इजरायल-फिलिस्तीन हिंसा रोकने में अग्रणी भूमिका निभाए भारत : मुस्लिम बुद्धिजीवी एवं उलेमा

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 15-10-2023
Prime Minister Narendra Modi should play a leading role in stopping Israel-Palestine violence: Muslim intellectuals and Ulemas
Prime Minister Narendra Modi should play a leading role in stopping Israel-Palestine violence: Muslim intellectuals and Ulemas

 

मंसूर उद्दीन फरीदी / नई दिल्ली

भारत फिलिस्तीनी स्वतंत्रता का समर्थक रहा है. देष ने हमेशा इसे मुद्दे के शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की है. भारत स्वतंत्र फिलिस्तीन के पक्ष में है. अब अगर मोदी सरकार ने फिर से यह स्थिति स्पष्ट की है तो सराहनीय है. इससे बड़ी गलतफहमी दूर हुई है. इसके अलावा भारतीय नेतृत्व के लिए यह मौका है कि वह इस संकट में विश्व गुरु की भूमिका निभाए. रूस-यूक्रेन युद्ध की तरह आगे आए. दुनिया की नजर भारत के मजबूत नेतृत्व पर रहती है. उसने जी 20 में साफ किया था कि अब युद्ध का वक्त नहीं है. हर समस्या का समाधान बातचीत से निकल सकता है.

देश के प्रमुख विद्वानों और बुद्धिजीवियों ने इस मुद्दे पर राय व्यक्त करते हुए भारत सरकार के इस स्पष्टीकरण का स्वागत किया. कहा कि देश हमेशा से स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना के पक्ष में रहा है. इसके अलावा सरकार आतंकवाद के भी खिलाफ है.

हालांकि, कुछ विद्वानों का यह भी कहना था कि सरकार को संकट की शुरुआत में ही देश की नीतियों को स्पष्ट कर देना चाहिए था, ताकि किसी तरह की गलतफहमी पैदा न हो. संकट को हल करने में भी सक्रिय भूमिका निभाए. बुद्धिजीवियों का मानना है कहा कि देश को इस संकट में आगे बढ़कर नेतृत्वकारी भूमिका निभानी चाहिए, जैसा उसने यूक्रेन और रूस संकट के दौरान किया था.

 हालांकि, बहुमत ने स्वीकारा कि जितनी जल्दी हो उतना बेहतर होगा. अभी भी ज्यादा देर नहीं हुई है. सरकार ने न सिर्फ भारतीय मुसलमानों की बेचैनी को खत्म किया है, इस पर किसी भी तरह की राजनीति की संभावना को भी खत्म कर दिया है.

बता दें कि विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा था कि भारत ने इजरायल पर हमास के हमले को आतंकवाद की कार्रवाई करार दिया है. साथ ही फिलिस्तीन के प्रति भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति में कोई बदलाव नहीं आया है.

अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन करना इजरायल की जिम्मेदारी है. बयान के मुताबिक, जहां तक फिलिस्तीन की स्थिति के संबंध में देश की नीति का सवाल है, इस संबंध में हमारी नीति दीर्घकालिक और सुसंगत रही है. भारत ने हमेशा शांतिपूर्ण और मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर संप्रभु और स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना के लिए इजरायल के साथ सीधी बातचीत फिर से शुरू करने की वकालत की है.

दरगाह अजमेर शरीफ के संरक्षक और चिश्ती फाउंडेशन के प्रमुख सैयद सलमान चिश्ती ने भारत सरकार द्वारा फिलिस्तीनी स्वतंत्र देश की स्थिति स्पष्ट करने का स्वागत किया. कहा कि यह देश की लंबे समय से चली आ रही स्थिति है.

फिलिस्तीनियों का अस्तित्व इतिहास है. इसे पुनर्स्थापित करना जरूरी है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से लेकर अब नरेंद्र मोदी तक सभी ने इसका समर्थन किया है. सरकार के लिए इसके पीछे हटना संभव नहीं.

उन्होंने कहा कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय समुदाय में स्थान रखता है. हम विश्व गुरु हैं. हम इस संकट में भी वही भूमिका निभा सकते हैं, जैसा यूक्रेन संकट में किया गया था.उन्होंने कहा कि जी 20में पीएम मोदी ने दुनिया को साफ संदेश दिया था कि अब युद्ध का युग नहीं. किसी भी समस्या का समाधान बातचीत से निकाला जा सकता है.

आवाज द वॉयस से बात करते हुए सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि मानव जीवन का नुकसान बहुत दर्दनाक है. इसे किसी भी कीमत पर उचित नहीं ठहराया जा सकता. इस वक्त गाजा में सबसे ज्यादा मानवाधिकारों का उल्लंघन हो रहा है. ऐसा ही कुछ हमास ने किया. हमें याद रखना होगा कि गाजा का मतलब हमास नहीं. हम हमेशा दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवाद का विरोध करते हैं, चाहे यह किसी भी धर्म की ओर से हो.

