मंसूरुद्दीन फरीदी/ नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि देश में एक राष्ट्रीय सूफी सर्किट स्थापित किया जाए जिसके तहत सभी सूफी दरगाहों के धार्मिक पर्यटन की व्यवस्था की जाए. ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि दुनिया में अगर सूफीवाद का नाम लिया जाए तो भारत उसमें अव्वल हो.
इस का खुलासा अजमेर ख्वाजा हजरत मोइनुद्दीन चिश्ती के संरक्षक हाजी सलमान चिश्ती ने किया है. आवाज द वॉयस से बात करते हुए हाजी सलमान चिश्ती ने कहा कि गुरुवार को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने आवास पर एक विशेष समारोह में ख्वाजा अजमेरी की दरगाह पर चढ़ाने के लिए चादर प्रस्तुत किया.
यह चादर गरीब नवाज के उर्स के मौका चढ़ाई जाएगी. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश भर के दरगाहों के प्रमुखों को आमंत्रित किया है और पूरी श्रद्धा के साथ अजमेर शरीफ के लिए अपने विचार व्यक्त करते हुए चादर सौंपी.
प्रधानमंत्री मोदी ने सूफी प्रतिनिधिमंडल से राष्ट्रीय सूफी सर्किट की स्थापना के लिए प्रस्ताव सौंपने को कहा ताकि सरकार इस संबंध में आवश्यक कदम उठा सके. इससे देश में आध्यात्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. सूफी सर्किट से भक्तों के लिए यात्रा सुविधाओं में भी सुधार होगा.
हाजी सलमान चिश्ती ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी से बातचीत काफी सकारात्मक रही. उनके विचारों से हम सभी को काफी सुकून मिला. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आप लोग सूफी शिक्षाओं को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं.
इसे बनाए रखें. दरगाह ऐसी जगह है जहां एक विश्व और एक परिवार की अवधारणा को वास्तविकता के रूप में देखा जाता है. यह सबका साथ और सबका विकास का विचार है. हमें एक साथ रहना है. साथ चलना है.
हाजी सलमान चिश्ती ने कहा कि महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सूफी विचारों और भारतीय गंगा जमुनी संस्कृति को दुनिया भर में बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों की सराहना की है. हमारे काम को इसी तरह जारी रखने को कहा दृ
मोदी ने कहा कि सूफी शिक्षाओं को लोकप्रिय बनाने की जरूरत है. हमें इसे दुनिया के हर कोने तक पहुंचाने का प्रयास जारी रखना चाहिए.हाजी सलमान चिश्ती ने कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी की गर्मजोशी और रुचि से बहुत प्रभावित हुए.
उन्होंने सूफी प्रतिनिधिमंडल के साथ निर्धारित 15 मिनट के बजाय 45 मिनट गुफ्तगू की. कश्मीर से कन्याकुमारी तक के सूफी प्रतिनिधियों ने उनके सामने अपने विचार और राय रखी, जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने सुना. खुलकर अपने विचार भी रखे.
मौलाना सैयद मोहम्मद अशरफ कच्छवी ने कहा कि मैंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ वर्ल्ड सूफी फोरम की यादें साझा की. भारत की आध्यात्मिक परंपराओं का अनुभव करने के लिए दुनिया भर के वैश्विक साधकों का स्वागत करने के लिए भारत में विश्व स्तरीय सूफी आध्यात्मिक सर्किट के वैश्विक प्रभाव पर चर्चा की गई.
एआईयूएमबी के अध्यक्ष मौलाना अशरफ ने इस बातचीत को बेहद यादगार और प्रभावी बताया. उन्होंने यह कहा कि सूफी सर्किट एक महत्वपूर्ण परियोजना होगी, जिसके जरिए भारतीय सूफी शिक्षाओं को दुनिया में लोकप्रिय बनाया जा सकेगा.
मौलाना सैयद कल्बे राशिद रिजवी ने कहा कि इस मौके पर हमने प्रेम का संदेश फैलाने की बात की. सूफीवाद के प्रचार-प्रसार पर चर्चा की गई. यह खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने सभी बातों को ध्यान से सुना.
दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के फरीद निजामी ने कहा कि पूरे साल ईद, दिवाली, बैसाखी सहित विभिन्न त्योहारों के दौरान पूरे भारत के सभी धर्मों, समुदायों और परंपराओं के साधक और भक्त हजरत निजामुद्दीन औलिया की दरगाह पर आते हैं. पीएम मोदी के सामने ऐसे अवसरों के अनुभवों का वर्णन किया गया .
अहमदाबाद के नसीरुद्दीन चिश्ती ने गुजरात में विभिन्न सूफी दरगाहों के अपने अनुभव सुनाए. बताया कि कैसे वे सभी साधकों और समुदाय को लंगर और अन्य सेवाएं प्रदान करते हैं.
महाराष्ट्र के नागपुर के प्यारे खान ने अपने स्वच्छ और हरित अभियान और ढांचागत उन्नयन के साथ विभिन्न शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा नागपुर, महाराष्ट्र में बाबा ताजुद्दीन औलिया दरगाह शरीफ में दैनिक सभाओं के अनुभव सुनाए.
वर्ल्ड मेमन फेडरेशन के हुसैन अगाड़ी ने अजमेर दरगाह शरीफ में बिना शर्त प्यार के साथ सेवा करने के अपने अनुभव और मुंबई में सामुदायिक विकास और महाराष्ट्र और गुजरात में शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए अन्य ग्रामीण विकास परियोजनाओं में उनके योगदान को साझा किया.
जावेद कुतुब ने दिल्ली के महरौली में बाबा कुतुबुद्दीन बख्तियार काकी (आर) की दरगाह पर सेवा करने पर अपने विचार व्यक्त किए. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की भावना की सराहना की. कहा कि प्रधानमंत्री का सूफीवाद में रुचि दिखाना सराहनीय है.
उन्होंने भारत भर में सभी आध्यात्मिक पहलों का हिस्सा बनने की इच्छा व्यक्त की.कश्मीर सूफी दरगाह, श्रीनगर के मौलाना नूरानी ने क्षेत्र में शांति स्थापित करने और विकास परियोजना, विशेषकर बच्चों की शिक्षा और कौशल विकास परियोजनाओं का हिस्सा बनने के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों और पहल की सराहना की. उन्होंने इसे आध्यात्मिक केंद्रों में लागू करने की इच्छा व्यक्त की.