बांग्लादेश : मंदिरों पर हमले को लेकर भारत के मुस्लिम बुद्धिजीवियों और मौलानाओं ने जताई चिंता, ऐसा न करने की अपील

Story by  आवाज़ द वॉयस | Published by  onikamaheshwari | Date 07-08-2024
Bangladesh: Muslims are protecting temples, a unique initiative amidst protests in Bangladesh
Bangladesh: Muslims are protecting temples, a unique initiative amidst protests in Bangladesh

 

आवाज द वॉयस/ नई दिल्ली 
 
बांग्लादेश में छात्रों का झगड़ा सरकार से है, लेकिन वहां से मंदिरों में  तोड़फोड़ की खबरें सामने आ रही हैं. इस बीच भारत के मुस्लिम बुद्धिजीवियों, मौलानाओं और पत्रकारों ने  बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शनों के बीच मंदिरों में तोड़फोड़ की घटना की कड़ी निंदा की और उन्हें सुरक्षित रखने की अपील भी की.
 
इंटर फेथ हार्मनी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. ख्वाजा इफ्तिखार अहमद ने भी बांग्लादेश में मंदिरों की तोड़फोड़ की निंदा की कहा कि सभ्यता और विवेक किसी भी सभ्य समाज के आवश्यक तत्व हैं! हिंसा कमज़ोरों का हथियार है!
 
बेगुनाह हिंदू अल्पसंख्यकों की बिना किसी गलती के हत्या करना अपराधियों की नैतिकता की सबसे कम भावना को दर्शाता है. यह वास्तव में उनके और उनके आकाओं के संयम और परिष्कार के गुणों के पतन को दर्शाता है जो कानून को अपने हाथ में ले रहे हैं. किसी भी बहाने या आधार पर निर्दोष हत्या को उचित नहीं ठहराया जा सकता है!
 
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों की हालिया खबरें न केवल सबसे कड़े शब्दों में निंदनीय हैं, बल्कि इन सबसे बदसूरत और शर्मनाक बर्बरता के कृत्यों में गुमराह बांग्ला युवाओं द्वारा किए गए इस जघन्य अपराध का समर्थन करने के लिए कोई तर्क उपलब्ध नहीं है.
 
हमारी सरकार को ढाका में सत्ता में बैठे लोगों को सख्त चेतावनी जारी करनी चाहिए कि इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. हमारा उनके घरेलू राजनीतिक उथल-पुथल में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन भारत और वहां के हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ निर्देशित किसी भी चूक और कमीशन के लिए हमारे प्रतिष्ठान से उचित प्रतिक्रिया मिल सकती है.
 
हम बांग्लादेश को अपना मित्र और रणनीतिक सहयोगी मानते हैं. हाल के घटनाक्रमों में एक बड़ा एजेंडा दिखाई देता है जिसे भारत विरोधी ताकतें बढ़ावा देना चाहती हैं. हमें उभरते राजनीतिक परिदृश्य पर कड़ी नजर रखनी होगी.
 
मुझे यकीन है कि हमारा राष्ट्रीय नेतृत्व, सरकार और विदेश मंत्रालय इस मामले से अवगत हैं और वहां स्थिति को सामान्य बनाने में गहराई से लगे हुए हैं. हमारी सीमा बल यह सुनिश्चित करेगा कि वहां अत्यधिक अस्थिर जमीनी स्थिति से कोई सुरक्षा या घुसपैठ का खतरा न हो.
 
सभी देशों, विशेष रूप से पड़ोसियों के साथ सौहार्द और शांति की हमारी नीति के अनुसार, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हमारा राजनयिक समुदाय जल्द ही पारंपरिक सद्भावना को बहाल करने में सफल होगा जो पड़ोसी बांग्लादेश के साथ हमारे संबंधों की पहचान रही है. हसीना वाजेद के साथ एनएसए अजीत डोभाल की मुलाकात हमारी कूटनीति की योग्यता और कद को दर्शाती है. मैं उनके साथ उनकी बातचीत का स्वागत करता हूं.
 
भाषा, संस्कृति, इतिहास और सभ्यता में बांग्लादेशी लोगों के साथ हमारी बहुत सी समानताएं हैं. मैं फिर से हमारे हिंदू बहनों और भाइयों के खिलाफ गुंडागर्दी और निर्दोष लोगों की हत्या की निंदा करता हूं.
 


अजमेर शरीफ दरगाह के गद्दी नशीन और भारत से चिश्ती फाउंडेशन के चेयरमैन सलमान चिश्ती ने बांग्लादेश में प्रदर्शन के बीच मंदिरों को सुरक्षित रखने की अपील की है. उन्होनें कहा कि "हम बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा और विभिन्न धार्मिक समुदायों के पूजा स्थलों पर हुए हमलों की गहरी निंदा करने के लिए लिख रहे हैं. 
 
घृणा और असहिष्णुता के ऐसे कृत्य बेहद परेशान करने वाले हैं और शांति, सम्मान और एकता के उन सिद्धांतों के खिलाफ हैं जिन्हें हम बहुत महत्व देते हैं." हाजी सैयद सलमान चिश्ती, गद्दी नशीन दरगाह अजमेर शरीफ और चिश्ती फाउंडेशन के अध्यक्ष ने अजमेर शरीफ से निम्नलिखित बयान साझा किया है.
 
 
 
 
Hindu Temple Protection In Muslim Community

"हम बांग्लादेश में हिंदुओं, जातीय अल्पसंख्यकों पर हमलों और उनके पूजा स्थलों के अपमान की कड़ी निंदा करते हैं. हिंसा के ये कृत्य न केवल व्यक्तियों और समुदायों को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि हमारी विविध और परस्पर जुड़ी दुनिया के ताने-बाने को भी खतरे में डालते हैं. यह जरूरी है कि हम एकजुटता के साथ खड़े हों, शांति, आपसी सम्मान और सभी धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की वकालत करें.
 
आइए हम सामूहिक रूप से एक ऐसा माहौल बनाने के लिए काम करें जहां हर व्यक्ति, चाहे उसका धर्म कुछ भी हो, सद्भाव और सुरक्षा के साथ रह सके।" हम सभी नेताओं और समुदायों से इन मुद्दों को संबोधित करने और सद्भाव और समझ की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए  शांति, एकता और सद्भाव की प्रार्थनाओं और दुआओं के साथ एक साथ आने का आग्रह करते हैं.
 
गौरतलब है कि इस बीच वहां के कुछ छात्रों ने एक अनोखी मुहिम शुरू की है. यह लोग टोली बनाकर बारी-बारी से मंदिरों की रक्षा कर रहे हैं, ताकि प्रदर्शनकारी इसे निशाना न बना सकें. इस अनोखी मुहीम की भी भारतवासियों ने सराहना की है. 

वहीँ वरिष्ठ पत्रकार कमर आग़ा का कहना है कि बांग्लादेश में जिन भी मंदिरों को नुकसान पहुंचा है उसकी भरपाई जरूरी है. ये मैं समझता हूं कि जोभी मंदिरों का नुकसान हुआ है उनकी भरपाई करनी चाहिए. उनको ठीक कराना चाहिए और उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी लोगों को, सरकार को,  लेनी चाहिए.
 
साथ ही मुझे इस बात की भी खुशी है कि वहां के जो स्टूडेंट लीडर्स जो हैं उन्होनें अपील की हैं कि वे मंदिरों को नुकसान न पहुंचाए और उसकी सुरक्षा करें. बांग्लादेश में सबसे अच्छी बात ये है कि वहां बड़ा ग्रुप सेक्युलर है और ये लड़ाई काफी लम्बे वक़्त से वहां चल रही है. बांग्लादेश के मुस्लिम धर्मगुरु भी खुद ही मंदिरों की हिफाजत में लगे हुए हैं. इसके अलावा हिंदू इलाकों में सेना भी तैनात की गई है. बांग्लादेश में देशव्यापी आंदोलन के समन्वयकों ने छात्रों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के पद से हटने के बाद देश में पैदा हुई स्थिति में किसी को भी 'लूट' का मौका न मिले. इसके साथ ही समन्वयकों ने छात्रों से वांछित लक्ष्य हासिल होने तक शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने का आग्रह किया.  
 
