मलिक असगर हाशमी / गुरुग्राम / चंडीगढ़
हरियाणा की पावन धरती कुरुक्षेत्र में हर साल आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव ने भारतीय संस्कृति को वैश्विक मंच पर स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है. इस साल का महोत्सव और भी खास होने जा रहा है, क्योंकि ईसाई और मुस्लिम बहुल देश तंजानिया 28 नवंबर से 15 दिसंबर तक आयोजित होने वाले इस महोत्सव का कंट्री पार्टनर बनेगा.
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस विशेष भागीदारी की जानकारी देते हुए बताया कि तंजानिया के साथ ओडिशा राज्य इस बार का पार्टनर राज्य होगा. यह घोषणा भारत में तंजानिया की उच्चायुक्त अनीसा कपुफी मबेगा के साथ बैठक के दौरान की गई. मुख्यमंत्री ने इसे भारतीय संस्कृति के प्रति वैश्विक आकर्षण का प्रतीक बताया.
गीता महोत्सव 2024: आध्यात्मिकता और संस्कृति का अनूठा संगम
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव हर साल कुरुक्षेत्र में मनाया जाता है, जो भारतीय संस्कृति, कला और आध्यात्मिकता का भव्य प्रदर्शन करता है. इस बार महोत्सव 28 नवंबर से शुरू होकर 15 दिसंबर तक चलेगा.मुख्यमंत्री ने बताया कि इस महोत्सव में 18 दिनों तक श्रीमद्भगवद्गीता का शाश्वत संदेश विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए प्रस्तुत किया जाएगा.
इसके अंतर्गत ब्रह्मसरोवर के तट पर गीता महाआरती, तीर्थ स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, गीता शोभायात्रा, दीपोत्सव और अंतरराष्ट्रीय गीता संगोष्ठी जैसे आयोजनों की योजना बनाई गई है.
विशेष कार्यक्रमों में
5 दिसंबर: गीता यज्ञ और ब्रह्मसरोवर पर उद्घाटन समारोह.
9 दिसंबर: पुरुषोत्तमपुरा बाग में संत सम्मेलन.
10 दिसंबर: अखिल भारतीय देवस्थानम सम्मेलन.
11 दिसंबर: गीता जयंती के अवसर पर 18,000 विद्यार्थियों द्वारा गीता पाठ.
इसके अलावा, महोत्सव के दौरान गीता पुस्तक मेला और प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी.
तंजानिया की भागीदारी: भारतीय संस्कृति के साथ अफ्रीकी देश का जुड़ाव
तंजानिया की गीता महोत्सव में भागीदारी भारतीय संस्कृति की बढ़ती वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है. फरवरी 2024 में आयोजित सूरजकुंड शिल्प मेले में तंजानिया ने भागीदार देश के रूप में हिस्सा लिया था. तंजानिया में भारतीय प्रवासी समुदाय गीता पाठ और रामायण के आयोजन में सक्रिय रूप से शामिल रहता है.
तंजानिया में कई हिंदू मंदिर भी भारतीय संस्कृति और धर्म के साथ इसके गहरे संबंध को दर्शाते हैं. तंजानिया के लोग भारतीय परंपराओं और मूल्यों के प्रति सम्मान रखते हैं, और इस महोत्सव में उनकी भागीदारी इसे और भी खास बनाएगी.
तंजानिया और हरियाणा के पुराने संबंध
हरियाणा और तंजानिया के बीच लंबे समय से सांस्कृतिक और आर्थिक संबंध रहे हैं. हरियाणा के प्रतिनिधिमंडल ने कई बार तंजानिया का दौरा किया है, जिसमें उद्योगपति, किसान और व्यापारी शामिल रहे हैं. मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि तंजानिया को "अफ्रीका का प्रवेश द्वार" माना जाता है और यह दोनों क्षेत्रों के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूत करने में सहायक है.
इस महोत्सव में तंजानिया के मंत्रियों और अन्य प्रमुख हस्तियों के भाग लेने की उम्मीद है, जो हरियाणा और तंजानिया के रिश्तों को और गहरा करेगा.
तंजानिया: सांस्कृतिक विविधता और धर्मनिरपेक्षता का देश
तंजानिया, पूर्वी अफ्रीका का एक प्रमुख देश, अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है. यह 26 प्रदेशों का संघ है, जिसमें स्वायत्त ज़ांज़ीबार भी शामिल है. तंजानिया का नाम तंगानयिका और ज़ांज़ीबार के विलय से बना है.धार्मिक दृष्टि से, तंजानिया एक ईसाई बहुल देश है, लेकिन इस्लाम यहाँ का सबसे बड़ा अल्पसंख्यक धर्म है.
55.3% जनसंख्या ईसाई.
31.5% जनसंख्या मुस्लिम.
11.3% पारंपरिक धर्मों का पालन करती है.
1.9% अन्य धर्मों का पालन करती है.
तंजानिया में भारतीय संस्कृति का प्रभाव
तंजानिया में भारतीय प्रवासियों ने भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवित रखा है. यहाँ के हिंदू मंदिर और भारतीय त्योहारों का आयोजन इस सांस्कृतिक संबंध को और गहरा करता है.
इस बार की भागीदारी न केवल भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और मजबूत करेगी, बल्कि भारत और तंजानिया के बीच संबंधों को एक नई ऊँचाई पर ले जाएगी.
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव 2024 भारतीय संस्कृति की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक है. तंजानिया जैसे ईसाई और मुस्लिम बहुल देश की भागीदारी यह दर्शाती है कि भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता की सार्वभौमिक अपील सीमाओं से परे है। हरियाणा सरकार के इस प्रयास से दोनों देशों के सांस्कृतिक, आर्थिक और सामाजिक संबंधों में एक नया अध्याय जुड़ेगा.