नागपुर की सीएसआरई की सफलता: तलाकशुदा महिला को पूर्व पति से दिलाया सात लाख रुपये का हक

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 07-03-2025
Success of CSRE of Nagpur: Divorced woman got the right of Rs. 7 lakh from her ex-husband
Success of CSRE of Nagpur: Divorced woman got the right of Rs. 7 lakh from her ex-husband

 

गुलाम कादिर/ नागपुर

कानूनी सहायता के बिना न्याय प्राप्त करना अक्सर गरीब और वंचित वर्ग के लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाता है. लेकिन, कुछ संस्थाएँ हैं जो समाज के कमजोर वर्ग को न्याय दिलाने में सक्रिय रूप से कार्य कर रही हैं, और ऐसी ही एक संस्था है नागपुर स्थित सीएसआरई (Centre for Social Research and Empowerment).

सीएसआरई ने एक और महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है, जिससे न केवल एक महिला का जीवन बदला, बल्कि यह भी साबित हुआ कि अगर सही कानूनी मार्गदर्शन और सहायता मिले तो न्याय प्राप्त किया जा सकता है.

इस बार, सीएसआरई की कानूनी सहायता प्रकोष्ठ ने एक तलाकशुदा महिला को उसके पूर्व पति से सात लाख रुपये की लंबित धनराशि दिलवाने में सफलता प्राप्त की है. यह मामला उन महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बन सकता है, जो समाज में न्याय पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं, विशेष रूप से तब जब उनके पास पर्याप्त कानूनी सहायता और दस्तावेज़ नहीं होते.

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कानूनी सहायता की आवश्यकता और सीएसआरई का हस्तक्षेप

यह कहानी शुरू होती है  अलसफा रहमान नाम की एक युवा लड़की और उनकी माँ की यात्रा से. अलसफा और उसकी माँ सीएसआरई के पास मदद के लिए पहुँची थीं.

उनका मामला यह था कि लड़की के पिता ने उसकी माँ को तलाक देने के बाद अदालत के आदेश के बावजूद भरण-पोषण का बकाया भुगतान नहीं किया.

महिला ने कई बार इस मामले को सुलझाने के लिए प्रयास किए, लेकिन उसे कोई न्याय नहीं मिल सका. इसके अतिरिक्त, महिला के पास अपने केस को लड़ने के लिए आवश्यक कानूनी दस्तावेज भी नहीं थे, जिससे वह निराश हो चुकी थी.

सीएसआरई की कानूनी टीम ने तुरंत ही उनकी मदद करने का निर्णय लिया. संस्था की टीम ने महिला को न केवल कानूनी प्रक्रियाओं को समझने में मदद की, बल्कि उसे कानूनी दस्तावेज़ों की व्यवस्था भी की और केस दायर करने में मार्गदर्शन प्रदान किया. इसके अलावा, संस्था ने महिला को मौद्रिक सहायता भी दी, जिससे वह अपने केस को प्रभावी तरीके से आगे बढ़ा सकी.

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सात लाख रुपये की लंबित धनराशि की वापसी

सीएसआरई की कानूनी टीम ने बखूबी इस केस को लड़ते हुए महिला के पक्ष में एक बड़ी कानूनी जीत सुनिश्चित की. अंततः, महिला का पूर्व पति सुलह करने के लिए राजी हो गया, और कानूनी प्रक्रिया के तहत उसे डिमांड ड्राफ्ट (DD) के माध्यम से सात लाख रुपये की पूरी राशि सौंप दी गई.

इस मामले में सीएसआरई के वरिष्ठ अधिवक्ता कुतुब जफर और उनकी टीम का अहम योगदान था. उनकी विशेषज्ञता और सही रणनीति की वजह से महिला को वह आर्थिक सहायता मिल पाई, जिसकी वह वर्षों से प्रतीक्षा कर रही थी.

महिला की प्रतिक्रिया: "न्याय पाकर बेहद संतुष्ट हूँ"

जब महिला को उसके हक की राशि मिल गई, तो उसने सीएसआरई के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा, "मैं न्याय पाकर बेहद संतुष्ट हूँ. यह सिर्फ एक आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि मेरे लिए यह एक नई जिंदगी की शुरुआत है. मैं कभी नहीं सोच सकती थी कि मुझे यह राहत मिलेगी।" इस न्यायपूर्ण फैसले ने न केवल उसकी आर्थिक स्थिति को सुधारा, बल्कि उसकी आत्म-विश्वास को भी नया जीवन दिया.

