आवाज द वाॅयस /नई दिल्ली
उद्योगपति-परोपकारी रतन नवल टाटा का 9 अक्टूबर को मुंबई में 86 वर्ष की आयु में निधन उत्तर प्रदेश के वाराणसी के मदरसा रजविया रशीद उलूम के लिए एक भावुक क्षण है. रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा ट्रस्ट द्वारा मदरसे का नवीनीकरण और आधुनिकीकरण किया गया था.
मदरसे के शिक्षक उस्ताद रिसालत अंसारी कहते हैं, "इसका (आधुनिकीकरण) बच्चों पर बहुत सकारात्मक प्रभाव पड़ा. उनकी स्वाभाविक क्षमताएँ उभर कर सामने आईं. बच्चे उत्साह से भरे हुए थे क्योंकि अब उन्हें मदरसे में धार्मिक और समकालीन शिक्षा मिल रही थी. छात्र आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) सीख रहे थे.
वे अपनी जन्मजात प्रतिभाओं की खोज कर रहे थे. ड्रॉपआउट दर में कमी आई है और साथ ही स्कूल चलाने की लागत भी कम हुई है. आम तौर पर बच्चे पाँचवीं और छठी कक्षा के बाद स्कूल या मदरसे से बाहर हो जाते थे, लेकिन इस परियोजना के कारण वे अपनी स्कूली शिक्षा जारी रख रहे हैं,"
2006 में टाटा ट्रस्ट ने मदरसा सुधार कार्यक्रम को अपने डोमेन की सूची में शामिल किया और यह वाराणसी मदरसा अन्य मदरसों के लिए एक आदर्श बन गया.
मदरसा रिजविया राशिद उलूम शहर के उन 20 मदरसों में से एक है, जिन्हें इस परियोजना से लाभ मिला है. रिसालत अंसारी कहते हैं, "2017 से 2020 तक का समय उनके मदरसे के लिए स्वर्णिम काल रहा, क्योंकि इस कार्यक्रम का क्रियान्वयन हो रहा था और परिणाम दिखने लगे थे."
Teachers of Madrasa leaning innovative ways of teaching
बजरदिया एक झुग्गी-झोपड़ी वाला इलाका है, जिसकी आबादी करीब 2.5 लाख है. आज यहां 350 छात्र-छात्राएं हैं, जिनमें से 245 छात्राएं हैं. यह इलाका बुनकरों का केंद्र है और पहले हर साल 50-60 बच्चे आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे. उन्हें स्कूल छोड़कर अपने परिवार के साथ करघे पर काम करने और परिवार की आय में योगदान देने के लिए कहा जाता था.
आवाज-द वॉयस से बात करते हुए रिसालत अंसारी ने कहा कि टाटा ट्रस्ट के काम ने कई लोगों को प्रभावित किया है. "शिक्षकों को प्रशिक्षण मिला. आज हम सभी लैपटॉप का इस्तेमाल करते हैं. इससे मदरसे में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य संवर गया है. इस परियोजना ने बच्चों में छिपी प्रतिभा को सामने लाने में मदद की. हमने बच्चों को अलग नजरिए से सीखने में मदद करने के लिए पेंटिंग और आर्ट एंड क्राफ्ट का इस्तेमाल करना सीखा.
इस कार्यक्रम में करीब 20 स्थानीय मदरसे शामिल थे. हर कार्यक्रम में शामिल बच्चों को प्रोत्साहित करने के लिए अक्सर पुरस्कार दिए जाते थे." रिसालत अंसारी ने बताया कि उनका मदरसा 2020 तक टाटा ट्रस्ट की परियोजना से जुड़ा रहा. इस दौरान मदरसों और स्कूलों में नामांकन बढ़ा और मुसलमानों में शिक्षा का चलन बढ़ा. पहले ज्यादातर छात्र आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे. टाटा ट्रस्ट के हस्तक्षेप से यह सब बदल गया और हम सभी अपने आसपास बड़े बदलाव देख सकते हैं."
A Classroom for teachers of Madrasa by Tata Trust
हालांकि, अंसारी कहते हैं, "जब टाटा ट्रस्ट ने कार्यक्रम बंद कर दिया, तो चीजें फिर से चिंताजनक होने लगीं.
"हमारे मदरसे को इस परियोजना के लिए डॉ. लेनिन रघुवंशी और श्रुति नागवंशी के जन मित्र न्यास के नेतृत्व वाली एक गैर सरकारी संस्था पीपुल्स विजिलेंस कमेटी ऑन ह्यूमन राइट्स ने चुना था. टाटा ट्रस्ट परियोजना ने हमें रास्ता दिखाया, लेकिन दुर्भाग्य से हम फिर से उसी पुरानी राह पर लौट आए."
सच्चर समिति की रिपोर्ट में भारतीय मुसलमानों में शिक्षा के निम्न स्तर का खुलासा होने के बाद रतन टाटा के नेतृत्व वाले टाटा ट्रस्ट ने 'मदरसा कार्यक्रम' की स्थापना की.ट्रस्ट ने उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में मदरसा सुधार कार्यक्रम लागू किया.उत्तर प्रदेश के वाराणसी और जौनपुर के 50 मदरसों के लगभग 10,000 बच्चों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया.