आवाज़ द वॉयस, नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल बैसरन घाटी में हाल ही में हुए आतंकी हमले की भयावहता अब प्रत्यक्षदर्शियों और बचे हुए लोगों के बयानों से स्पष्ट हो रही है. इस खूबसूरत और शांत घाटी में, जिसे 'मिनी स्विट्ज़रलैंड' कहा जाता है, 25 पर्यटकों और एक स्थानीय कश्मीरी की बेरहमी से हत्या कर दी गई. हमले को चार आतंकवादियों ने अंजाम दिया, जिनमें से तीन ने सीधे तौर पर गोलियां चलाईं, जबकि एक जंगल में छिपा था – संभवतः सहयोग और पलायन में सहायता के लिए.
जांच एजेंसियों द्वारा एकत्रित जानकारी से स्पष्ट होता है कि यह हमला पूरी तरह से सुनियोजित था. आतंकवादियों ने बैसरन घाटी के प्रवेश और निकास द्वारों पर पहले से ही कब्जा कर लिया था.
जब पर्यटक अपने परिवार और दोस्तों के साथ हरे-भरे मैदानों में पिकनिक मना रहे थे और स्थानीय व्यंजनों का आनंद ले रहे थे, तभी यह हमला हुआ. निकास द्वार से पहली गोली चलाई गई, जिससे अफरा-तफरी मच गई. डर से लोग प्रवेश द्वार की ओर भागे, लेकिन वहां पहले से ही दो आतंकी घात लगाए बैठे थे.
हमले को अंजाम देने वाले दो आतंकी सैन्य वर्दी में थे, जिससे उन्हें भ्रमित करने में आसानी हुई, जबकि तीसरा पारंपरिक कश्मीरी 'फेरन' पहने हुए था. इससे वे स्थानीय लोगों में आसानी से घुलमिल सके और शक की गुंजाइश नहीं रही.
प्रवेश द्वार पर आतंकियों ने सभी पर्यटकों को इकट्ठा किया और महिलाओं को पुरुषों से अलग होने को कहा, लेकिन किसी ने भी उनके आदेश को मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद आतंकियों ने हिंदुओं और मुसलमानों को अलग करने को कहा, परंतु फिर भी लोगों ने साफ मना कर दिया.यह मानवता और एकजुटता की मिसाल थी – लोग न सिर्फ डरे नहीं, बल्कि एक-दूसरे के साथ खड़े रहे.
इस भीषण हमले में नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल पहले शहीदों में से एक थे. वह वहां अपने परिवार के साथ पिकनिक मनाने आए थे. आतंकियों ने गोलीबारी शुरू करने से पहले लोगों को कलमा (इस्लामी आस्था की घोषणा) पढ़ने के लिए कहा, लेकिन अधिकांश लोग कुछ भी समझ नहीं पाए और तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
चाय की दुकान और भेलपुरी की दुकान के पास सबसे ज्यादा हताहत हुए, क्योंकि वह इलाका सबसे भीड़भाड़ वाला था. गोलियों की बौछार के बीच चीख-पुकार मच गई, बच्चे अपनी मांओं से लिपटे रोते रहे और लोग जान बचाने के लिए इधर-उधर भागते रहे/
हमले के बाद तीनों आतंकी बाईं ओर की दीवार फांदकर जंगल की ओर भाग निकले. माना जा रहा है कि चौथा आतंकी जो जंगल में छिपा था, उन्हीं के सुरक्षित पलायन में मदद करने के लिए तैनात था.पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों की भूमिका इस हमले में स्पष्ट नजर आ रही है और जांच एजेंसियां इस दिशा में गंभीरता से काम कर रही हैं.
बैसरन घाटी, जो शांति और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध थी, अब खून से लाल हो गई है. इस आतंकी हमले ने न केवल निर्दोष लोगों की जान ली, बल्कि भारत के पर्यटन और सुरक्षा ढांचे को भी एक बार फिर चुनौती दी है.
हालांकि, इस त्रासदी के बीच लोगों की एकजुटता और साहस ने यह भी साबित कर दिया कि आतंक का सामना केवल बंदूक से नहीं, बल्कि एकता और मानवता से भी किया जा सकता है.क्या आप चाहेंगे कि मैं इस घटना की टाइमलाइन या ग्राफिक चार्ट के रूप में एक विज़ुअल भी तैयार करूं?