शादी-दो : धर्म नहीं, रिश्तों की उड़ान: हिंदू चाचा ने मुस्लिम भतीजी की शादी में उड़ाया मोहब्बत का हेलीकॉप्टर

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 14-04-2025
Hindu uncle brings bhaat to Muslim niece's wedding, sends her off in helicopter
Hindu uncle brings bhaat to Muslim niece's wedding, sends her off in helicopter

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
भारत में एक हिंदू चाचा ने अपनी मुस्लिम भतीजी की बारात का प्रबंध किया, यह एक ऐसा कदम था जिसने दोनों परिवारों के बीच मजबूत बंधन और सांप्रदायिक सौहार्द को मजबूत किया.
 
चाचा राहुल ठाकुर ने न केवल शादी की रस्मों में हिस्सा लिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि उनकी भतीजी अस्मा को एक यादगार विदाई मिली. भाईचारे के इस कार्य में, शादी के दौरान उनकी उपस्थिति के साथ, दोनों परिवार के बीच में सम्मान और स्नेह का चित्रण किया गया, जो दोस्ती से दोस्त हैं.
 
पारिवारिक प्रेम और सांप्रदायिक सद्भाव के सार को दर्शाते हुए, मुज़फ़्फ़रनगर में एक व्यक्ति ने अपनी पालक भतीजी को शादी का सबसे अविस्मरणीय उपहार दिया - एक हेलीकॉप्टर में बादलों के माध्यम से विदाई.
 
कतर के चिकित्सा क्षेत्र में काम करने वाली दुल्हन अस्मा प्रवीण (26) ने गुरुवार को मेरठ के बीफार्मा स्नातक मोहम्मद शादाब (28) के साथ शादी के बंधन में बंधी. परंपरा और भावनाओं का जीवंत मिश्रण, इस शादी में सबसे मार्मिक क्षण ‘भात’ समारोह के दौरान आया - दुल्हन के मामा द्वारा उपहार देने की एक पारंपरिक रस्म.
 
 
लेकिन यह ‘भात’ पंखों के साथ आया, और एक परीकथा जैसी विदाई. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम में किसान और कंडक्टर राहुल ठाकुर (35) ने दुल्हन की विदाई के बाद उसे ले जाने के लिए एक हेलीकॉप्टर की व्यवस्था की. "वह मेरी भतीजी है, और यह मेरा भात है," उन्होंने नम आँखों और स्थिर आवाज़ में कहा.
 
ठाकुर ने कहा, "हमारे परिवारों ने तीन पीढ़ियों से एक बंधन साझा किया है. दोनों परिवार अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं, लेकिन उनके बीच का बंधन गहरे प्यार और सम्मान से पैदा हुआ है."
 
ठाकुर ने याद किया कि कैसे अस्मा का परिवार उनके पिता की गंभीर बीमारी के दौरान चट्टान की तरह उनके साथ खड़ा था. "रिश्तेदार आते-जाते रहे, लेकिन इस परिवार ने कभी हमारा साथ नहीं छोड़ा.
 
डॉक्टर भी उनके बारे में बात करते थे कि वे कितने शानदार थे. इस धरती ने उस बंधन को देखा है. यह मुजफ्फरनगर है- लेकिन इसे मोहब्बत नगर भी कहा जा सकता है," उन्होंने आंसुओं के बीच मुस्कुराते हुए कहा. "मैं कुछ ऐसा करना चाहता था जो उसे हमेशा याद रहे. उसे आसमान से विदाई देना कम से कम मैं तो कर ही सकता था," ठाकुर ने कहा. 
 
दूल्हे शादाब भी उतने ही भावुक थे. "मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं सातवें आसमान पर हूं. ठाकुर अंकल- हमारे मामू जी- मुझे किसी और से ज्यादा प्यार करते हैं. उन्होंने हमें इतना खूबसूरत तोहफा दिया है. हमारे परिवारों ने पीढ़ियों से एक बंधन साझा किया है, और आज, उन्होंने दुनिया को दिखा दिया है कि सच्ची एकता क्या होती है."