शंकराचार्य मंदिर, जो डल झील के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है, इस दिन श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया था. बारिश और कोहरे के बावजूद, श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में खड़े होकर मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने का साहस दिखाया. मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन चढ़ाई करनी पड़ी, लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई। इस धार्मिक आयोजन में पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी श्रद्धा भाव से शामिल हुए.
स्थानीय प्रशासन ने महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए थे. अधिकारियों ने मंदिर और अन्य पूजा स्थलों पर व्यवस्था की थी, जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो.
इसके अलावा, मुंबई, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से आए पर्यटकों ने भी शंकराचार्य मंदिर में पूजा अर्चना की और इसे अद्भुत अनुभव बताया. दिल्ली की कृतिका ने कहा, "महाशिवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर शंकराचार्य मंदिर में आकर बहुत अच्छा लगा। यहां का माहौल बहुत आध्यात्मिक था."
इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विशेष प्रार्थनाओं में भाग लिया और कश्मीर समेत पूरे देश में शांति, सुख और समृद्धि की कामना की. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं ने भी कश्मीरी जनता को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ दीं.
इस धार्मिक आयोजन में पारंपरिक पूजा विधियाँ भी देखने को मिलीं, जिसमें पंडितों ने विशेष अनुष्ठान किए और मंदिर के आस-पास आध्यात्मिक माहौल बना रहा. कश्मीर के स्थानीय निवासियों और पर्यटकों ने मिलकर इस अवसर को धूमधाम से मनाया, जो इस पर्व की महत्ता और कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है.