आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
रतन टाटा, जिन्होंने टाटा समूह को एक स्थिर भारतीय कंपनी से एक वैश्विक व्यापारिक साम्राज्य में परिवर्तित किया, का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया. टाटा समूह ने बुधवार रात इस दुखद समाचार की पुष्टि की. समूह ने एक बयान में कहा, "हम रतन नवल टाटा को बहुत गहरे शोक के साथ विदाई दे रहे हैं. उनके अतुलनीय योगदान ने न केवल टाटा समूह को आकार दिया बल्कि हमारे राष्ट्र के ताने-बाने को भी सशक्त किया."
रतन टाटा ने 20 से अधिक वर्षों तक टाटा समूह की अध्यक्षता की. इस दौरान कई बड़े अधिग्रहण और नवाचार किए. उन्होंने भारतीय उद्योग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत उपस्थिति दिलाई. उनके निधन पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "रतन टाटा एक दूरदर्शी कारोबारी नेता और दयालु आत्मा थे. उनके निधन से गहरा दुख हुआ है. मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और अनगिनत प्रशंसकों के साथ हैं."
टाटा समूह की विरासत और नेतृत्व
रतन टाटा का जन्म 1937 में हुआ. उन्होंने कॉर्नेल विश्वविद्यालय से वास्तुकला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की. 1962 में उन्होंने टाटा समूह से अपने करियर की शुरुआत की, जो उनके परदादा जमशेदजी टाटा द्वारा स्थापित किया गया था. टाटा मोटर्स और टाटा स्टील जैसी प्रमुख कंपनियों में काम करते हुए, उन्होंने अपने नेतृत्व कौशल और व्यवसायिक दृष्टिकोण से अपनी अलग पहचान बनाई.
1991 में रतन टाटा ने टाटा समूह की अध्यक्षता संभाली, जब भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को उदार बनाया और वैश्विक व्यापार के लिए अपने द्वार खोले. उनके नेतृत्व में, समूह ने कई बड़े वैश्विक अधिग्रहण किए, जिनमें 2000 में ब्रिटिश चाय कंपनी टेटली का $432 मिलियन में अधिग्रहण और 2007 में एंग्लो-डच स्टीलमेकर कोरस का $13 बिलियन में अधिग्रहण शामिल है, जो उस समय किसी भारतीय कंपनी द्वारा किया गया सबसे बड़ा अधिग्रहण था.
2008 में, टाटा मोटर्स ने फोर्ड मोटर कंपनी से ब्रिटिश लग्जरी ऑटो ब्रांड जगुआर और लैंड रोवर का $2.3 बिलियन में अधिग्रहण किया, जिससे टाटा मोटर्स की वैश्विक प्रतिष्ठा और बढ़ी. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने भारत की पहली स्वदेशी कार 'इंडिका' और दुनिया की सबसे सस्ती कार 'नैनो' को भी लॉन्च किया.
हालाँकि, नैनो बाजार में उतनी सफल नहीं हो सकी, लेकिन यह रतन टाटा के भारतीय जनता के लिए किफायती वाहन उपलब्ध कराने के सपने का प्रतीक बन गई.
परोपकारी कार्य और सरल जीवनशैली
रतन टाटा का जीवन हमेशा सरलता और सेवा के प्रति समर्पित रहा. उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपने परोपकारी कार्यों के लिए जाने जाते थे. टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस की लगभग दो-तिहाई शेयर पूंजी परोपकारी ट्रस्टों के पास है, जो समूह की आय को सामाजिक कार्यों के लिए समर्पित करता है.उद्योग जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें 2008 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म विभूषण' से सम्मानित किया गया.
अंतिम वर्षों में योगदान
रतन टाटा के नेतृत्व से सेवानिवृत्त होने के बाद भी, वे भारतीय स्टार्टअप्स के लिए एक प्रमुख निवेशक बने रहे. उन्होंने पेटीएम, ओला इलेक्ट्रिक और अर्बन कंपनी जैसी कई प्रमुख कंपनियों में निवेश किया. उनके निवेश ने भारतीय स्टार्टअप्स को नई ऊंचाइयों पर पहुँचाने में मदद की.
उनके नेतृत्व के दौरान, टाटा समूह विवादों से भी अछूता नहीं रहा. 2016 में टाटा संस के चेयरमैन साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद, समूह और मिस्त्री परिवार के बीच सार्वजनिक विवाद हुआ, जिसने टाटा समूह को कई चुनौतियों का सामना कराया. बावजूद इसके, रतन टाटा ने हमेशा समूह की छवि को बचाए रखा और भविष्य की दिशा में ध्यान केंद्रित किया.
एक असाधारण नेता की विदाई
रतन टाटा ने अपनी बुद्धिमत्ता, दूरदृष्टि और परोपकारी दृष्टिकोण से न केवल टाटा समूह को बल्कि पूरे भारत को प्रेरित किया. उनका निधन उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनकी विरासत और योगदान सदैव अमर रहेंगे.