काशी में शिव भक्तों पर मुसलमानों ने बरसाए फूल

Story by  ओनिका माहेश्वरी | Published by  onikamaheshwari | Date 23-07-2024
Muslims shower flowers on Shiva devotees in Kashi
Muslims shower flowers on Shiva devotees in Kashi

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 

नेमप्लेट विवाद की गूंज अभी पूरी तरह शांत नहीं हुई है लेकिन समाज का एक वर्ग हिंदू-मुस्लिम एकता की बात करके घृणित राजनीतिक चालों को विफल करने के लिए आगे आया है. जी हाँ काशी में सावन का महीना शुरू होते ही शिव भक्त जलाभिषेक के लिए निकल पड़ते हैं और इस वर्ष भी मुसलमानों ने उन पर फूलों की वर्षा की जिससे राष्ट्रीय सद्भाव के संदेश का संचार हुआ.
 
वाराणसी की मिश्रित संस्कृति को दर्शाने वाली परंपरा को जारी रखते हुए, आसिफ शेख के नेतृत्व में मुसलमानों के एक समूह ने हिन्हुओं के पवित्र महीने श्रावण के पहले सोमवार को यहां गोदौलिया चौराहे के पास कांवड़ियों सहित भगवान शिव के भक्तों पर फूलों की पंखुड़ियाँ बरसाईं.
 
शेख ने कहा, “आज भीषण गर्मी के बीच बड़ी संख्या में भक्त काशी आए हैं. हम मुस्लिम समुदाय के लोगों ने भगवान शिव के भक्तों पर फूलों की पंखुड़ियाँ बरसाकर उनका स्वागत किया.” शेख ने कहा, “हमने उन्हें पानी की बोतलें भी दीं,” और कहा कि वे पिछले कई सालों से ऐसा करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे.
 
उन्होंने कहा, “वाराणसी हमेशा से “गंगा जमुनी तहजीब”(गंगा जमुनी तहजीब” शब्द का इस्तेमाल देश में हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के मिश्रण को संदर्भित करने के लिए किया जाता है) का उदाहरण रहा है. हम उस परंपरा और विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. वाराणसी में हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई एक साथ रहते हैं और हर त्योहार को बड़ी खुशी के साथ मनाते हैं.” 
 
शेख और समूह के अन्य लोगों ने कहा, "हम किसी राजनीति में नहीं पड़ना चाहते. हम यहां आए शिव भक्तों का स्वागत कर रहे हैं. हम यह संदेश देना चाहते हैं कि काशी में सभी धर्मों के लोग सद्भाव से रहते हैं." गंगा जमुनी तहजीब एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल देश में हिंदू और मुस्लिम संस्कृतियों के मेल को संदर्भित करने के लिए किया जाता है.