा कर छुहारा तैयार किया जाता है. इस्लाम में खजूर को खास अहमियत मिली हुई है. खजूर इस्लाम के आखिरी पैगंबर मोहम्मद साहब का पसंदीदा भोजन था.
इसलिए पूरी दुनिया के मुसलमानों के बीच खजूर से रोजा खोलने का रिवाज है. इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि खाने के बाद यदि मीठे के तौर पर खजूर का सेवन किया जाए तो बेहतर सुन्नत माना जाएगा. यह सेहत के नजरिए से भी काफी लाभदायक है.
बहरहाल, यहां बात हो रही है मुस्लिम शादियों में खजूर के महत्व की. श्रीनगर कुप्पाड़ा की महक बांदे कहती हैं, ‘‘ कश्मीर में भी निकाह के समय छुहारे का कसरत से इस्तेमाल होता है.’’ कुछ इसी तरह की बातें देवबंद की मूल निवासी और दिल्ली में रहने वाली अमीना भी कहती हैं.
निकाह में छुहारा बांटने का चलन
मुस्लिम शादियों में निकाह के समय छुहारा बांटने का खास चलन है. यह चलन कैसे सामने आया, इस बारे में कहीं कोई लिखित इतिहास नहीं है. निकाह के तुरंत बाद वहां मौजूद लोगों में छुहारा विशेष तौर से बांटा जाता है. छुहारा दूल्हे की साइड से लाया जाता है.
फरीदाबाद के मौलाना जमाल कहते हैं, ‘‘ निकाह के समय छुहारा बांटने का कोई इस्लामिक संदेश नहीं है. चूंकि यह खुशी का मौका है. खुशी के मौके पर मीठी चीज बांटी जाती है, इसलिए छुहारा बांटा जाता है. पहले मिठाई नहीं थी, इसलिए निकाह के बाद खजूर या छुहारा बांटा जाता था.
अधिक दिनों तक रखने के लिहाज से छुहारा ज्यादा बेहतर होता है, इसलिए शादियों में पकवानों के साथ निकाह में बांटने के लिए भी इसे इस्तेमाल किया जाता है.
निकाह में छुहारा लुटाने का रिवाज
बिहार में निकाह में छुहारा लुटाने का खास रिवाज है. निकाह होते ही लड़के के पक्ष वाले मुट्ठी में भर-भरकर वहां मौजूद लोगों में छुहारा लुटाते हैं. इसे लूटने के लिए कुछ समय के लिए वहां भगदड़ सी स्थिति पैदा हो जाती है. फुलवारी शरीफ के पेशे से शिक्षक शकील अहमद कहते हैं,‘‘ कई बार तो निकाह में छुहारा लूटने के दौरान सिर फुटव्वल जैसी स्थिति पैदा हो जाती है.
हालांकि निकाह के बाद छुहारे का ‘तबर्रूक’ दोस्तों-रिश्तेदारों में भी बांटा जाता है. इसके वितरण में ऐसा नहीं कि केवल मुसलमानों में इसे बांटा जाता है. चाहे किसी भी धर्म-मजहब के हों, अपने करीबियों में इसके वितरण का रिवाज है.
निकाह का छुहारा बांटने के डिजाइनर पाॅउच और डिब्बे
एक दशक पहले तक निकाह के तुरंत बाद वहां मौजूद लोगों में छुहारा यूं ही थमा दिया जाता था. पश्चिम बंगाल, झारखंड और बिहार में छुहारे के साथ ‘लुकुमदाना’ बांटने का रिवाज है. इन प्रदेषों में चीनी और भुने चलने से बने इलायची दाने के बड़े रूप को ‘लुकुमदाना’ कहा जाता है. कई जगह इसे ‘नकुलदाना’ भी कहा जाता है.
वक्त के साथ इसमें बड़ा बदलाव आया है. अब शादियों में छुहारे पैकेट में डालकर मिश्री और मखाना के साथ बांटा जाता है. दिल्ली की जामा मस्जिद इलाके में बांटने वाले खूबसूरत लिफाफे और डब्बे मिल जाएंगे.