आवाज द वाॅयसय /अजमेर ( राजस्थान)
813वें उर्स मुबारक के अवसर पर अजमेर शरीफ दरगाह में देश के सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती (र.अ) की दरगाह पर चादर चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित की. भारतीय सर्वधर्म संसद (इंटरफेथ पार्लियामेंट) के राष्ट्रीय समन्वयक महर्षि भृगु पीठाधीश्वर श्री गुरुजी गोस्वामी सुशील महाराज के नेतृत्व में एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल ने देश में शांति, एकता और भाईचारे की प्रार्थना की.
दरगाह शरीफ में भव्य स्वागत
प्रतिनिधिमंडल का स्वागत निज़ाम गेट पर सूफी परंपरा के अनुसार किया गया. दरगाह के गद्दीनशीन हाजी सैयद सलमान चिश्ती और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष ने प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से अभिनंदन किया. पारंपरिक दस्तारबंदी (सिर पर पगड़ी बांधने की रस्म) के जरिए सभी अतिथियों का सम्मान किया गया.
स्वागत करने वालों में दरगाह से जुड़े कई प्रमुख हस्तियां शामिल थीं, जैसे सैयद अफशां चिश्ती, सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती, सैयद मेहराज चिश्ती, सैयद अमन चिश्ती और सैयद जावेद चिश्ती. इसके अतिरिक्त अजमेर शरीफ अंजुमन सैय्यदज़ादगान के प्रतिनिधियों, सैयद हसन हाशमी और सैयद असलम हुसैन ने भी विशेष रूप से प्रतिनिधिमंडल का सम्मान किया.
प्रतिनिधिमंडल की विशेष उपस्थिति
इस सर्वधर्म प्रतिनिधिमंडल में विभिन्न धर्मों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधि शामिल थे:
महर्षि भृगु पीठाधीश्वर श्री गुरुजी गोस्वामी सुशील जी महाराज
आचार्य श्री विवेक मुनि जी
फादर सेबेस्टियन
आचार्य येशी फुंतसोक जी
वीर सिंह हितकारी जी
श्री गुरसिमरन सिंह मंध जी
ध्यानाचार्य डॉ. अजय जैन जी
श्री शाहीन कासमी जी
श्री मरजबान नरिमन ज़ैवाला
श्री मनिंदर जैन जी
श्री ध्रुव शर्मा जी
चादर चढ़ाने और प्रार्थना का आयोजन
प्रतिनिधिमंडल ने दरगाह पर चादर चढ़ाकर ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ) की रूहानी मौजूदगी को सलाम किया. इस दौरान विशेष दुआ का आयोजन किया गया, जिसे सैयद रियाजुद्दीन चिश्ती और अंजुमन के उपाध्यक्ष सैयद हसन हाशमी ने किया.दुआ में देश में अमन-चैन, भाईचारा और वैश्विक शांति की विशेष प्रार्थनाएं की गईं.
महर्षि भृगु पीठाधीश्वर श्री गुरुजी गोस्वामी सुशील जी महाराज ने कहा,"अजमेर शरीफ दरगाह मानवता, प्रेम और आस्था का प्रतीक है. यह भारत की धर्मनिरपेक्ष संस्कृति का उत्कृष्ट उदाहरण है, जहां हर धर्म और समुदाय के लोग बिना किसी भेदभाव के आते हैं."
सर्वधर्म नेताओं ने साझा किया एकता का संदेश
अन्य प्रतिनिधियों ने भी दरगाह की आध्यात्मिक विरासत और राष्ट्रीय एकता में इसकी भूमिका की सराहना की.फादर सेबेस्टियन ने कहा,"हमने देश और दुनिया में शांति, प्रेम और करुणा के लिए प्रार्थना की. यह दरगाह हमें सिखाती है कि हर धर्म में मानवता ही सबसे बड़ी सेवा है."
आचार्य येशी फुंतसोक जीने कहा, "ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ) की शिक्षाएं सभी को दया, करुणा और भाईचारे का संदेश देती हैं. यह स्थान हमें मानवीय मूल्यों को अपनाने और साझा करने के लिए प्रेरित करता है."श्री गुरसिमरन सिंह मंध जी ने कहा "हम यहां धर्मों की विविधता में एकता का संदेश लेकर आए हैं. यह दरगाह हमें एकजुटता और आपसी सम्मान का प्रतीक दिखाती है."
सूफी परंपरा और कव्वाली का आनंद
प्रतिनिधिमंडल ने अरकत दालान में आयोजित सूफी कव्वाली का भी आनंद लिया. कव्वाली ने प्रेम, ईश्वर और शांति के संदेश को बढ़ावा दिया. दरगाह की रूहानी परंपराओं ने सभी को भावविभोर कर दिया.
आशा और सहयोग का संदेश
यात्रा के अंत में सभी प्रतिनिधियों ने देश में आपसी सहयोग और एकता की भावना को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारतीय सर्वधर्म संसद जैसे मंच, विभिन्न धर्मों और समुदायों के बीच आपसी समझ और सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं.
प्रतिनिधिमंडल ने एक स्वर में कहा,"अजमेर शरीफ दरगाह हमें यह सिखाती है कि प्रेम और आस्था मानवता को जोड़ने की सबसे बड़ी ताकतें हैं. हम प्रार्थना करते हैं कि भारत और दुनिया में हमेशा शांति और भाईचारा बना रहे."
अजमेर शरीफ: एकता और शांति का प्रतीक
ख्वाजा गरीब नवाज (र.अ) के 813वें उर्स पर आयोजित यह कार्यक्रम भारतीय संस्कृति और धर्मनिरपेक्षता की सजीव तस्वीर थी. यह आयोजन न केवल धार्मिक, बल्कि राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर एकता और शांति का संदेश देने वाला था.