मोहम्मद अकरम / नई दिल्ली
ड्रग्स के सेवन से नई पीढ़ी का भविष्य अंधकार में जा रहा हैं. बच्चे पढ़ाई-लिखाई की उम्र में ड्रग्स की लत में लिप्त हैं. राजधानी दिल्ली में प्रतिदिन ड्रग्स के सप्लायर, उसका सेवन करने वाले पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं. दिल्ली के सबसे भीड़भाड़ वाले इलाके शाहीन बाग और बटला हाउस में ड्रग्स से जुड़ी खबरें रोज सामने आती रहती हैं.
दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के जामिया नगर के शाहीन बाग में एक बड़े अंतरराष्ट्रीय ड्रग गिरोह का नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) भंडाफोड़ कर चुका है.
ऐसे में शाहीन बाग, जाकिर नगर में बढ़ती ड्रग्स की लत के खिलाफ अब ओखला की मुस्लिम महिलाओं ने बड़ा पहल की है. इसे लेकर लोगों को जागरूक कर रही हैं. महिलाओं की कोशिश है कि जब हमारे रहनुमा, सियासी नेता इस मुद्दे पर मौन धारण किए हुए हैं तो ऐसे में हमें ही घरों से निकल कर सड़क पर उतरने की जरूरत है.
नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिणी और पश्चिमी दिल्ली के इलाके छतरपुर,जाकिर नगर, शाहीन बाग, तैमूर नगर, आरके पुरम, संगम विहार, खिड़की एक्सटेंशन, मालवीय नगर, महिपालपुर, मोहन गार्डन, नवादा और उत्तम नगर के इलाके में बढ़ा है, जिसका असर नई पीढ़ी पर पड़ रहा हैं.
नशा के खिलाफ मुस्लिम महिलाओं की बैठक
गुरुवार को जामिया नगर के अबुल फजल एन्क्लेव में अमृत फाउंडेशन और हम हिन्दुस्तानी ट्रस्ट के द्वारा “आओ ओखला को संवारें, महिला सशक्तिकरण बैठक" के विषय पर बैठक का आयोजन किया गया. जिसमें मुस्लिम महिलाओं ने शाहीन बाग और बटला हाउस में बढ़ते ड्रग्स को लेकर चिंता जताई और इसके खिलाफ अभियान चलाने की बात कहीं.
छोटे बच्चे और लड़कियां भी ड्रग्स में शामिल
शाइस्ता खान सामाजिक कार्यकर्ता हैं और वह दिल्ली पुलिस और समाज सुधार ट्रस्ट के संयुक्त प्रयास से ड्रग्स के खिलाफ चलाए जा रहे मुहिम की हिस्सा है और समाज सुधार ट्रस्ट की सलाहकार हैं.
वह बताती हैं कि आज छोटे-छोटे बच्चे ड्रग्स ले रहे हैं .उनके पेरेंट्स को इसकी जानकारी नहीं होती है कि उनके बच्चे क्या कर रहे हैं . जिस तरह हम लोग प्रतिदिन ड्रग्स के साथ बच्चों को पकड़ते हैं, वह बहुत ही हैरान करने वाला है. जिन 10-12 साल के बच्चों को अपने फ्यूचर पर ध्यान देना चाहिए वह नशे के आदि हो रहे हैं.
इसमें सिर्फ बच्चे नहीं है ,नौजवान और बूढ़े लोग भी शामिल हैं. यूनिवर्सिटी के बच्चे शामिल होते हैं. 6,7 साल के बच्चे भी नशे में शामिल होते हैं.वह इसके लिए पेरेंट्स को जिम्मेदार मानती है.
सप्ताह में 8-10 बच्चे ड्रग्स के साथ पकड़े जाते हैं
वह आगे बताती हैं कि सिर्फ बच्चे नहीं, लड़कियां भी ड्रग्स ले रही है और नए तरीके से नशा कर रही हैं. बॉन के तरीके से ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं. पंचर ट्यूब में कपड़े के सहारे ड्रग्स मिलाते हैं और उसमें आग के सहारे सूंघते हैं. ऐसे बच्चों को पुलिस के हवाले किया जाता है. ओखला क्षेत्र में सप्ताह में 8-10 बच्चों को ड्रग्स के साथ पकड़ा जाता है.
खड़े नहीं होंगे तो नशा का असर आंगन में आएगा
अमृत फाउंडेशन की समन्वयक शहाना यासमीन ने अपने संबोधन में कहा कि जिस तरह हमारे आस-पास नशे की लत बढ़ रही है और बच्चे इसके शिकार हो रहे हैं, हमें इसके खिलाफ खड़ा होने का वक्त है, नहीं तो नशे का असर जहरीला है कि हमारे आंगन में आ जाएगा.
इसे लेकर माता-पिता परेशान है. इसके लिए कम्यूनिटी में जो जिम्मेदार लोग है उसे खड़ा होने की जरूरत है, लेकिन वे बेफिक्र हैं. हम महिलाओं ने मुहिम शुरु की हैं कि कैसे नशा से आजादी मिल जाए और समाज स्वास्थ्य हो. हमलोग सड़क पर उतरेंगे और आवाज़ उठाएंगे.
रहनुमा और प्रशासन जिम्मेदार
हम हिंदुस्तानी संस्थान के अध्यक्ष मोहम्मद निजाम ने कहा कि जो चीजें हम लोग देख रहे हैं वह बहुत तकलीफ वाली है. ओखला दिल्ली में सबसे गंदा एरिया होता जा रहा है. हर तरफ रोड टूटी हुई है.
गंदगी का अंबार है. सबसे चिंता की बात है समाज में ड्रग्स. नशा का बढ़ता रुझान और इससे 8 साल, 10 साल, 12 साल, 15 साल के बच्चे प्रभावित हो रहे हैं. इसके लिए कहीं न कहीं हमारे रहनुमा और प्रशासन जिम्मेदार है. इसको लेकर ‘आईए ओखला को संवारें’ के बैनर तले महिलाएं काम कर रही हैं.
हम लोग उनके साथ हैं.महिलाओं को अब इस बात की चिंता होने लगी है कि उनके बच्चे भी ड्रग्स की लत में शामिल हो जाएंगे.इस बैठक में ओखला की दर्जनों महिलाएं शामिल हुईं .