 
मंदिरों की तोड़फोड़ की हमें कड़ी शब्दों में निंदा करनी चाहिए. देखिए मंदिर या हिन्दू या कोई भी अल्पसंख्यक समुदाय को हानी पहुंचाने की इजाजत कोई भी धर्म या समाज नहीं देता.
 
ये मैं समझता हूं कि बहुत गलत काम हुआ वहां पर. और इसका असर भारत पर भी हो  सकता है. वहां पर तोड़-फोड़ है, तो यहां भी लपटे उठ सकतीं हैं. और जब यहां मस्जिदों को अगर हानी पहुंचाई गई, तो भी देश और समाज के लिए ठीक नहीं होगा.
 
और हमरी भावनएं आहत होंगीं. इसीलिए सभी मुसलामनों को एक साथ आकर बांग्लादेश में मंदिरों में हो रहीं तोड़-फोड़ के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए. और इसे पूरी तरह से गलत ठहराना चाहिए और ये सभी वहीं तत्त्व हैं जो चाहते हैं कि बांग्लादेश में आरजकता फेल जाए. ये ग्रुप्स माइनॉरिटी में हैं मेजोरिटी इनकी नहीं है. तो ये लोग चहिते हैं कि वहां सिविल डिसओबेडिएंस मोमेंट वहां खड़ा करदो. ताकि वहां फेर ये सत्ता को काबू करने की कोशिश कर सके. ये बहुत खतरनाक  ग्रुप है इनसे सख्ती से निपटना चाहिए.
 
वहीँ मौलाना नूरुल अमीन कासिमी, एक प्रसिद्ध विद्वान और मौलवी जो असाधारण विचारों के साथ सही रूप में इस्लाम का प्रचार करने के लिए जाने जाते हैं, ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमलों की घटनाओं की निंदा की है.
 
"बांग्लादेश में मौजूदा स्थिति पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है. यह पड़ोसी देश का आंतरिक मुद्दा है. लेकिन एक भारतीय मुसलमान के रूप में मैं बांग्लादेश के लोगों से बस यही आग्रह करता हूं कि वे अपने देश में अल्पसंख्यकों को निशाना न बनाएं.
 
चाहे वे हिंदू हों, ईसाई हों या बौद्ध, निर्दोष अल्पसंख्यक समुदायों पर किसी भी तरह का हमला इस्लाम की शिक्षा के खिलाफ है," मौलाना कासिमी ने कहा. मौलाना कासिमी ने कहा कि बांग्लादेश के लोगों को यह याद रखना चाहिए कि शेख हसीना शासन के खिलाफ उनकी शिकायतों या आंदोलन को देश में रहने वाले अल्पसंख्यक समुदाय पर हमला करके शरारती ताकतों द्वारा गुमराह नहीं किया जाना चाहिए.
 
 
 
Old Dhaka Shakhari Bazar

 
मौलाना कासिमी ने कहा, "भारत सरकार को भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमले रोकने के लिए (जो भी संभव हो) प्रयास करना चाहिए."
 
वहीँ जमीयत उलेमा फरीदाबाद अध्यक्ष- मौलाना जमालुद्दीन ने भी कहा की किसी आस्था और धार्मिक जगह को यु नष्ट करना निंदनीय है. और हमे इसी अप्रिय घटना के खिलाफ होना जरूरी है वर्ण देश में अशांति की लहर दौड़ सकती है.
 
गौरतलब है कि नरसिंगदी जिले के कांदीपारा गांव में काली मंदिर पर हमला हुआ है. रात के तीन बजे ढाका के ढाकेश्वरी हिंदू मंदिर की पहरेदारी करते हुए छात्रों के विजुअल्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं. बांग्लादेश में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. प्रधानमंत्री शेख हसीना देश छोड़कर जा चुकी हैं और सेना ने मोर्चा संभाल लिया है, जिसने अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान कर दिया है.