सैयद सलमान चिश्ती ने कहा कि अब समय आ गया कि संयुक्त राष्ट्र सहित अंतरराष्ट्रीय समुदाय इसमें सक्रिय रूप से शामिल हो और युद्ध पर रोक लगाए. गाजा में मानवीय संकट है. आम लोगों को इससे कोई लेना-देना नहीं. तत्काल युद्ध विराम होना चाहिए.

सेंट्रल जमीयत अहले हदीस हिंद के अमीर मौलाना असगर अली इमाम मेहदी सलाफी ने कहा, मध्य पूर्व में जो हो रहा है वह बहुत भयानक है. इस बीच, अगर भारत सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अभी भी एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की अपनी दीर्घकालीन नीति के प्रति प्रतिबद्ध है, तो यह एक सकारात्मक संदेश है. यह कथन एक बड़ी गलतफहमी को दूर करता है.

विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान वैध है. ये हमारी परंपरा और लंबे समय से चली आ रही प्रक्रिया है.मौलाना सलाफी ने कहा कि मध्य पूर्व का मसला बेहद संवेदनशील है. हमें इस मामले में भावुक नहीं होना चाहिए. भारत ने हमेशा एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश की स्थापना का समर्थन किया है.

महत्वपूर्ण यह है कि सभी चिंताओं को दूर करते हुए, सरकार ने एक बार फिर लंबे समय से चली आ रही नीति का समर्थन या नवीनीकरण किया है.प्रमुख धार्मिक विद्वान मौलाना जहीर अब्बास रिजवी ने कहा कि अगर भारत चाहे तो इस संकट में नेतृत्वकारी भूमिका निभा सकता है.

जैसा, रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध में देश का नेतृत्व किया था. यह भारत के लिए विश्व गुरु की भूमिका निभाने का अवसर है. यह एक अच्छा संकेत है. इस मामले में देश की लंबे समय से चली आ रही नीति वही बनी हुई है. मुझे लगता है कि सरकार को इस स्थिति को स्पष्ट करने में देरी नहीं करनी चाहिए.

दुनिया इस विवाद पर विभाजित है. अरब जगत की स्थिति अलग है. फिलिस्तीन के साथ. है. कहीं न कहीं भारत सरकार ने इस मामले में देरी की. अन्यथा देश की नेतृत्वकारी भूमिका को दुनिया याद रखती.मौलाना जहीर अब्बास ने कहा कि देश की किसी भी सरकार ने स्वतंत्र फिलिस्तीन की स्थापना पर अपनी नीति नहीं बदली.

चाहे वह नेहरू हों या अटल बिहारी वाजपेयी. एक स्वतंत्र देश की स्थापना फिलिस्तीनियों का अधिकार है, जो 70साल से देश विहीन घूम रहे हैं. न्याय नहीं मिल रहा है. हताशा और कठिन जीवन से हिंसा को बढ़ावा मिलता है.

इस समस्या को हल करना अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी है. किसी के द्वारा की गई हिंसा मानवता के सिद्धांतों के खिलाफ है. हमास ने हमला किया तो अब इजरायल ने सैन्य आक्रामकता दिखाई है. मेरा मानना है कि फिलिस्तीनियों के खिलाफ लंबे समय से चले आ रहे अन्याय पर ध्यान देने की जरूरत है.

अन्याय की कोख से हिंसा और आतंकवाद का जन्म होता है. इसलिए जितनी जल्दी हो सके अंतर्निहित दोष को दूर करना महत्वपूर्ण है.मौलाना जहीर अब्बास ने कहा कि भारत इस संकट में बड़ी भूमिका निभा सकता है. दुआ करते हैं कि जुल्म का दौर रुके. मजलूमों को उनका हक मिले. जंग कभी किसी समस्या का समाधान नहीं .

मुंबई में इंटरनेशनल सूफी कारवां के प्रमुख मुफ्ती मंजूर जियाई का कहना है कि भारत ने हमेशा उत्पीड़ितों का समर्थन किया है. फिलिस्तीनियों के मामले में भारत की स्थिति यह रही है. यह 1948से है. स्वतंत्र फिलिस्तीनी देश ही एकमात्र समाधान है. भारत ने इसका समर्थन किया है.

चाहे वह नेहरू हों, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी हों. हर प्रधानमंत्री ने इस मामले में एक दीर्घकालिक नीति बनाए रखी है. अगर मोदी सरकार ने इसकी घोषणा की है, तो यह अच्छा है कि गलतफहमी दूर हो गई.

मुफ्ती मंजूर जियाई ने कहा कि इस मामले में भारत का रुख हमेशा ईमानदार रहा है. हम अब भी शांति के दूत हैं.हिंसा के खिलाफ हैं. इस संकट में दोनों पक्षों की जान जा रही है, जो दुखद है. इसे तुरंत रोकना चाहिए. हम किसी भी तरह के आतंकवाद का समर्थन नहीं करते. अल्लाह को यह पसंद नहीं, तो हम किसी भी हिंसा या आतंकवाद का समर्थन कैसे कर सकते हैं. 


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