सीएसआरई: समाज के कमजोर वर्ग के लिए न्याय की एक आशा

सीएसआरई (Centre for Social Research and Empowerment) एक ऐसी संस्था है, जो वंचित और जरूरतमंद लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए कार्यरत है. यह संस्था समाज के उन तबकों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराती है, जो न्याय प्राप्त करने में असमर्थ होते हैं, और इसका मुख्य उद्देश्य सामाजिक न्याय की रक्षा करना और लोगों के कानूनी अधिकारों की सुरक्षा करना है.

सीएसआरई की कानूनी सहायता प्रकोष्ठ ने इस सफलता से यह साबित कर दिया है कि सही मार्गदर्शन और समर्थन से कोई भी व्यक्ति न्याय प्राप्त कर सकता है, चाहे उसकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कैसी भी हो.

कानूनी सहायता से बदली जिंदगी

यह मामला एक बार फिर साबित करता है कि अगर किसी व्यक्ति को कानूनी मदद और मार्गदर्शन मिले, तो न्याय पाना नामुमकिन नहीं है. सीएसआरई जैसी संस्थाएँ उन लोगों के लिए एक आशा की किरण बनकर उभर रही हैं, जो अन्यथा कानूनी लड़ाई से वंचित रह जाते.

सीएसआरई का संदेश: न्याय के लिए संघर्ष करें

सीएसआरई का यही संदेश है कि अगर आप भी किसी कानूनी समस्या से जूझ रहे हैं और आपको सहायता की आवश्यकता है, तो आप सीएसआरई की वेबसाइट www.csreindia.org पर जाकर मुफ्त कानूनी सहायता के लिए आवेदन कर सकते हैं. संस्थाओं की तरह सीएसआरई का कार्य समाज के कमजोर वर्गों को न्याय दिलाने में निरंतर जारी रहेगा, और ऐसे मामलों में कानून का पालन कर सभी को बराबरी का हक दिलाने का प्रयास करेगा.

यह कहानी यह साबित करती है कि अगर एक व्यक्ति को सही कानूनी सहायता मिले, तो जीवन की दिशा को पूरी तरह बदला जा सकता है. सीएसआरई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि न्याय किसी के लिए भी सुलभ और सुलभ हो सकता है, बशर्ते उसे सही मार्गदर्शन और सहायता मिल रही हो.

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सीएसआरई क्या है?

सीएसआरई (सामाजिक अनुसंधान और अधिकारिता केंद्र) एक पंजीकृत गैर-लाभकारी संगठन है, जिसे नवंबर 2015 में स्थापित किया गया था. इसका उद्देश्य शैक्षणिक, आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण के माध्यम से सामाजिक समानता को बढ़ावा देना है.

सीएसआरई का मुख्य कार्य पेशेवरों, शिक्षाविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, परोपकारियों, और सरकारी एवं सार्वजनिक उपक्रमों के वरिष्ठ अधिकारियों, दोनों सेवानिवृत्त और सेवारत, के लिए एक साझा मंच प्रदान करना है, ताकि वे आपस में विचार-विमर्श, नेटवर्किंग, समन्वय और सहयोग कर सकें और शिक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त कर सकें.

 

सीएसआरई समान गैर सरकारी संगठनों/संगठनों के लिए एक छत्र संगठन के रूप में काम करता है. इसका प्रमुख उद्देश्य समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों को शिक्षा, आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के माध्यम से सशक्त बनाना है.

इसके लिए, सीएसआरई ने इन तीन प्रमुख क्षेत्रों—शिक्षा, कानूनी सहायता और सलाह, और व्यवसाय विकास—में पेशेवरों का एक समूह नियुक्त किया है. ये सेवाएं संगठन के पंजीकृत कार्यालय, जो रजा अपार्टमेंट, श्याम लॉन के पीछे, जाफर नगर, नागपुर-440013 में स्थित हैं, प्रतिदिन प्रदान की जाती हैं.