आम मुसलमानों को ऐसा लगता है कि माॅब लिंचिंग के मामले को सरकार गंभीरता से नहीं लेती. अब ऐसे आरोप नहीं लगाए जा सकते. थाना स्तर पर ही इसके खिलाफ कड़ा रूख अपनाया जा सकता है. नसीरूद्दीन चिश्ती ने इस नए कानून को सख्ती से जमीन पर उतारने की सरकार से मांग की है.
मॉब लिंचिंग को लेकर कानून सख्त हुआ है. नए कानून में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 'जब पांच या अधिक व्यक्तियों का समूह मिलकर नस्ल, जाति या समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है, तो ऐसे समूह के प्रत्येक सदस्य को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा.'मॉब लिंचिंग के खिलाफ इस नए आपराधिक कानून पर आवाज द वॉयस ने मुस्लिम बुद्धिजीवी, विशेषज्ञ, पत्रकार आदि से बात की.
मॉब लिंचिंग को लेकर नए आपराधिक कानून पर रक्षा विशेषज्ञ और वरिष्ठ पत्रकार कमर आगा ने कहा कि "सरकार ने इस नए कानून को बनाकर ये साबित कर दिया है कि भारत में किसी भी व्यक्ति, समुदाय या जाति विशेष के साथ की गई कोई भी अप्रिय घटना लोकतांत्रिक भारत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और पूर्व में हुई मोब लिंचिंग की घातक घटनाओं को ध्यान में रखते हुए ही इस नए कानून की नींव सरकार ने रखी है जिसकी शुरुआत आज यानी 1 जुलाई 2024 से लागू हो चुका है. इस कानून का हम खुले दिल से स्वागत करते हैं और लोगों को इसकी जानकारी देना भी मीडिया का फर्ज है."
साथ ही कमर आगा ने कहा कि "मॉब लिंचिंग के खिलाफ इस नए आपराधिक कानून के बारे में सभी को जागरूक होना चाहिए और अपने साथ हुई किसी ज्यात्ती को नहीं सहना चाहिए. ऐसे में शरारती तत्व भी इस नए आपराधिक कानून से अवगत हो जाए कि अगर वे मॉब लिंचिंग से संबंधित किसी भी गतिविधि में संलिप्त पाए जाएंगे तो भारत का लोकतंत्र और कानून उन्हें बख्शेगा नहीं."
सरकार के इस नए कानून की तारीफ की. मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त हुए कानून में अब मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा सरकार के इस सराहनीय कदम की सिने अभिनेता नसीरूद्दीन शाह के भतीजे और सेना से सेवानिवृत्त मेजर मोहम्मद अली शाह ने भी तारीफ की और कहा कि मॉब लिंचिंग मनुष्य को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक तोर पर भी घाट पहुंचाता है जो किसी भी सूरत में नमंजुर है और मॉब लिंचिंग के अपराधियों को जाति और धर्म से परे हटकर दंड देना अनिवार्य है ताकि इस तरीके की घटनाएं भारत के मैप से अदृश्य हो जाएं.
वहीँ जन साधारण को हमेशा अपने रेडिओ शो में पुराने गानों और ज्ञान की बातों से सराबोर करने वाले रेडिओ जॉकी आरजे फहीम आज़ाद ने कहा कि "किसी भी देश का कोई भी कानून उस देश के नागरिकों की सुरक्षा को ध्यान में रख कर बनाया जाता है , भारत के नवीन कानूनों की मैं सराहना करता हूं. और धन्यवाद देता हूं 'आवाज द वॉयस' को जो हमेशा इस तरह के सामाजिक मुद्दों को आम लोगों तक पहुंचा कर जन जागरूकता का सराहनीय कार्य करता है."
जमीयत उलेमा हिंद फरीदाबाद के अध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन ने कहा कि भीड़ द्वारा हत्या एक राष्ट्रीय अपराध है. इसे जड़ से खत्म करने के लिए ही सरकार ने यह कड़ा कानून बनाया है जिसकी हम न सिर्फ तारीफ करते हैं बल्कि हम भी सरकार के साथ मोब लिंचिंग के बिलकुल खिलाफ हैं.
कम्युनिकेशन एक्सपर्ट शारिका मलिक ने भी प्रसन्नता जताई है उन्होंने कहा कि आज का युवा मोब लिंचिंग के बिलकुल खिलाफ हैं. वे अपने साथ दूसरे लोगों को लेकर आगे बढ़ रहा है ऐसे में मॉब लिंचिंग के खिलाफ सख्त हुए कानून में अब अपराधियों को मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और जुर्माना भी देना होगा और जब ऐसा होगा तो मोब लिंचिंग का तो सवाल ही पैदा नहीं होता अब इसपर लगाम लगनी लाजमी हो गई है.