मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
गालिब अकादमी, नई दिल्ली में आयोजित डॉ. मुश्ताक सदफ की पुस्तक "कौसर मजहरी: असरार वा आसार" के विमोचन समारोह में जामिया मिल्लिया इस्लामिया के कुलपति प्रोफेसर मजहर आसिफ ने कहा, "प्रोफेसर कौसर मजहरी से मेरा रिश्ता सिर्फ सोच और नजर का नहीं, बल्कि मिट्टी का भी है। उनकी साहित्यिक उपलब्धियां मेरे लिए गर्व का विषय हैं, क्योंकि वे मेरे गांव और मेरी मिट्टी के हैं."
समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल प्रो. मजहर आसिफ ने भोजपुरी भाषा में अपनी आत्मीयता व्यक्त करते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. उन्होंने प्रोफेसर कौसर मजहरी का शॉल ओढ़ाकर सम्मान किया.
प्रमुख वक्ताओं के विचार
समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रख्यात लेखक और कवि प्रो. खालिद महमूद ने कहा, "प्रो. कौसर मजहरी के शैक्षणिक, साहित्यिक और प्रशासनिक कौशल ने हमेशा प्रेरित किया है. मुझे विश्वास है कि उनके संरक्षण में जामिया मिल्लिया इस्लामिया का उर्दू विभाग और अधिक उन्नति करेगा."
विशिष्ट अतिथि प्रो. अनवर पाशा ने कहा, "प्रोफेसर कौसर मजहरी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वे असहमति को स्वीकारते हैं और दूसरों को भी असहमति का अधिकार देते हैं."प्रो. शहजाद अंजुम ने उनके लेखन को बेबाक और निर्भीक बताते हुए कहा कि उनकी रचनाएं कविता, कथा, अनुसंधान और आलोचना के विभिन्न पहलुओं को समेटे हुए हैं.
प्रसिद्ध कथाकार प्रो. खालिद जावेद ने उन्हें "प्रतिरोध, विद्रोह और प्रामाणिकता का रूपक" कहा, जबकि दिल्ली विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष प्रो. अबू बक्र इबाद ने उनके लेखन को उनके व्यक्तित्व का प्रतिबिंब बताया.
साहित्य और संस्कृति का संगम
प्रो. मजहरी के पुत्र मौलाना सादुल्लाह एहसान नदवी ने उनके प्रशिक्षण के तरीकों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "उन्होंने हमें सिर्फ नकल करने वाला नहीं, बल्कि आलोचनात्मक सोच विकसित करने वाला बनाया."पुस्तक के लेखक डॉ. मुश्ताक सदफ ने इसकी विषय-वस्तु और महत्व पर प्रकाश डाला. अपने सम्मान में आयोजित समारोह के लिए धन्यवाद देते हुए प्रो. कौसर मजहरी ने इसे अपने जीवन का "भावनात्मक, यादगार और अविस्मरणीय क्षण" बताया.
समारोह में साहित्य जगत की उपस्थिति
इस अवसर पर वरिष्ठ शायर मतीन अमरोहवी ने बधाई कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन शायर मोईन शादाब ने किया और गालिब अकादमी के सचिव डॉ. अकील अहमद ने धन्यवाद ज्ञापन किया.समारोह में दिल्ली के प्रतिष्ठित विद्वानों, लेखकों और कवियों ने भाग लिया, जिनमें सरवत उस्मानी, मजहर महमूद, निगार अजीम, तसनीम कौसर, अनवर हक, शोएब रजा फातमी, तौहीद खान और खालिद मुबश्शिर शामिल थे.