आवाज द वाॅयस /श्रीनगर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कश्मीर के नमदा शिल्प को पुनर्जीवित करने के प्रयासों से बेहद खुश हैं. उन्होंने इसके लिए कश्मीरी कारीगरों की प्रशंसा की है. नमदा कला उत्पादों का पहला बैच यूनाइटेड किंगडम (यूके) को सफलतापूर्वक निर्यात किया गया.
भारत से यूके में नमदा के निर्यात के बारे में एक समाचार रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, पीएम मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि इस शिल्प का पुनरुद्धार इस क्षेत्र की विरासत के लिए बहुत अच्छी खबर है.
उन्होंने कहा-खुशी है कि कश्मीर का सदियों पुराना नमदा शिल्प पुनर्जीवित हो रहा है. अब वर्षों के बाद वैश्विक पटल पर पहुंच रहा है! यह हमारे कारीगरों के कौशल और लचीलेपन का प्रमाण है. यह पुनरुद्धार हमारी समृद्ध विरासत के लिए बहुत अच्छी खबर है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को यूके में निर्यात के लिए नमदा कला उत्पादों के पहले बैच को हरी झंडी दिखाई.प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के हिस्से के रूप में कौशल भारत के पायलट प्रोजेक्ट के तहत कश्मीर के नमदा शिल्प को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया जा रहा है, जिसमें जम्मू-कश्मीर के छह जिलों के लगभग 2200 कारीगर विलुप्त हो रही कला में प्रशिक्षित किए जा रहे हैं.
परियोजना-निष्पादन एजेंसी के निदेशक, आदिल मीर ने कहा, “यह नमदा शिल्प के पुनरुद्धार के लिए एक बड़ा संकेत है. नमदा कला उत्पादों का पहला बैच सफलतापूर्वक यूके भेज दिया गया है. हमने पूरे कश्मीर में कई कारीगरों को प्रशिक्षित किया है, जिससे इस शिल्प को पुनर्जीवित करने में मदद मिली है.
अधिकारियों ने कहा कि यह परियोजना कौशल विकास के क्षेत्र में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल का एक बड़ा उदाहरण स्थापित होगा. इसे स्थानीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से कार्यान्वित किया जाएगा.
इस पहल के तहत, लगभग 2200 उम्मीदवारों को नमदा शिल्प की कला में प्रशिक्षित किया गया है, जो इस पारंपरिक शिल्प को संरक्षित करने और स्थानीय बुनकरों और कारीगरों को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण मील का पत्थर हैं.
इस परियोजना ने कश्मीर के छह जिलों - श्रीनगर, बारामूला, गांदरबल, बांदीपोरा, बडगाम और अनंतनाग में लोगों को सफलतापूर्वक प्रशिक्षित किया है.नमदा शिल्प सामान्य बुनाई प्रक्रिया के बजाय फेल्टिंग तकनीक के माध्यम से भेड़ के ऊन से बना गलीचा है.
कच्चे माल की कम उपलब्धता, कुशल जनशक्ति और विपणन तकनीकों की कमी के कारण, 1998 और 2008 के बीच इस शिल्प के निर्यात में लगभग 100 प्रतिशत की गिरावट आ गई थी.
इसलिए, पीएमकेवीवाई के तहत इस विशेष परियोजना के माध्यम से, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) ने इस लुप्तप्राय शिल्प को संरक्षित करने के लिए एक अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तैयार किया है.
परियोजना को प्रशिक्षण के तीन चक्रों में 25 बैचों में लागू किया गया है.प्रत्येक प्रशिक्षण कार्यक्रम लगभग साढ़े तीन महीने का रहा, जिसके परिणामस्वरूप चक्र लगभग 14 से 16 महीने में पूरा हो गया.
नमदा परियोजना नामदा शिल्प उत्पादन में शामिल लाभार्थियों के साथ एक उद्योग-आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम है, जो कश्मीर में नामदा शिल्प से जुड़ी समृद्ध विरासत को संरक्षित और पुनर्जीवित करने में योगदान देगा.
अधिकारियों ने कहा, इससे कश्मीर में नामदा शिल्प क्लस्टर के मौजूदा कारीगरों की पहुंच में भी सुधार होगा और रोजगार की उनकी संभावनाएं भी बढ़ेंगी. “प्रधानमंत्री मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में भारत के युवाओं को कौशल प्रदान करने, पुनः कौशल प्रदान करने और उन्नत करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दृढ़ बनी हुई है.
मीर हस्तशिल्प और श्रीनगर कालीन प्रशिक्षण और बाजार केंद्र जैसे स्थानीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से जम्मू-कश्मीर में इस पायलट परियोजना का सफल कार्यान्वयन, कौशल विकास को आगे बढ़ाने और आर्थिक विकास के लिए निवेश आकर्षित करने में पीपीपी की शक्ति का बेहतर उदाहरण है.
उपलब्धि पर बधाई देते हुए, राजीव चन्द्रशेखर ने कहा, “हमने 2021 में नमदा परियोजना की शुरुआत की थी. इसके परिणाम को देखना बेहद संतोषजनक है जो हमारे पीएम के नया भारत, नए अवसर, नई समृद्धि के दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाता है और जो कौशल पर जोर देता है.
कारीगरों और हस्तशिल्प क्षेत्र कौशल परिषद द्वारा किए गए इस बड़े प्रयास के एक छोटे से हिस्से के रूप में नए अवसर और नई समृद्धि पैदा करने के बारे में है.मंत्री ने इस कला की अपार सफलता और समृद्धि के लिए शुभकामनाएं दीं.
उन्होंने यह भी कहा कि यह उपलब्धि हासिल करना गर्व का क्षण है.चंद्रशेखर ने कहा कि नमदा परियोजना कौशल भारत के लिए पीएम मोदी के दृष्टिकोण के बेहद संतोषजनक और निर्णायक परिणाम का उदाहरण है, जो लोगों को सशक्त बनाने के बारे में है.