देखें तस्वीर : श्रीनगर के शंकराचार्य मंदिर में महाशिवरात्रि की धूम, भारी बारिश में भी श्रद्धालुओं का उत्साह रहा बरकरार

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 27-02-2025
Mahashivratri celebrated in Shankaracharya temple of Srinagar, enthusiasm of devotees remains intact even in heavy rain
Mahashivratri celebrated in Shankaracharya temple of Srinagar, enthusiasm of devotees remains intact even in heavy rain

 

बासित जरगर/ श्रीनगर

महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर श्रीनगर स्थित प्रसिद्ध शंकराचार्य मंदिर में भारी बारिश और घने कोहरे के बावजूद श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा. इस दिन को कश्मीर में 'हेराथ' के नाम से जाना जाता है, और इसे विशेष धार्मिक अनुष्ठानों और पूजा विधियों के साथ मनाया जाता है. कश्मीर के पंडित समुदाय के लोग इस दिन रात भर प्रार्थना करते हैं और वटुक (मिट्टी के बर्तन) में अखरोट चढ़ाते हैं, जो एक पवित्र अनुष्ठान माना जाता है.

jammu

शंकराचार्य मंदिर, जो डल झील के ऊपर एक पहाड़ी पर स्थित है, इस दिन श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन गया था. बारिश और कोहरे के बावजूद, श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में खड़े होकर मंदिर की सीढ़ियाँ चढ़ने का साहस दिखाया. मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालुओं को कठिन चढ़ाई करनी पड़ी, लेकिन उनके उत्साह में कोई कमी नहीं आई। इस धार्मिक आयोजन में पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी श्रद्धा भाव से शामिल हुए.

jammu

स्थानीय प्रशासन ने महाशिवरात्रि के दिन श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए विशेष इंतजाम किए थे. अधिकारियों ने मंदिर और अन्य पूजा स्थलों पर व्यवस्था की थी, जिससे श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो.

jammu

इसके अलावा, मुंबई, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से आए पर्यटकों ने भी शंकराचार्य मंदिर में पूजा अर्चना की और इसे अद्भुत अनुभव बताया. दिल्ली की कृतिका ने कहा, "महाशिवरात्रि के इस पवित्र अवसर पर शंकराचार्य मंदिर में आकर बहुत अच्छा लगा। यहां का माहौल बहुत आध्यात्मिक था."

jammu

इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने विशेष प्रार्थनाओं में भाग लिया और कश्मीर समेत पूरे देश में शांति, सुख और समृद्धि की कामना की. जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अन्य नेताओं ने भी कश्मीरी जनता को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएँ दीं.

jammu

इस धार्मिक आयोजन में पारंपरिक पूजा विधियाँ भी देखने को मिलीं, जिसमें पंडितों ने विशेष अनुष्ठान किए और मंदिर के आस-पास आध्यात्मिक माहौल बना रहा. कश्मीर के स्थानीय निवासियों और पर्यटकों ने मिलकर इस अवसर को धूमधाम से मनाया, जो इस पर्व की महत्ता और कश्मीर की सांस्कृतिक धरोहर को उजागर करता है.