डॉ मनमोहन सिंह के निधन से पाकिस्तान के गाह गांव के लोग सदमे में

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 27-12-2024
Two people from Gah village sharing memories related to Manmohan Singh
Two people from Gah village sharing memories related to Manmohan Singh

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली

 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के निधन की खबर ने जहां भारत में शोक की लहर पैदा की, वहीं पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल जिले में स्थित उनके पैतृक गांव गाह के लोग भी गहरे दुख में हैं. यह गांव, जहां उनका जन्म हुआ और बचपन बीता, डॉ. सिंह की स्मृतियों से भरा हुआ है. गुरुवार को 92 वर्ष की आयु में उनका दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया.

डॉ. मनमोहन सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह गांव में हुआ था. उनका परिवार यहां 1947 में भारत के विभाजन से पहले तक रहता था. गांव के लोगों का कहना है कि विभाजन के समय उनकी उम्र करीब 15 वर्ष थी. उन्होंने गाह के प्राथमिक स्कूल में चौथी कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की. गांव का यह स्कूल, जहां उन्होंने पढ़ाई की थी, आज भी उनके नाम को संजोए हुए है.

हालांकि स्कूल की इमारत अब काफी बदल चुकी है, लेकिन पुराने रिकॉर्ड आज भी वहां मौजूद हैं. इन रिकॉर्ड्स के अनुसार, डॉ. सिंह ने पहली कक्षा में यहां दाखिला लिया और चौथी कक्षा के बाद चकवाल शहर में पढ़ाई के लिए चले गए. स्कूल के पुराने सहपाठियों और स्थानीय लोगों को आज भी उनकी सादगी और विनम्रता याद है.


solar painals
मनमोहन सिंह की पहल से गांव की एक मस्जिद की छत पर लगा टाटा कंपनी का सोलर पैनल
 

गाह गांव पर डॉ. सिंह का प्रभाव

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि डॉ. मनमोहन सिंह को अपने गांव से गहरा लगाव था. प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने गांव के कई लोगों को दिल्ली बुलाया और उनसे मुलाकात की. यही नहीं, उनकी पहल पर गाह में कई विकास कार्य भी हुए.

डॉ. सिंह की पहल पर गांव की गलियों और मस्जिदों में सोलर लाइट और वॉटर हीटर लगाए गए. पाकिस्तान सरकार ने उनके सम्मान में गांव को "आदर्श गांव" बनाने की घोषणा की. गाह के सरकारी बॉयज स्कूल का नाम बदलकर "मनमोहन सिंह गवर्नमेंट बॉयज स्कूल" कर दिया गया.


gaah ragister


गाह गांव और डॉ. सिंह का रिश्ता

गांव के एक बुजुर्ग, राजा मोहम्मद अली, जो डॉ. सिंह के सहपाठी थे, ने एक बार भारत की यात्रा कर उनसे मुलाकात की थी. उन्होंने बताया कि बचपन में दोनों ने पहली से चौथी कक्षा तक एक साथ पढ़ाई की. अली ने यह भी कहा कि डॉ. सिंह ने अपने प्रयासों से गांव को आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित किया, जिसमें अच्छी सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं.
gaah


डॉ. सिंह के प्रति गाह गांव की भावनाएं

डॉ. सिंह के प्रधानमंत्री बनने के बाद 2004 में गाह के लोगों ने बड़े उत्साह से उनका शपथ ग्रहण समारोह मनाया. उनके सम्मान में गाह को विकसित करने की योजना बनाई गई और 2012 में भारत के एक संस्थान, टेरी, ने यहां एक सौर ऊर्जा ग्रिड स्थापित किया. इस ग्रिड ने 51 परिवारों और तीन मस्जिदों को बिजली की आपूर्ति की.

विभाजन की पीड़ा और नया सफर

डॉ. सिंह ने 1947 में देश विभाजन के समय अपने परिवार के साथ गाह छोड़ दिया और पंजाब के अमृतसर में बस गए. विभाजन का दर्द झेलने वाले इस नेता ने न केवल अपनी परिस्थितियों पर विजय पाई, बल्कि भारत की आर्थिक नीति को नई दिशा दी.
gaah
गाह गांव जाने का रास्ता

गाह गांव की अंतिम श्रद्धांजलि

डॉ. मनमोहन सिंह के निधन पर गाह गांव में भी शोक की लहर है. गांव के लोग उनकी विरासत को सहेजने और उनकी याद में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.डॉ. सिंह का जीवन केवल भारत तक सीमित नहीं था. यह उनके जन्मस्थल, गाह, और पाकिस्तान के लोगों के दिलों में भी गहरी छाप छोड़ गया. उनकी सरलता, दूरदर्शिता, और राष्ट्र निर्माण में योगदान को आने वाली पीढ़ियां हमेशा याद रखेंगी.