आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली
दाऊदी बोहरा समुदाय, जो शिया इस्माइली मुसलमानों का एक उप-समुदाय है, रमजान को अत्यंत श्रद्धा और अनुशासन के साथ मनाता है. उनके लिए यह पवित्र महीना केवल रोज़े रखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिक उन्नति, सामुदायिक एकता और परोपकार का समय भी है. बोहरा समुदाय की रमजान परंपराएँ धार्मिक शिक्षाओं, सांस्कृतिक मूल्यों और समुदाय की एकजुटता का सुंदर मिश्रण हैं.
दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए रमजान का महत्व
इस्लामिक कैलेंडर में रमजान का महीना सबसे पवित्र माना जाता है क्योंकि इसी महीने में पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) पर कुरआन का अवतरण हुआ था. यह रोज़ा (उपवास), नमाज़, आत्म-निरीक्षण और दान-पुण्य का महीना है. दाऊदी बोहरा समुदाय, अपने आध्यात्मिक नेता सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन (TUS) के मार्गदर्शन में, रमजान को पूरी श्रद्धा और सटीकता के साथ मनाता है.
दाऊदी बोहरा समुदाय में रोज़े रखने की परंपराएँ
1. सेहरी (सुब्ह-सादी से पहले का भोजन)
- रोज़ा रखने से पहले सेहरी की जाती है, जो सुबह की फज्र (प्रातः) की नमाज़ से पहले खाया जाने वाला भोजन होता है.
- परिवार के सभी सदस्य मिलकर पौष्टिक भोजन ग्रहण करते हैं ताकि पूरे दिन ऊर्जा बनी रहे.
- सेहरी में खासतौर पर खिचड़ा, मलीदा और दूध से बने पेय पदार्थ पसंद किए जाते हैं.
2. रोज़े का पालन
- फज्र (सुबह की नमाज़) से लेकर मगरिब (सूर्यास्त) तक, बोहरा समुदाय के लोग खाना-पीना और अन्य निषिद्ध कार्यों से परहेज करते हैं.
- रमजान के दौरान आध्यात्मिक शुद्धि, कुरआन का पाठ और अधिक से अधिक इबादत पर ध्यान दिया जाता है.
- दाऊदी बोहरा समुदाय इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार सटीक दिनों में रोज़ा रखते हैं.
3. इबादत और कुरआन का पाठ
- रमजान की रातों में विशेष तरावीह की नमाज़ अदा की जाती है.
- इस महीने में कुरआन शरीफ के पाठ को पूरा करने का प्रयास किया जाता है.
- समुदाय के लोग वाअज़ (धार्मिक प्रवचन) में भाग लेते हैं, जहाँ इस्लामिक शिक्षाओं और इतिहास पर चर्चा की जाती है.
दाऊदी बोहरा समुदाय में इफ्तार की खास परंपरा
1. रोज़ा खोलने की रस्म (इफ्तार)
- रोज़ा खजूर और पानी से खोला जाता है, जो कि पैगंबर मोहम्मद (स.अ.व.) की सुन्नत है.
- दाऊदी बोहरा समुदाय में थाल संस्कृति इफ्तार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
- थाल (बड़ा गोल थाल) बीच में रखा जाता है, और कई लोग मिलकर एक साथ भोजन करते हैं. यह सामुदायिक एकता का प्रतीक है.
2. पारंपरिक बोहरा इफ्तार व्यंजन
- हलीम (मीट और दाल से बनी गाढ़ी खिचड़ी)
- नानखटाई (बोहरा स्टाइल कुकीज)
- शीर खुर्मा (सेवई और दूध की मिठाई)
- फालूदा (रोज़ फ्लेवर वाली ठंडी मिठाई)
- समोसे, पकौड़े और अन्य नमकीन व्यंजन
इस सामूहिक भोजन प्रणाली से भाईचारा और प्रेम बढ़ता है.
रमजान के दौरान दान-पुण्य और समाज सेवा
रमजान के दौरान दान (ज़कात और सदक़ा) का विशेष महत्व है.
- दाऊदी बोहरा समुदाय जरूरतमंदों को भोजन वितरित करने में सक्रिय भूमिका निभाता है.
- वे फैज़ अल-मवाइद अल-बुरहानिया (FMB) नामक सामुदायिक रसोई सेवा के तहत जरूरतमंदों को मुफ्त भोजन उपलब्ध कराते हैं.
- गरीबों की सहायता करना, किसी को भूखा न सोने देना और भोजन की बर्बादी रोकना उनकी परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.
शबे क़द्र और रमजान के अंतिम दिन
रमजान के आखिरी दस दिन विशेष रूप से पवित्र माने जाते हैं. इन दिनों में शबे क़द्र (शक्ति की रात) आती है, जिसे हज़ार महीनों से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.
- इस रात को गहरी इबादत, तौबा (प्रायश्चित) और दुआओं में बिताया जाता है.
- बोहरा समुदाय के लोग तहज्जुद (रात में उठकर विशेष नमाज़) अदा करते हैं और अल्लाह का जिक्र करते हैं.
ईद उल-फ़ित्र: रमजान के बाद का उत्सव
रमजान के समापन पर ईद उल-फ़ित्र का त्योहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है:
- ईद की विशेष नमाज़ अदा की जाती है.
- गरीबों की मदद के लिए फित्रा (दान) दिया जाता है.
- खास बोहरा मिठाइयाँ जैसे खारक हलवा, सेवई और विभिन्न मिष्ठान्न बनाए जाते हैं.
- रिश्तेदारों से मिलना-जुलना और ईद की मुबारकबाद देना इस दिन की खास परंपरा होती है.
दाऊदी बोहरा समुदाय के लिए रमजान सिर्फ रोज़े रखने का महीना नहीं, बल्कि यह आध्यात्मिक उत्थान, सामुदायिक एकता और दान-पुण्य का समय होता है. उनकी अनोखी परंपराएँ, जैसे थाल में सामूहिक भोजन और जरूरतमंदों की सेवा, इस महीने को और भी खास बना देती हैं. रमजान के दौरान वे इबादत, परोपकार और आत्मशुद्धि के माध्यम से अपने ईमान को और मजबूत करते हैं.