आवाज द वाॅयस मराठी/नागपुर
महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र इस समय नागपुर में चल रहा है.यह सत्र विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें न केवल नए विधायकों का आगमन हो रहा है, बल्कि कई ऐसे विधायकों की भी यह पहली बार उपस्थिति है जो चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंचे हैं.इनमें से एक विधायक सना मलिक भी हैं, जो अणुशक्तिनगर निर्वाचन क्षेत्र से चुनी गईं हैं.
यह उनका विधानसभा में पहला सत्र है, और ऐसे में उनके लिए यह अनुभव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है.
पिता नवाब मलिक का मार्गदर्शन
सना मलिक को सदन में अपने पहले भाषण और कामकाज के लिए मार्गदर्शन देने के लिए उनके पिता और पूर्व मंत्री नवाब मलिक स्वयं नागपुर पहुंचे.नवाब मलिक ने अपनी बेटी को विधानसभा की कार्यप्रणाली और वहाँ बोलने के तरीके के बारे में सिखाया.उन्होंने सना को विधानमंडल के कामकाज, इसके संचालन, और सदन में विषयों पर किस प्रकार चर्चा की जाती है, इसके बारे में विस्तार से जानकारी दी.
यह सिखाने का कार्य उनके लिए बहुत अहम था, क्योंकि विधानसभा में उनका पहला अनुभव होने के कारण वह थोड़ी सी उलझन में थीं.सना मलिक ने बताया कि शुरुआत में उन्हें विधानसभा सत्र में बोलने को लेकर थोड़ी घबराहट हो रही थी, लेकिन दूसरे दिन के अनुभव के बाद उनका आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है.
उन्होंने यह भी कहा कि उनके निर्वाचन क्षेत्र और राज्य के समसामयिक मुद्दों पर चर्चा करना उनकी प्राथमिकता है.सना मलिक ने यह भी स्पष्ट किया कि इस सत्र में वह शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी ढांचे से जुड़े सवाल उठाएंगी, जो उनके निर्वाचन क्षेत्र और महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण हैं.
महाराष्ट्र के समसामयिक मुद्दों पर बोलने की तैयारी
सना मलिक के लिए यह सत्र खास है, क्योंकि इस बार वह राज्य के समसामयिक मामलों पर नियम 293 के तहत प्रस्ताव पेश करेंगी.उनके नाम को इस प्रस्ताव में प्राथमिकता दी गई है.नागपुर में विधानमंडल के परिसर में, अपने पिता से मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए सना ने यह सीखा कि किस तरह से वह राज्य के समसामयिक मुद्दों पर प्रभावी रूप से बोल सकती हैं.
उन्होंने यह भी सीखा कि किस मुद्दे को अधिक जोर देकर उठाना चाहिए, ताकि वह विधानसभा में अपनी आवाज को मजबूती से प्रस्तुत कर सकें..
विधायिका में सना मलिक की स्थिति
सना मलिक का राजनीति में आने का रास्ता उनके पिता नवाब मलिक से प्रेरित है.उनका राजनीतिक जीवन बहुत ही संघर्षपूर्ण रहा है, और वे हमेशा से जनता से जुड़ी समस्याओं को लेकर सक्रिय रहे हैं.सना को भी अपने पिता से यह प्रवृत्ति मिली है कि उन्हें हमेशा जनता से मिलकर उनके मुद्दों और समस्याओं को समझना चाहिए.
सना मलिक के निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों ने उन्हें भारी बहुमत से जीत दिलवाई, और अब वह विधानसभा में अपनी आवाज उठाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.अणुशक्ति नगर विधानसभा क्षेत्र में सना मलिक को "लड़की लेक" के नाम से भी जाना जाता है.महिलाओं के बीच उनकी खास पहचान है, और उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र में कई कार्यक्रमों में भाग लिया है.
हाल ही में, उन्होंने दत्त जयंती के मौके पर अणुशक्ति नगर में स्थित दत्त मंदिरों का दौरा किया और महाप्रसाद का लाभ लिया.सना ने सोशल मीडिया पर इस बारे में जानकारी भी दी.चुनाव के दौरान कई महिलाओं ने उन्हें अपनी बेटी के रूप में आशीर्वाद दिया था, और अब जब वह विधानसभा में अपनी बात रखेंगी, तो उनकी यह उपलब्धि उन महिलाओं के लिए प्रेरणा बन गई है.
सम्मेलन और सम्मान की बात
सना मलिक के लिए नागपुर में यह एक यादगार अनुभव है.सम्मेलन के दौरान अपने पिता के साथ उन्होंने नागपुर के प्रसिद्ध ताजुद्दीन बाबा दरगाह में आशीर्वाद लिया.इसके अलावा, सना मलिक को विधान परिषद के उपसभापति डॉ. नीलम गोरे और महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रूपाली नीलेश चाकणकर द्वारा आयोजित एक स्वागत समारोह में सम्मानित भी किया गया.
सना मलिक ने इस सम्मान के बाद कहा, "मैं इस सम्मान से प्रेरित हूं और खुश हूं कि ऐसे समारोह महिला नेतृत्व को नया सम्मान और प्रोत्साहन दे रहे हैं." यह सम्मान उनके लिए एक नई ऊर्जा का काम कर रहा है, और वह अब अपनी जिम्मेदारियों को और बेहतर तरीके से निभाने के लिए प्रेरित हैं.
सना मलिक की विधानसभा में पहली बार उपस्थिति एक नई दिशा की ओर संकेत करती है, जिसमें महिला नेतृत्व और समाज के हर वर्ग की आवाज को सम्मान मिलता है.उनके पिता नवाब मलिक से प्राप्त मार्गदर्शन और उनके अनुभव ने उन्हें राजनीति में अपनी जगह बनाने की दिशा में सक्षम बनाया है.
अब, विधानसभा में उनकी प्राथमिकता उनके निर्वाचन क्षेत्र के नागरिकों की समस्याओं को उठाना है, साथ ही राज्य के समसामयिक मुद्दों पर प्रभावी तरीके से अपनी बात रखना है.