नासिक के मुस्लिम समुदाय का फैसला, डीजे मुक्त होगा ईद-ए-मिलादुन्नबी जुलूस

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 16-09-2024
Nashik's Muslim community decides, Eid-e-Miladunnabi procession will be DJ free
Nashik's Muslim community decides, Eid-e-Miladunnabi procession will be DJ free

 

सौरभ चंदनशिवे

महाराष्ट्र में फिलहाल गणेशोत्सव का माहौल है. 17 तारीख को अनंत चतुर्दशी के दिन भव्य मिरवणुकी के साथ गणेशोत्सव की समाप्ति होगी. इस दिन मुस्लिम समुदाय के ईद-ए-मिलादुन्नबी का त्योहार भी है. यह त्योहार  मोहम्मद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है और  मुस्लिम समुदाय जुलूस निकालते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं.

चूंकि अनंत चतुर्दशी और ईद-ए-मिलादुन्नबी एक ही दिन पड़ रहे हैं, महाराष्ट्र के कई जगहों पर मुस्लिम समुदाय ने ईद का जुलूस गणपती विसर्जन के समाप्त होने के बाद अगले दिन या कुछ दिनों बाद निकालने का निर्णय लिया है. इसके बारे में विस्तृत जानकारी 'आवाज' पर प्रकाशित की गई है. अब नाशिक के मुस्लिम समुदाय ने एक और सराहनीय निर्णय लिया है.

त्योहारों और उत्सवों में डीजे का शोर और ध्वनि प्रदूषण महाराष्ट्र में एक आम बात बन गई है. इस शोर  की वजह से धार्मिक उत्सवों की पवित्रता तो भंग होती ही है,  छोटे बच्चों और बुजुर्गों को भी काफी परेशानी होती है. इन जुलूसों में अक्सर डेसिबल की सीमा पार कर दी जाती है, जिससे कई लोगों की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है और कई को स्थायी बहरापन हो गया है.

इन मुद्दों को ध्यान में रखते हुए, पुराने नाशिक के मुस्लिम समुदाय ने एक अनुकरणीय निर्णय लिया है. शहर के शाही मस्जिद में मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण व्यक्तियों की बैठक हुई, जिसमें मुस्लिम धर्मगुरू भी शामिल थे. इस बैठक में ईद-ए-मिलादुन्नबी के जुलूस को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया. शहर-ए-खतीब हिसामुद्दीन खतीब ने इस बारे में जानकारी दी.

उन्होंने बताया, “ईद-ए-मिलाद के जुलूस का आयोजन सोमवार को यानि 16 सितम्बर को किया जाएगा. यह जुलूस दोपहर 2 बजे चौक मंडई से शुरू होगा. गणपति विसर्जन के मद्देनजर जुलूस किस दिन निकाला जाए, इस पर सहमति बन नहीं रही थी.

शाही मस्जिद में जुलूस कमेटी, विभिन्न मस्जिदों के मौलवी, राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारी और मुस्लिम समुदाय के लोगों की बैठक हुई. बैठक में 16 सितंबर को जुलूस निकालने पर सहमति बनी.”

खतीब ने इस बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण निर्णय के बारे में बताया. उन्होंने कहा “त्योहारों में अक्सर डीजे और शोरगुल देखने को मिलता है. इसलिए,पैगंबर मोहम्मद की जयंती  पर जुलूस की पवित्रता बनाए रखने के लिए हमने एकमत होकर ‘डीजे मुक्त जुलूस’ का निर्णय लिया है. इससे ध्वनि प्रदूषण नहीं होगा. लोगों को परेशानी भी नहीं होगी.”

उन्होंने आगे कहा, “जुलूस में शामिल होने वाले लोगों को कुछ निर्देश भी दिए गए हैं, ताकि दूसरों को कोई परेशानी न हो. जोर-जोर से घोषणाबाजी और बड़े झंडे टालने का भी आह्वान किया गया है. पानी का अत्यधिक उपयोग न करने और जरूरतमंदों की मदद करने के बारे में भी जुलुस में जनजागृति की जाएगी.”

इस साल भी पारंपरिक मार्ग से ही जुलूस निकाला जाएगा. आम तौरपर जुलूस में रिक्षा, चारपहिया गाड़ियों और अन्य वाहनों को शामिल किया जाता है. इस साल किसी भी प्रकार के वाहनों का समावेश नहीं किया जाएगा. बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोग पैदल ही जुलूस में शामिल होंगे. घोड़े, ऊंट जैसे अन्य भी जुलूस में शामिल होने से प्रतिबंधित किए गए हैं.

नाशिक के मुस्लिम समुदाय के डीजे मुक्त मिलादुन्नबी मनाने के निर्णय की हर तरफ सराहना की जा रही है. इस पहल से मुस्लिम समाज द्वारा दिखाई गयी सामाजिक परिपक्वता का अनुकरण अन्य स्थानों के मुस्लिम समुदायोंने और अन्य धर्मों के लोगों द्वारा भी किया जाना चाहिए, ऐसी भावना व्यक्त की जा रही है.