धार्मिक एकता का संदेश देनेवाले मूर्तिकार मोहम्मद कौसर शेख, 22 वर्षों से बना रहे इको-फ्रेंडली गणेश प्रतिमाएं

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 19-09-2024
Sculptor Mohammad Kausar Sheikh, who gives the message of religious unity, has been making eco-friendly Ganesh idols for 22 years
Sculptor Mohammad Kausar Sheikh, who gives the message of religious unity, has been making eco-friendly Ganesh idols for 22 years

 

प्रज्ञा शिंदे

"मेरा नाम मोहम्मद कौसर शेख है.मैं गणपति की मूर्ति बनाता हूं." इस वाक्य को सुनते ही कई लोगों की भौहें उठ जाती हैं.लेकिन भारत की सर्वधर्मसमभाव की परंपरा में समय-समय पर विभिन्न त्योहारों और उत्सवों के माध्यम से इस सांस्कृतिक एकता का अनुभव होता है. 

इस साल के गणेशोत्सव में भी 40 वर्षीय मोहम्मद कौसर शेख के काम में यही एकता और धार्मिक सौहार्द दिखाई दिया.मुंबई के पास भाईंदर में रहने वाले कौसर भाई पिछले 22 वर्षों से गणपति की मूर्तियाँ बना रहे हैं.जहाँ कई मूर्तिकार प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) का उपयोग करते हैं, वहीं कौसर भाई मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने को प्राथमिकता देते हैं. 

ganesh

पर्यावरण के प्रति संवेदनशील मूर्तियों को प्राथमिकता 

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी प्रतिमाएं देखने में आकर्षक लगती हैं, लेकिन पर्यावरण पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है.POP पानी में आसानी से नहीं घुलता, जिसके कारण मूर्ति विसर्जन के बाद जलस्रोत प्रदूषित हो जाते हैं और जीव-जंतुओं को नुकसान पहुँचता है.पानी में ऑक्सीजन का स्तर घटने से मछलियाँ और अन्य जीव मर जाते हैं.

 इसके अलावा, POP को सूखाने के लिए रासायनिक रंग और अन्य हानिकारक तत्वों का उपयोग किया जाता है, जिससे पानी की गुणवत्ता और भी अधिक खराब हो जाती है. POP की मूर्तियाँ पर्यावरण के लिए धीमे ज़हर की तरह होती हैं, जिसका दीर्घकालिक प्रभाव बहुत घातक होता है.

इसे ध्यान में रखते हुए, कुछ साल पहले कौसर भाई ने POP की मूर्तियाँ बनाना बंद कर दिया और पर्यावरण के अनुकूल मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने की शुरुआत की.उन्होंने यह बदलाव पर्यावरण संरक्षण के लिए किया है.इस वर्ष उन्होंने 70-80इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियाँ बनाई, जो भक्तों के बीच विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही हैं.उनका यह कदम पर्यावरण की रक्षा के लिए एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है.उनकी यह पहल अन्य मूर्तिकारों को भी पर्यावरण के अनुकूल मूर्तियाँ बनाने की ओर प्रेरित कर रही है. 

प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों के कारण पर्यावरण को बड़े पैमाने पर नुकसान होता है.POP मूर्तियों पर प्रतिबंध तो है, लेकिन वह सिर्फ़ कागजों पर ही सीमित है, ऐसा मानना है कौसर भाई का.उनकी मिट्टी की मूर्तियाँ न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि उनके कौशल ने इन मूर्तियों को विशेष सौंदर्य भी प्रदान किया है, जिससे गणेश भक्त उनकी खूब सराहना कर रहे हैं.

gannesh

ऐसे करते हैं समाज सेवा

मोहम्मद कौसर शेख न केवल पर्यावरण की हानि रोकने के लिए इको-फ्रेंडली गणपति बनाते हैं, बल्कि वह लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने का भी काम कर रहे हैं."आज समाज में गरीबी है और कई लोगों के पास काम नहीं है.अपने व्यवसाय के माध्यम से मैं कई लोगों को रोजगार देने की कोशिश करता हूं," वे बताते हैं.

 उनके अनुसार, "जब POP की मूर्तियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगेगा, तभी मिट्टी की मूर्तियाँ बनाने वाले कलाकारों को सही रोजगार मिल पाएगा."

जाति-धर्म से परे कला

कौसर भाई का गणेश मूर्ति बनाने का काम केवल मौसमी नहीं है, बल्कि यह सालभर चलता रहता है.वे आत्मविश्वास से कहते हैं, "गणपति की मूर्तियाँ बनाने की मेरी बहुत इच्छा थी.मैं इस इच्छा को पूरा कर रहा हूँ और आगे भी करता रहूँगा."गणपति की मूर्तियाँ बनाने की प्रेरणा के बारे में बात करते हुए वे कहते हैं, "जब मेरे हिंदू भाई मुझसे मूर्तियाँ खरीदने आते हैं, तो मुझे संतोष मिलता है.मुझे मूर्तियाँ बनाना पसंद है.इसी से मेरा घर चलता है,इसलिए मैं यह काम कभी बंद नहीं करूंगा."

वे आगे कहते हैं, "इस व्यवसाय की वजह से मैंने कई आर्थिक संकटों से मुक्ति पाई है.मुझे अपने काम पर बहुत विश्वास है.इसमें धर्म कोई बाधा नहीं बनता." वे जाति-धर्म की परवाह किए बिना अपनी कला के माध्यम से लोगों को खुशियाँ देने में संतोष पाते हैं.अपने व्यवसाय के जरिए वे यह दिखाते हैं कि कला का कोई धर्म नहीं होता.

ganesh

सुखी जीवन का फलसफा

वर्तमान में समाज में कुछ असामाजिक तत्व धार्मिक तनाव और कई गलतफहमियाँ फैलाते हैं.इस पर कौसर भाई कहते हैं, "हमें हिंदू-मुस्लिम भेदभाव करने वाली राजनीति से दूर रहना चाहिए." वे यह भी बताते हैं कि गणपति की मूर्तियाँ बनाने के कारण उन्हें कई बार आलोचना का सामना करना पड़ा है, लेकिन वे इस पर ध्यान न देकर अपने काम पर ही ध्यान केंद्रित करते हैं. 

वे आगे कहते हैं, "कई लोग वोट के लिए हिंदू-मुस्लिम तनाव पैदा करते हैं.कुछ लोग इस फरेब का शिकार भी हो जाते हैं.लेकिन मेरे लिए राजनीति और मेरा काम दो अलग-अलग चीजें हैं.मैं राजनीति के बारे में सोचता भी नहीं हूँ." कौसर भाई राजनीति की बजाय अपने व्यवसाय के माध्यम से बनाए गए सौहार्द को अधिक महत्व देते हैं. 

मूर्तिकार के रूप में कौसर भाई के काम को गणेश भक्तों से बहुत सराहना मिलती है.उनके सामाजिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण के कारण गणेश भक्तों के बीच उनका नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है.इस प्रकार, उनके काम के जरिए जो एकता का संदेश मिलता है, वह समाज के लिए महत्वपूर्ण साबित होता है.आवाज मराठी की ओर से उनके इस प्रेरणादायी काम को सलाम और उनके व्यवसाय के लिए ढेर सारी शुभकामनाएँ!