छठ पूजा की तैयारी में जुटीं मुस्लिम महिलाएं, मिट्टी के चूल्हों से बांधा सौहार्द्र का पुल

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  [email protected] | Date 05-11-2024
Muslim women are busy preparing for Chhath Puja, building a bridge of harmony with earthen stoves
Muslim women are busy preparing for Chhath Puja, building a bridge of harmony with earthen stoves

 

आवाज द वाॅयस /ई दिल्ली

आस्था का महापर्व, छठ पूजा, न केवल उगते और डूबते सूर्य की पूजा का पर्व है, बल्कि यह साम्प्रदायिक सौहार्द्र का भी प्रतीक बनता जा रहा है. इस पर्व में विभिन्न धर्मों और जातियों के लोग एकजुट होकर आस्था का प्रदर्शन करते हैं. इसी कड़ी में पटना के वीरचंद्र पटेल पथ पर कई मुस्लिम महिलाएं भक्तों के लिए विशेष रूप से मिट्टी के चूल्हे बनाकर छठ पूजा की तैयारियों में जुटी हैं.

 इन चूल्हों का उपयोग श्रद्धालुओं द्वारा प्रसाद पकाने के लिए किया जाता है. ये महिलाएं चूल्हे बनाने में भक्तों की धार्मिक भावनाओं का पूरा ध्यान रखती हैं.सीमा खातून, एक चूल्हा बनाने वाली मुस्लिम महिला, बताती हैं, "हमने ये काम अपनी माँ से सीखा है, जो कई वर्षों से ये चूल्हे बना रही हैं.

 हम नहाने और बिना कुछ खाए ही चूल्हे बनाते हैं, क्योंकि यह धार्मिक काम है. इस बार दुर्गा पूजा के समय से ही हमने इसे बनाना शुरू किया और अब तक करीब 150 से 200 चूल्हे बना चुके हैं. इसे बनाने में काफी मेहनत लगती है. हम इसे 50 से 150 रुपये तक बेचते हैं."

उनके अनुसार, एक चूल्हा बनाने में करीब दो घंटे का समय लगता है. इस दौरान वे किसी प्रकार का भोजन भी ग्रहण नहीं करती हैं. एक अन्य मुस्लिम महिला ने कहा, "मैं पिछले 6 साल से मिट्टी के चूल्हे बना रही हूँ. चूंकि यह पूजा का हिस्सा है, हम इसे बनाते समय कुछ खास चीजें नहीं खाते हैं."चूल्हे खरीदने के लिए यहां आए एक ग्राहक ने बताया कि वह हर साल यहां से चूल्हे खरीदते हैं. उन्हें खुदरा में बेचते हैं. इस बार वह 51 चूल्हे खरीदने आए हैं.


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छठ पूजा का महत्त्व और धार्मिकता

यह माना जाता है कि छठ पूजा के दौरान मन से की गई प्रार्थनाएं और इच्छाएं पूरी होती हैं. इस दौरान भक्त केवल शुद्ध माने जाने वाले खाद्य पदार्थ ही ग्रहण करते हैं और स्वच्छता का विशेष ध्यान रखते हैं. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में व्रत, उपवास और कठिन अनुष्ठान होते हैं, जो सूर्य देव के प्रति आभार प्रकट करने के लिए किए जाते हैं.

मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाए जाने वाले इस पर्व को प्रवासी भारतीय भी बड़े उत्साह से मनाते हैं. पर्व में खासतौर पर महिलाओं की भूमिका प्रमुख होती है, जो इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ मनाती हैं.

इस प्रकार, छठ पूजा में मुस्लिम महिलाओं की भागीदारी, खासतौर पर मिट्टी के चूल्हे बनाने के रूप में, इस पर्व में साम्प्रदायिक सौहार्द्र और एकता का संदेश देती है. यह धर्म, जाति और संप्रदाय की सीमाओं को तोड़ता है और इसे सही मायने में आस्था का महापर्व बनाता है.