बेकार सामान से सहारनपुर के कलाकार शाहजेब की बेहतरीन कारीगरी

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 23-02-2025
Saharanpur artisans rocked the Surajkund fair with
Saharanpur artisans rocked the Surajkund fair with "Best out of Waste"

 

ओनिका माहेश्वरी/ नई दिल्ली

सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय क्राफ्ट्स मेला में इस बार सहारनपुर के कारीगरों ने अपनी "बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट" (बेहतर सामग्री से कूड़ा) की कला से दर्शकों का दिल जीत लिया है. इन कारीगरों ने पुराने और बेकार सामानों से अद्भुत और आकर्षक कला के आइटम बनाए हैं, जो मेला में आने वाले हर आगंतुक की आँखों को आकर्षित कर रहे हैं. इन उत्पादों को देखकर यह साबित होता है कि हर बेकार चीज़ का एक नया रूप और उद्देश्य हो सकता है.

सूरजकुंड मेले में मोहम्मद शाहजेब नामक एक कलाकार ने आवाज द वॉयस को बताया कि अपनी कला की प्रदर्शनी लगा रहे हैं.  शाहजेब के स्टॉल पर आपको एपॉक्सी रेजिन, लकड़ी और लोहे से बने सुंदर फर्नीचर और होम डेकोर आइटम्स मिलते हैं. शहजाद के इन फर्नीचर और सजावटी सामानों में एक अनोखी कारीगरी का मेल है, जो खासकर आधुनिक और पारंपरिक शैलियों का मिश्रण दिखाती है. उनके उत्पाद उच्च गुणवत्ता के हैं और हर किसी के घर की शोभा बढ़ाने के लिए उपयुक्त हैं.

शाहजेब ने बताया कि उन्हें International orders भी मिलते हैं, जिन्हें वे ग्राहक की डिमांड अनुसार पूरा करते हैं. उनका कहना है कि इस काम में काफी मेहनत है. 

सहारनपुर के कारीगरों के ये "बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट" उत्पाद अब न केवल आम लोगों के बीच बल्कि रेस्टोरेंट्स, होटलों और अन्य व्यावासिक स्थानों में भी लोकप्रिय हो रहे हैं. कई रेस्टोरेंट्स और होटलों ने इन कारीगरों से अपने परिसर को सजाने और उन्हें अनोखा रूप देने के लिए ऑर्डर दिए हैं. इन उत्पादों की विशेषता है कि वे पर्यावरण के प्रति जागरूकता फैलाने के साथ-साथ व्यापारिक स्थानों की सुंदरता और आकर्षण को भी बढ़ाते हैं.

सहारनपुर के कारीगरों ने सूरजकुंड मेला में "बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट" से मचाया धमाल
 
सुरजकुंड मेला हमेशा से अपनी अनोखी और रचनात्मक कलाकृतियों के लिए प्रसिद्ध रहा है. इस बार, यहां कुछ ऐसी कला कृतियाँ देखने को मिलीं, जो पुराने और बेकार पड़े मोटर बाइक, साइकिल, लोहे के टुकड़ों और अन्य废 सामग्रियों से बनाई गई हैं. इन बेकार वस्तुओं को पुनः उपयोग कर कर कुछ बेहतरीन और अद्वितीय डिजाइनों में बदल दिया गया है.

इस बार मेले में आकर्षक सृजनाओं की झलक देखने को मिली, जिनमें समुद्री घोड़ा, गिटार टेबल, हाथी और राइनो सॉर जैसे अद्भुत शिल्प और मूर्तियाँ शामिल हैं. इन कारीगरों ने पुराने पार्ट्स और स्क्रैप मेटल को अपनी कल्पना और कला से नए रूप में ढाला. जो लोग इन कला कृतियों को देखकर जाते हैं, वे यह देखकर हैरान रह जाते हैं कि किस तरह से बेकार और फेंकी हुई वस्तुएं एक खूबसूरत, रचनात्मक और उपयोगी आकार ले सकती हैं.

रेजिन होम डेकोर आइटम के निर्माता मोहम्मद शाहजेब  बताया कि "हम आपके विचारों को अद्वितीय आंतरिक डिजाइन बनाने में शामिल करते हैं और एक ऐसा घर बनाते हैं जो आपकी आत्मा को दर्शाता है."  इन कृतियों में सबसे विशेष बात यह है कि ये पर्यावरण के अनुकूल हैं और कचरे का पुनर्चक्रण कर, एक स्थायी और रचनात्मक उपाय के रूप में सामने आती हैं. कला के इस अद्भुत रूप को देखकर यह साफ नजर आता है कि भारत में कचरे से कला बनाने की प्रक्रिया अब एक ट्रेंड बन चुकी है.

इस प्रकार की कला न केवल समाज में जागरूकता फैलाती है, बल्कि यह एक संदेश भी देती है कि हम अपने पुराने सामान को फेंकने की बजाय उसे किसी नए रूप में ढाल सकते हैं, जिससे वह हमारे लिए न केवल उपयोगी हो बल्कि दर्शनीय भी बने.

सुरजकुंड मेला में इस बार की इन आकर्षक और पर्यावरण मित्र कला कृतियों ने सभी आगंतुकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है और यह साबित किया है कि कला कोई भी रूप ले सकती है, अगर उसमें थोड़ी सी कल्पना और मेहनत हो.

 

इस साल का सूरजकुंड मेला न केवल कला और शिल्प का अद्भुत संगम बनकर उभरा है, बल्कि यह उन कारीगरों के लिए एक बेहतरीन मंच भी है जो अपनी कला के माध्यम से समाज में बदलाव लाना चाहते हैं. "बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट" के आइटम्स ने इस संदेश को भी फैलाया है कि हमें पुराने और बेकार सामानों को फेंकने के बजाय, उनका पुनः उपयोग कर नई चीजें बनाई जा सकती हैं.

सहारनपुर के कारीगरों की कला और शहजाद के फर्नीचर ने मेलों में आने वाले हर वर्ग के लोगों का ध्यान खींचा है और उम्मीद की जा रही है कि इन कारीगरों के काम को और भी पहचान मिलेगी.