एसआईओ का तीन दिवसीय भव्य साहित्य महोत्सव शुरू, देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रम

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] | Date 21-12-2024
SIO's three day grand literature festival begins, program filled with patriotism
SIO's three day grand literature festival begins, program filled with patriotism

 

मोहम्मद अकरम /नई दिल्ली 

जमात-ए-इस्लामी हिंद की छात्र शाखा स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (एसआईओ) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अल-नूर साहित्य महोत्सव का शुभारंभ जमाअत के परिसर में हुआ. इस महोत्सव में लेखकों, विचारकों, छात्रों और सांस्कृतिक उत्साही लोगों का जीवंत समागम देखने को मिला. यह फेस्टिवल साहित्य, दर्शन और कला की समृद्धि की खोज के उद्देश्य से आयोजित किया गया है.

पहले दिन के कार्यक्रम में देश की मौजूदा स्थिति पर मुस्लिम युवाओं और राजनीतिक मुद्दों पर विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किए. इसके साथ ही भारतीय भाषाओं में नात ए नबी पेश किया गया और देशभक्ति पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए गए.


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आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने का प्रयास

अल-नूर साहित्य महोत्सव के संयोजक डॉ. रोशन मुहीउद्दीन ने बताया कि इसका उद्देश्य समाज में संस्कृति, एक दूसरे के विचारों का सम्मान और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देना है. इसके अलावा यह कार्यक्रम दर्शन, साहित्य, संस्कृति और समाज पर सार्थक चर्चाओं की एक सृजनात्मक और बौद्धिक वातावरण प्रदान करता है, जो समाज में विविध दृष्टिकोणों को विकसित करता है.


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एकता की आवश्यकता पर जोर

बिहार एमआईएम के अध्यक्ष अख्तरुल ईमान ने कहा कि देश की आज़ादी के समय हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी एकजुट थे, लेकिन आजादी मिलने के बाद से सब ने एक होने का संकल्प छोड़ दिया. इसके बाद से मुसलमानों को राजनीतिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि एसआईओ हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करता है और सद्भावना को बढ़ावा देता है.


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मुसलमानों को राजनीति में सक्रिय होने की आवश्यकता

जमाअत इस्लामी हिन्द के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने कहा कि भारत के मुसलमानों की सबसे बड़ी गलती यह रही कि उन्होंने आजादी के बाद खुद को राजनीति से अलग कर लिया और दूसरे राजनीतिक दलों पर अपने भविष्य को छोड़ दिया. नतीजतन, मुसलमानों की स्थिति आज सामने है. उन्होंने नई पीढ़ी से सकारात्मक सोच के साथ समाज और देश के विकास में योगदान देने का आह्वान किया.


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सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति

इस दिन के कार्यक्रम में माइम द्वारा शराब से बचने, पेड़ की सुरक्षा, हिंदू-मुस्लिम एकता और देशभक्ति पर आधारित ड्रामे प्रस्तुत किए गए, जो दर्शकों ने खूब सराहे.डॉ. रोशन मुहीउद्दीन ने महोत्सव की विशेषता बताते हुए कहा कि यह कार्यक्रम इस्लामी सिद्धांतों से प्रेरित बौद्धिक और सांस्कृतिक जुड़ाव पर केंद्रित है.

विशेष रूप से छात्रों और संगठन के कैडरों के लिए डिज़ाइन किए गए इस महोत्सव का उद्देश्य इस्लामी विचारों का प्रसार करना, विचारोत्तेजक चर्चाओं को बढ़ावा देना और साहित्य, दर्शन और संस्कृति में सक्रिय भागीदारी के माध्यम से क्षमता निर्माण करना है.

सभ्यतागत योगदान की पुनः खोज

इस महोत्सव का उद्देश्य इस्लामी सभ्यताओं के बौद्धिक, सांस्कृतिक और कलात्मक योगदान को पुनर्जीवित करना है, साथ ही समकालीन समय में उनकी प्रासंगिकता की खोज भी करना है.


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42 वर्षों का गौरवमयी इतिहास

डॉ. रोशन मुहीउद्दीन ने अंत में कहा कि यह महोत्सव एसआईओ के 42 वर्षों से अधिक के इतिहास और इसके योगदान को याद दिलाता है, जो आधुनिक प्रवचन और कला तथा साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्यों से जुड़ा है.
पहले दिन के कार्यक्रम में केरल की प्रसिद्ध सांस्कृतिक प्रस्तुति "कोलकदे" को प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने खूब सराह.