मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
पिछले महीने एक सप्ताह बिता कर लौटे सऊदी अरब के पूर्व कानून मंत्री और मुस्लिम वर्ल्ड लीग के महासचिव डॉ. अल-इस्सा के ‘भारत भ्रमण’ का असर तीन दिन बाद सऊदी अरब के मक्का शहर में होने वाले दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक सम्मेलन में दिख सकता है. इस सम्मेलन में उन ही विषयों पर चर्चा निर्धारित है जिसकी वकालत भारत और डॉ. अल-इस्सा पहले से करते रहे हैं.
जुलाई के महीने 10 से 16 तारीख तक भारत भ्रमण पर रहे डॉ. अल-इस्सा ने न केवल विभिन्न कार्यक्रमों में हिस्सा लिया था, बल्कि अक्षरधाम मंदिर और जामा मस्जिद पहुंचकर वहां के मुख्य पुजारी और दिल्ली के शाही इमाम अहमद बुखारी से भी मुलाकात की थी.
उन्होंने जुमे की नमाज का खुतबा भी पढ़ा था और नमाज भी पढ़ाई थी. इन तमाम कार्यक्रमों में उन्हांेने भाईचारा, साम्प्रदायिक सौहार्द, देश के कानून की इज्जत और शांति के दुश्मनों की मुखलत में खुलकर अपने विचार रखे थे. दरअसल, मुस्लिम वर्ल्ड लीग इन्ही विचारों की वकालत विश्व स्तर पर करता रहा है.
अल-इस्सा ने भारत भ्रमण के दौरान एक गैर सरकारी संस्था खुसरो फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक सम्मेलन को भी संबोधित दिया था. इस कार्यक्रम में देश के सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी मंच साझा किया था और अपने वक्तव्य से उन्हांेने भारत की गंगा-जमुनी तहजीब को सलीके से रेखांकित किया था.
भारत में अल-इस्सा की मौजूदगी में जिन विषयों पर विशेष चर्चा हुई थी, अब उन पर ही सऊदी अरब के पवित्र शहर मक्का में आयोजित होने वाले दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक सम्मेलन में मंथन होने वाला है.
सऊदी अरब की सरकारी समाचार एजेंसी (एसपीए) के अनुसार, इस कार्यक्रम की मेजबानी सऊदी अरब कर रहा है, जिसमें 85 देशों के 150 धार्मिक नेता और मुफ्ती भाग ले रहे हैं.सऊदी अरब के किंग सलमान ने 13-14 अगस्त को होने वाले सम्मेलन के आयोजन को बुधवार को मंजूरी दे दी है. इस कार्यक्रम में भारत को आमंत्रित किया गया है अथवा नहीं अभी इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है.
जानकारी के अनुसार, सम्मेलन में विभिन्न विषयों पर चर्चा के लिए सात पैनल बनाए गए हैं. जिन विषयों पर चर्चा होनी है, उनमें मुस्लिम दुनिया में एकता को बढ़ावा देना, चरमपंथी विचारों से लड़ना और उन्हें रोकने में योगदान देने में भूमिका तय करना, हिंसा से निपटना आदि शामिल है.
सऊदी इस्लामिक मामलों के मंत्रालय का कहना है कि इस दो दिवसीय सम्मेलन में दुनिया भर के विद्वान और मजहबी रहनुमा संबंधित विषयों पर न केवल चर्चा करेंगे, उग्रवाद और आतंकवाद से निपटने, सहिष्णुता और सह-अस्तित्व को बढ़ावा की राह भी तलाशेंगे.
भारत भ्रमण के दौरान डॉ. अल-इस्सा और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भी इन्हीं समस्याओं के हल पर जोर दिया था. भारत तो एक कदम बढ़कर मुस्लिम वल्र्ड लीड के ऐसे कार्यों में भागीदार बनने तक की मंशा जाहिर कर चुका है
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चूंकि अल-इस्सा भारतीय संस्कृति और सभ्यता से काफी प्रभावित होकर सऊदी अरब लौटे हैं तथा अंतरराष्ट्रीय इस्लामिक सम्मेलन में उनकी मौजूगदी रहेगी, इसलिए माना जा रहा है कि वह सम्मेलन में मौजूद 85 देशों के 150 धार्मिक नेताओं और मुफ्तियों के बीच भारत के अनुभव अवश्य साझा करेंगे.
डाॅ. अल-इस्सा अपनी बातों के समर्थन में कुरान और हदीस का भरपूर उदाहरण देते हैं. जामा मस्जिद के खुतबे में भी उन्हांेने कुरान और हदीस के हवाले से भाईचारा बढ़ाने और दूसरों का सम्मान और भरोसा जीतने का भारतीय मुसलमानों से आहवान किया था.
अब कुरान के इसी पैगाम को और आगे बढ़ाने के लिए मक्का में पवित्र कुरान की अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय स्थापित की गई है. इस बारे में अल-इस्सा का कहना है कि इस्लामी इतिहास में यह अपनी तरह का पहला संग्रहालय है, जिसके माध्यम से आम मुसलमानों को कुरान के मूल्यों से परिचित कराया जाएगा.
इस संग्रहालय का उद्घाटन अल-इस्सा ने चूंकि सम्मेलन से मात्र चार दिन पहले किया है, इसलिए माना जा रहा है कि वो कुरान का हवा देकर सम्मेलन में इकट्ठा होने वाले देशों से मुस्लिम वर्ल्ड मिशन के अभियान को सफल बनाने में सहयोग की अपील कर सकते हैं.